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पेट में पानी होना एक ऐसी स्थिति है, जिसे जलोदर या एसाइटिस भी कहा जाता है। इस चिकित्सा स्थिति में पेट की परत यानी पेराइटोनियल में तरल पदार्थ जमा हो जाता है। यह तरल पेट की अंदरूनी परत और आंतों को घेरता है। कई बार अनुपचारित रहने या देर से उपचार नहीं मिलने पर पेट में पानी की समस्या गंभीर हो सकती है। हालांकि, पेट में पानी की दवा के कई विकल्प हैं, जो इसके लक्षणों से राहत दे सकते हैं।
पेट में दर्द होना
ऐंठन और मरोड़
अचानक वजन बढ़ना
उल्टी और मतली
पेट भरा हुआ लगना
थकान और कमजोरी
पाचन से जुड़ी समस्याएं
चिकित्सक सलाह के लिए फॉर्म भरें
लिवर की समस्याएं
कुछ प्रकार के कैंसर
इंफेक्शन या सूजन
प्रोटीन की कमी
हल्दी - हल्दी में करक्यूमिन होता है, जिससे इसे एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण प्राप्त होते हैं। यह शरीर की सूजन और पानी के जमाव को नियंत्रित करते हैं। साथ ही इससे लिवर और किडनी का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
मेथी - मेथी, ड्यूरेटिक गुणों में उच्च होती है। इससे शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। साथ ही हल्दी का नियमित सेवन शरीर से पानी को बाहर निकालता है और सूजन को कम कर सकता है।
जीरा - जीरा कई पोषक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है जैसे, आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम। इनसे शरीर में तरल संतुलन बेहतर और पानी की समस्या में सुधार होता है। साथ ही यह पाचन तंत्र में सुधार करता है, जिससे गैस, दर्द और सूजन या पेट से जुड़ी अन्य समस्या में आराम मिलता है।
अजवाइन - अजवाइन में ड्यूरेटिक गुण होते हैं, जो पेट में सूजन और गैस से राहत देते हैं। इसका नियमित सेवन शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालता है। साथ ही इससे आपको पेट में पानी की समस्या में राहत मिलती है।
सौंफ - सौंफ में विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स की उच्च मात्रा होती है। इससे पेट की सूजन और पानी के जमाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। साथ ही सौंफ से पाचन में सुधार, वजन घटाने, हार्मोन्स के संतुलन और दिल का स्वास्थ्य बेहतर बनाने जैसे फायदे प्राप्त हो सकते हैं।
अश्वगंधा - अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-स्ट्रैस गुण होते हैं, जो आपके शरीर को डिटॉक्स करते हैं। इससे शरीर की सूजन को कम करने और तरल पदार्थों के संतुलन में भी मदद मिलती है।
नीम - नीम में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इनसे पेट में जमा पानी को निकालने जैसे लाभ मिलते हैं। साथ ही नीम का नियमित सेवन शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकलता है।
आंवला - आंवला में विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह तत्व इम्यून सिस्टम को बूस्ट और पाचन में सुधार करते हैं। इसका नियमित सेवन शरीर से टॉक्सिंस को निकालता है और पेट में पानी की समस्या से राहत देता है।
गिलोय - गिलोय एक प्राकृतिक और प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है। इससे इम्यून सिस्टम को मजबूती और सूजन को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही गिलोय के सेवन से लिवर और किडनी फंक्शन में भी सुधार होता है।
त्रिफला - यह आयुर्वेदिक औषधि आंवला, हरड़ और बहेड़ा का मिश्रण है। इसके सेवन से पाचन को सुधारने, शरीर को डिटॉक्स करने, सूजन के नियंत्रण और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
अगर आप भी पेट में पानी की दवा जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार विकल्प चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।
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