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बवासीर की गारंटी की दवा

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बवासीर की गारंटी की दवा

बवासीर या पाइल्स एक गंभीर बीमारी मानी जाती है। ये बीमारी खराब खान-पान और गलत लाइफस्टाइल की वजह से होती है। इसमें व्यक्ति के मलाशय के अंदर और बाहरी हिस्से में सूजन आने लगती है। इसकी वजह से मल त्याग करते समय ब्लीडिंग और दर्द की समस्या होने लगती है। इसमें उठने-बैठने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में आज हम बवासीर की गारंटी की दवा जानेंगे जिससे आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।बवासीर (Piles) एक सामान्य लेकिन बहुत असुविधाजनक बीमारी है, जिसमें गुदा के अंदर या बाहर की नसों में सूजन लगती है। यह समस्या दर्द, जलन, खून आना, मल त्याग में कठिनाई इत्यादि लक्षणों के साथ सामने आती है। बवासीर को प्रमुख रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जाता है: आंतरिक बवासीर और बाहरी बवासीर। आंतरिक बवासीर गुदा के अंदर होती है और आमतौर पर दर्दरहित होती है, लेकिन मल के साथ खून आ सकता है। वहीं, बाहरी बवासीर गुदा के बाहर होती है और इसमें ज्यादा दर्द, जलन और सूजन होती है।
बवासीर होने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। सबसे अधिक कारण है लंबे समय तक कब्ज रहना, जिससे मल त्याग में ज़ोर लगाना पड़ता है और नसों पर दबाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त तला-भुना, मसालेदार भोजन करना, पर्याप्त पानी न पीना, शरीर को सक्रिय न रखना और अधिक समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहना भी इसके प्रमुख कारण हैं। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव और बढ़े हुए पेट के दबाव से भी बवासीर हो सकती है।कुछ आम लक्षणों में मल त्यागने के समय खून निकलना, गुदा के चारों ओर गांठ या सूजन, खुजली, जलन और भारीपन होता है। कभी-कभी ये लक्षण इतने गंभीर हो जाते हैं कि बैठना भी कठिन हो जाता है। समय पर नहीं करेंगे ट्रीटमेंट, तो समस्या गंभीर हो सकती है।
आयुर्वेद बवासीर के इलाज के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार प्रदान करता है। आयुर्वेदिक औषधियों की तरह त्रिफला चूर्ण, चंद्रप्रभा वटी, अर्श कुठार रस और नागकेशर का सेवन बवासीर में लाभदायक होता है। त्रिफला चूर्ण कब्ज दूर करने में मदद करता है, जिससे मल साफ़ होता है और नसों पर दबाव नहीं पड़ता। चंद्रप्रभा वटी और अर्श कुठार रस सूजन कम करने और खून रोकने में मदद करती हैं। इसके अलावा, बवासीर में घरेलू उपाय भी बहुत उपयोगी होते हैं। गुनगुने पानी में 10–15 मिनट तक बैठना (जिसे Sitz Bath कहा जाता है) सूजन और जलन को कम करता है। एलोवेरा जेल लगाने से ठंडक मिलती है और खुजली कम होती है। भोजन में फाइबर युक्त चीजें जैसे हरी सब्जियाँ, फल, दलिया, और साबुत अनाज शामिल करें और दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं। नारियल तेल या अरंडी के तेल की मालिश से भी दर्द और सूजन में राहत मिलती है।बवासीर से बचाव के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने होंगे। नियमितता से शौच जाना चाहिए और मल को रोके नहीं। इसके साथ ही, मोबाइल या अखबार पढ़ते हुए लंबे समय तक टॉयलेट में बैठे रहना भी हानिकारक हो सकता है। व्यायाम और योग को दिनचर्या में शामिल करें ताकि पाचन अच्छा रहे और कब्ज न हो। अधिक मसालेदार या जंक फूड का सेवन न करें और शरीर को सक्रिय रखें।यदि बवासीर के लक्षण लगातार कुछ दिनों तक कायम रहते हैं, खून बड़ी मात्रा में आए, या अत्यधिक दर्द हो जाएं तो डॉक्टर से जल्दी संपर्क करें। कभी-कभार गंभीर स्थिति में सर्जरी भी करनी पड़ती है, इसलिए इसे छोटी भी न मालूम रखते हो।

बवासीर के लक्षण

बवासीर के कारण

  • मोटापा बढ़ना
  • गर्भावस्था
  • मल त्याग करते समय जोर लगाना
  • फाइबर की कमी होना
  • जीवनशैली का बिगड़ना

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बवासीर की गारंटी की दवा

1. अंजीर

अंजीर - बवासीर की गारंटी की दवा

अंजीर में पेट से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से पाइल्स से हो रही जलन, दर्द और खुजली को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अंजीर खाने से पाचन तंत्र के साथ-साथ पेट में गैस बनना, समय पर शौंच न आना, खाना हजम न होने जैसी समस्याएं दूर हो सकती है। अंजीर को बवासीर की दवा माना जा सकता है।

2. हरसिंगार

हरसिंगार - बवासीर की गारंटी की दवा

बवासीर की समस्या में हरसिंगार भी बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। हरसिंगार के बीज का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। इससे आपको बवासीर की बीमारी में बहुत आराम मिल सकता है।

3. नीम की पत्तियां

नीम की पत्तियां - बवासीर की गारंटी की दवा

नीम की पत्तों में एनाल्जेसिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से सूजन और परेशानी को कम किया जा सकता है। नीम के पत्तों को पानी में उबालें और उसके घोल को पी लें। नीम के रस को खूनी बवासीर की गारंटी की दवा माना जाता है।

4. हल्दी

हल्दी - बवासीर की गारंटी की दवा

हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। हल्दी का सेवन करने से सूजन और दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप एक चम्मच घी में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगा लें। इससे बवासीर के कारण हो रहे दर्द और जलन में राहत मिल सकती है।

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5. एलोवेरा

एलोवेरा - बवासीर की गारंटी की दवा

एलोवेरा में भी कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। एलोवेरा की ताजी पत्तियों के जेल को प्रभावित हिस्से पर लगाएं। एलोवेरा के जूस का सेवन करने से बवासीर की समस्या में आराम मिल सकता है। एलोवेरा को बवासीर के मस्से सुखाने की दवा माना जाता है।

6. बेल के पत्ते

बेल के पत्ते - बवासीर की गारंटी की दवा

बेल के पत्ते भी बवासीर की दवा माने जाते हैं। बेल के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण मौजूद होते हैं। इनका सेवन करने से बवासीर के कारण आ रही सूजन की परेशानी को कम करने में मदद मिल सकती है। बेल के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से बहुत लाभ हो सकता है।

7. त्रिफला

त्रिफला - बवासीर की गारंटी की दवा

त्रिफला को भी बवासीर की दवा में से एक माना जाता है। त्रिफला को पिप्पली, हरीतकी, विभूतकी और आंवले जैसी जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाया जाता है। इसका सेवन करने से बवासीर के कारण गुदा में हो रहे दर्द और सूजन को खत्म किया जा सकता है। इससे इंफेक्शन की संभावना भी कम हो सकती है।

8. हरीतकी

हरीतकी - बवासीर की गारंटी की दवा

हरीतकी में औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसे सबसे गुणकारी औषधि माना जाता है। हरीतकी का सेवन करने से पाचन से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। बवासीर के साथ-साथ शरीर की कमजोरी दूर करने, डायरिया को ठीक करने, गैस और कब्ज से राहत में भी हरीतकी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

9. तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्ते - बवासीर की गारंटी की दवा

तुलसी के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इनका सेवन करने से पाचन और कब्ज में राहत मिलती है। तुलसी के पत्तों का सेवन करने से दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके पत्तों का रस निकालकर उनमें शहद मिलाकर उसका सेवन करने से बवासीर की समस्या में आराम मिल सकता है। तुलसी के पत्तों को आप खूनी बवासीर की गारंटी की दवा कह सकते हैं।

निष्कर्ष

तो जैसा कि आपने जाना बवासीर की गारंटी की दवा क्या है। ऐसे में इस दवा का सेवन करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।

अगर आपको भी बवासीर की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज आयु कर्मा में आकर करवा सकते हैं। आयु कर्मा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है। यहां न सिर्फ किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है, बल्कि कई अन्य बीमारी जैसे कि कैंसर, ल्यूकोडर्मा, सोरायसिस, क्रिएटिनिन, प्रोटीन्यूरिया आदि बीमारियों का इलाज भी किया जाता है।

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