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टीबी की वजह से फेफड़ों में पानी

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टीबी की वजह से फेफड़ों में पानी

टीबी की वजह से फेफड़ों में पानी

टीबी क्या है ?

 टीबी (TB) एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जिसे ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis) भी कहते हैं। यह स्वास्थ्य स्थिति मुख्य रूप से माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बीमारी फेफड़ों से शुरू होती है और शरीर के अन्य अंगों तक फैल सकती है। कई बार टीबी की वजह से फेफड़ों में पानी भर सकता है। अगर अनुपचारित रहने या देर से उपचार किए जाने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। हालांकि, कुछ उपचार विकल्पों से इसका इलाज संभव है। इस ब्लॉग में आप टीबी की वजह से फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में जानेंगे।  

फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण 

फेफड़ों में पानी भरने के कारण 
फेफड़ों में पानी भरने के लिए कई कारण और जोखिम कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे: 

फेफड़ों में पानी भरने का निदान 
निम्नलिखित विकल्पों की मदद से फेफड़ों में पानी भरने की स्थिति का निदान संभव है:

  • फिजिकल टेस्ट
  • एक्स-रे
  • सीटी स्कैन
  • खून की जांच
  • अल्ट्रासाउंड
  • ब्रोंकोस्कोपी
  • प्लीउरल पंक्चर

फेफड़ों में पानी भरने का इलाज
कई उपचार विकल्प हैं, जिनसे फेफड़ों में पानी भरने का इलाज किया जा सकता है। इनमें शामिल हैं: 

  • मुलेठी- मुलेठी में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेटेरी गुण होते हैं, जो सांस की समस्या में राहत प्रदान करते हैं। साथ ही यह तत्व फेफड़ों की सूजन नियंत्रित करते हैं, जिससे टीबी के लक्षण कम हो सकते हैं।
  • दालचीनी- यह एंटी-इंफ्लेटेरी और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है। इसका नियमित सेवन फेफड़ों की सूजन को नियंत्रित करता है। साथ ही दालचीनी के पोषक तत्व रक्त संचार में सुधार करते हैं और श्वसन तंत्र को बेहतर बनाते हैं। 
  • गिलोय- गिलोय में विटामिन-C, एंटीऑक्सीडेंट्स और इम्यून बूस्टिंग गुण होते हैं। इन तत्वों से इम्यून सिस्टम को मजबूती प्राप्त होती है। साथ ही गिलोय का सेवन फेफड़ों में जमा पानी को कम करता है, जिससे टीबी के लक्षणों में राहत मिलती है। 
    फेफड़ों में पानी सुखाने की दवा
  • अदरक- अदरक एक प्रभावी घरेलू उपचार है, इसमें जिंजरोल और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह फेफड़ों की सूजन और जलन को शांत करते हैं। साथ ही इससे श्वसन तंत्र स्वस्थ रहता है और टीबी की वजह से फेफड़ों में पानी की समस्या दूर होती है।
  • तुलसी- तुलसी, यूजेनॉल, विटामिन-A, C, K, ओलीनोलिक एसिड और कई पोषक तत्वों को बेहतरीन स्रोत है। यह फेफड़ों में मौजूद पानी की मात्रा को कम करते हैं और उन्हें स्वस्थ बनाए रखते हैं। साथ ही इससे सांस की समस्या में राहत मिलती है, शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है और टीबी से लड़ने की ताकत मिलती है।

फेफड़ों में पानी भरने पर क्या खाएं? 
टीबी के कारण फेफड़ों में पानी भरने पर आप आहार निम्नलिखित विकल्पों का सेवन कर सकते हैं: 

  • नट्स और बीज- टीबी के कारण फेफड़ों में पानी भरने पर आप नट्स और बीज का सेवन कर सकते हैं। इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, प्रोटीन, फाइबर और मिनरल्स होते हैं। यह सूजन और फेफड़ों में पानी का भराव कम करते हैं। 
  • विकल्प- बादाम, अखरोट और अलसी के बीज
  • दालें- इनमें प्रोटीन, फाइबर और मिटामिन्स की भरपूर मात्रा होती है। दाल में मौजूद यह पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। साथ ही इनसे टीबी के कारण फेफड़ों में भरे पानी का स्तर नियंत्रित हो सकता है। 
  • विकल्प- मूंग दाल, मसूर दाल और चना
     
  • साबुत अनाज- साबुत अनाज का सेवन भी फेफड़ों में भरे पानी का स्तर कम कर सकता है। इनके फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाते हैं। साथ ही इनसे इम्यूनिटी मजबूत और शरीर में सूजन नियंत्रित हो सकती है
  • विकल्प- ब्राउन राइस, ओट्स और क्विनोआ
  • ताजे फल- टीबी के कारण फेफड़ों में जमा पानी कम करने का एक तरीका ताजे फलों का सेवन है। इनमें कई पोषक तत्वों की उच्च  मात्रा होती है जैसे, विटामिन-C, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स। यह शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखते हैं, पाचन को बेहतर बनाते हैं और सूजन को कम करते हैं।
  • विकल्प- सेब, संतरा, अंगूर और पपीता
  • हरी सब्जियां- हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से भी टीबी के कारण फेफड़ों में भरा पानी कम हो सकता है। यह विटामिन-A, C, K, फोलिक एसिड और आयरन से समृद्ध होते हैं। इन तत्वों से फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार होता है, इम्यूनिटी बढ़ती है और तरल का स्तर नियंत्रित होता है।
  • विकल्प- पालक, मेथी और सरसों के पत्ते
    फेफड़ों में पानी सुखाने की दवा

     

निष्कर्ष 

अगर आप भी टीबी की वजह से फेफड़ों में पानी भरने से संबंधित अधिक जानकारी चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार विकल्प चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।

 

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