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फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

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फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

खराब खानपान की वजह से फैटी लीवर की बीमारी तेजी से बढ़ती जा रही है। इस बीमारी में व्यक्ति के लीवर में सूजन आने लगती है, जिससे उसके शरीर के कामकाज पर प्रभाव पड़ने लगता है। वैसे तो ये बीमारी ज्यादातर उन लोगों को होती है, जो शराब का अधिक सेवन करते हैं, जिससे उनके लीवर में सूजन आने लगती है, पर फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा करने से इस समस्या में आराम मिल सकता है।

फैटी लीवर के लक्षण

फैटी लीवर के कारण

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फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

1. पुनर्नवा

पुनर्नवा - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

पुनर्नवा का इस्तेमाल कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में किया जाता है। ये एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो कई गंभीर बीमारियों को ठीक कर सकती है। पुनर्नवा के पाउडर को दूध या पानी में मिलाकर लेने से फैटी लीवर की समस्या में आराम मिल सकता है।

2. एलोवेरा

एलोवेरा - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

एलोवेरा को एक नैचुरल ब्लड प्यूरीफायर माना जाता है। इसका सेवन करने से लीवर के काम को बढ़ाने में मदद मिलती है। एलोवेरा का जूस पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है। एलोवेरा को फैटी लीवर की दवा माना जा सकता है।

3. गिलोय

गिलोय - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

गिलोय भी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रूप में जानी जाती है। इसमें कई तरह के एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं। इसका सेवन करने से लीवर से जुड़ी सभी समस्याओं का इलाज करने में मदद मिलती है।

4. आंवले का जूस

आंवले का जूस - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

आंवले के जूस को फैटी लीवर की दवा के रूप में जाना जाता है। आंवले में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। आंवले के जूस में एलोवेरा के जूस को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से फैटी लीवर की समस्या में आराम मिल सकता है। आंवले में मौजूद भरपूर मात्रा में विटामिन-सी शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बॉडी भी डिटॉक्स होती है।

5. गुनगुना पानी पिएं

गुनगुना पानी पिएं - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

लीवर को हेल्दी और मजबूत बनाए रखने के लिए रोजाना गुनगुना पानी पीना चाहिए। रोज सुबह गुनगुना पानी पीने से फैटी लीवर की समस्या में आराम मिल सकता है।

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6. कालमेघ

कालमेघ - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

कालमेघ भी एक लाभकारी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसमें हेपटोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो लीवर को डैमेज होने से बचाते हैं। इसकी पत्तियों के अर्क का सेवन करने से फैटी लीवर की समस्या में बहुत लाभ हो सकता है। कालमेघ को फैटी लीवर की दवा कहा जा सकता है।

7. एक्सरसाइज करें

एक्सरसाइज करें - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

लीवर को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करना जरूरी माना जाता है। रोजाना एक्सरसाइज करने से न सिर्फ आप शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे। एक्सरसाइज करने से फैटी लीवर की समस्या में आराम पाया जा सकता है।

8. शंखपुष्पी

शंखपुष्पी - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

शंखपुष्पी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसका सेवन करने से लीवर में मौजूद फैट को बाहर निकाला जा सकता है, जिससे लीवर के फंक्शन में सुधार हो सकता है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण लीवर को सुरक्षित रखते हैं और फैटी लीवर की समस्या में आराम दिलाते हैं।

9. त्रिफला

त्रिफला - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

त्रिफला का सेवन करने से लीवर को साफ करके उसकी हेल्थ में सुधार किया जा सकता है। ये एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे लेने से फैटी लीवर की समस्या का इलाज अच्छे से किया जा सकता है। त्रिफला को आंवला, हरितकी और बिभीतकी से मिलकर बनाया गया है। इन तीनों में हाई एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो लीवर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करते हैं।

10. सिंहपर्णी की जड़

सिंहपर्णी की जड़ - फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा

सिंहपर्णी की जड़ को भी फायदेमंद जड़ी-बूटी माना जाता है। इसका सेवन करने से लीवर और गॉलब्लैडर के फंक्शन को बेहतर बनाया जा सकता है। इस जड़ का सेवन करने से लीवर को डिटॉक्सिफाई कर सकते हैं, जिससे लीवर के फंक्शन में भी सुधार हो सकता है। सिंहपर्णी की जड़ में मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट्स और लाभकारी तत्व लीवर की सूजन को कम करके उसे डैमेज होने से बचा सकते हैं। इसे भी फैटी लीवर की दवा के रूप में जाना जाता है।

निष्कर्ष

तो जैसा कि आपने जाना कि फैटी लीवर की आयुर्वेदिक दवा से किस तरह से इलाज किया जा सकता है। ऐसे में अगर आपको भी ये समस्या है और आप इन उपायों से अपना इलाज करने की सोच रहे हैं, तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ले लें।

अगर आपको भी फैटी लीवर से जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज आयु कर्मा में आकर करवा सकते हैं। आयु कर्मा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है। यहां न सिर्फ किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है, बल्कि कई अन्य बीमारी जैसे कि कैंसर, सोरायसिस, क्रिएटिनिन आदि बीमारियों का इलाज भी किया जाता है।

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