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नसों में गांठ का इलाज

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नसों में गांठ का इलाज

नसों में गांठ का इलाज

क्या आप भी नस में होने वाली गांठ से परेशान हैं? और नसों में सूजन और दर्द का इलाज ढूंढ रहे हैं। तो आज का यह ब्लॉग आपके लिए ही है। आज हम आपके लिए नसों में होने वाली गांठों का आसान आयुर्वेदिक उपाय लेकर आए हैं। जो नसों की गांठों से राहत देने में मददगार साबित हो सकते हैं। लेकिन इससे पहले आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि आखिर गांठ बनने का कारण नसों में क्या है ? दरअसल रोग के सही कारण को जानकर ही रोग का इलाज हो पाता है। नसों में गांठ अक्सर वैरिकाज़ वेन्स या खून के थक्के (ब्लड क्लॉट) के कारण होती है।

नसों में गांठ बनने का कारण

आयुर्वेद में ऐसी गांठों को सिराजग्रन्थि कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गांठ बनने का कारण नसों में रक्त का प्रवाह रुकना, वात दोष का असंतुलन और नसों की कमजोरी को माना गया है। आयुर्वेद में इसका इलाज शरीर के दोषों को बैलेंस कर नसों की शक्ति बढ़ाने पर आधारित है। इस विकार में नसें सूजकर उभरी हुई और नीली बैंगनी रंग की दिखने लगती हैं। शरीर में नस की गांठ से प्रभावित हिस्से में दर्द,भारीपन और सूजन हो सकती है। कभी -कभी खुजली और रात को ऐठन भी होने लगती है। स्किन का कलर गहरा होने लगता है या घाव बनने लगता है। गंभीर स्थिति में ब्लड क्लॉट बनने से जान का ख़तरा बढ़ जाता है। ऐसी कोई गंभीर स्थिति न होने पाए इसलिए छोटी से छोटी गांठ को भी नजर अंदाज करना ठीक नहीं।

नसों में गांठ से बढ़ती जटिलताएं

नसों में गांठ होने पर या खून के थक्के जमने से कई तरह की जटिलताएं बढ़ सकती है। जिससे रोगी शारीरिक या मानसिक स्तर पर परेशान हो सकता है।  

1. लगातार दर्द और सूजन-- नसों में होने वाली गांठों की वजह से लंबे समय तक बैठे रहने या खड़े रहने से पैरों में दर्द या सूजन हो सकती है।  

2. स्किन  में बदलाव -- प्रभावित जगह पर स्किन पतली हो कर गहरी या भूरी होने लगती है ।  

3. खून बहना – नस फट जाने पर अचानक खून बह सकता है।

4. ब्लड क्लॉट – गहरी नसों में थक्का बनने से खून का प्रवाह रुक सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।

5. इंफेक्शन का खतरा -- अल्सर या घाव से बार-बार रोगी को इंफेक्शन हो सकता है। 

इन जटिलताओं के बढ़ने से पहले ही रोगी को चाहिए कि वह सही उपचार अपना कर नसों में होने वाली गांठ से छुटकारा पा ले। आयुर्वेद बिना ऑपरेशन या सर्जरी के, नस की गांठ से आप को छुटकारा दिला सकता है। जी हां ! आयुर्वेद में नसों की कमजोरी और गांठ का आयुर्वेदिक इलाज है, वो भी प्राकृतिक तरीके से। तो चलिए आपको बताते हैं कि आयुर्वद में, नसों में गांठ का इलाज क्या है ?

आइए जाने क्या है नस में गांठ का इलाज

1. औषधीय इलाज -- अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय ये औषधियां नसों को मजबूती और ऊर्जा देती हैं। त्रिफला चूर्ण पाचन सुधारता है और ब्लड को साफ करता है। अर्जुन की छाल ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखता है। कंचनार गुग्गुल गांठ और सूजन को कम करते है।  

2. पौष्टिक अहार और स्वस्थ जीवनशैली -- जिन लोगों को नस में गांठ बनने की समस्या है उन्हें तेल वाली मसालेदार चीजें नहीं खानी चाहिए । जंक फूड से परहेज करें और खाने में हरी सब्जियों खाएं। इसके अलावा फलों में अनार और आंवला खाएं। ज्यादा देर तक खड़े या बैठे न रहे। रोजाना हल्का व्यायाम और योगासन करें।

3. नस में सूजन और गांठ के घरेलू उपाय – तिल के तेल से हल्की मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। सरसों तेल या नारियल तेल में लहसुन डालकर अगर आप मालिश करते हैं तो सूजन और दर्द कम होता है। वहीं गुनगुने पानी का सेंक नसों में होने वाली गांठ से भारीपन और थकान को कम करता है।

लहसुन के तेल की मालिश सबसे असरदार नस में सूजन और गांठ के घरेलू उपाय है। कुछ लहसुन की कलियाँ लेकर सरसों या नारियल तेल में भून लें। इस तेल को गुनगुना करके प्रभावित नसों पर हल्के हाथों से रोज़ मालिश करें। इससे मालिश करने पर रोगी को सूजन और दर्द से राहत मिलती है। गांठ के दबाव और भारीपन को धीरे-धीरे कम करता है। यह घेरलू उपाय खून के बहाव को ठीक रखता है। लेकिन ध्यान रहे बहुत ज़ोर से मालिश न करें, वरना नस को नुकसान हो सकता है।

आज के इस ब्लॉग में हमने जाना कि शरीर में गांठ हो जाए तो क्या करें ? गांठ होने की शुरुआती लक्षण दिखते ही आप इन आसान घरेलू उपायों को अपना सकते हैं । लेकिन इन उपायों को अपनाने से पहले आपको अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए। नस की गांठ की अवस्था देख कर ही वो आपको एक बेहतर सुझाव दे सकते हैं। गांठ के गंभीर होने पर बिना देरी किए आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
 

 

FAQ
 

  • गांठ का देसी इलाज क्या है?
    लहसुन का तेल लगाकर हल्की मालिश करना, इससे सूजन और दर्द कम होता है। यह गांठ का देशी इलाज माना जाता है।
     
  • अगर आपकी नसों में गांठ है तो इसका क्या मतलब है?
    नसों में गांठ होना शरीर में रक्त संचार की गड़बड़ी और नसों की कमजोरी का संकेत है।
     
  • हाथ की नसों में गांठ का इलाज क्या है?
    हाथ की नसों में गांठ होने पर हल्की मालिश, गर्म पानी की सिकाई और हाथ को ऊँचा रखकर आराम करना लाभकारी है। अगर गांठ बढ़े, दर्द करे या कलर बदल जाए तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
     
  • मांस की गांठ क्यों बनती है?
    स्किन या इंटरनल टिशू अनावश्यक वृद्धि के कारण मांस की गांठ बनती है , जो ज़्यादातर सामान्य और बिना दर्द की होती है।

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