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ब्रेस्ट कैंसर की गांठ में दर्द होता है क्या? 

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ब्रेस्ट कैंसर की गांठ में दर्द होता है क्या? 

 

महिलाओं में पाए जाने वाले सबसे आम कैंसर में से एक स्तन कैंसर है। इसका पता तब चलता है जब स्तन में कोई गांठ महसूस होना शुरू होता है, अब सवाल ये है की, ब्रेस्ट कैंसर की गांठ में दर्द होता है क्या? बहुत सी महिलाएं स्तन में किसी भी तरह की गांठ या बदलाव को देखकर डर जाती हैं, पर उनका ये समझना बहुत ज़रूरी है की  हर गांठ कैंसरजन्य नहीं होती और न ही हर कैंसरयुक्त गांठ में दर्द होता है।

आज इस आर्टिकल में हम ब्रेस्ट कैंसर की गांठ के लक्षण और कारण क्या होते हैं, साथ ही इसे बचाव के कुछ उपाए, 

 

ब्रेस्ट कैंसर की गांठ के लक्षण

 

  • स्तन में सूजन या गांठ
  • निप्पल में बदलाव
  • त्वचा में बदलाव
  • स्तन के आकार या आकार में बदलाव
  • स्तन में लगातार दर्द

ब्रेस्ट कैंसर के कारण

  • आनुवंशिकता

  • उम्र बढ़ना

  • हार्मोनल कारण

  • प्रजनन से जुड़ी स्थितियाँ

  • जीवनशैली

 

ब्रेस्ट कैंसर के घरेलू उपाय 

 

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए ही मान्य है, समस्या का पता चलने पर डॉक्टर से जल्द ही सम्पर्क करें   

  1. हरी सब्जियाँ और फल

  2. नियमित व्यायाम

  3. फ्लैक्स सीड्स 

  4. हल्दी

  5. योग और ध्यान


 

  1. हरी सब्जियाँ और फल - हरी सब्जियाँ और फल का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है, ये शरीर को प्राकृतिक रूप से पोषण देने के साथ-साथ कैंसर से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाते हैं। हरी सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, ब्रोकोली, मूली के पत्ते, और सरसों के पत्ते विटामिन A, C, E, और K से भरपूर होती हैं। इनमें फाइबर भी बहुत अधिक मात्रा में होता है, जो शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। फल भी इसी तरह फायदेमंद हैं। खासकर बेरीज़ (जैसे ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी), अंगूर, अनार, और टमाटर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और पॉलीफेनोल्स शरीर में मुक्त कणों (free radicals) से लड़ते हैं। जिससे कैंसर की शुरुआत हो सकती है। फल इस प्रक्रिया को धीमा या रोक सकते हैं।

 

  1. नियमित व्यायाम - ब्रेस्ट कैंसर जैसी स्तिथि में नियमित व्यायाम करना केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक दोनों ही दृष्टि से बहुत फायदेमंद होता है। चाहे वो इलाज के दौरान हो या इलाज के बाद रिकवरी की अवस्था में उसके शरीर और मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। व्यायाम से शरीर की थकावट और कमजोरी कम होती है, जो आमतौर पर कीमोथेरेपी, रेडिएशन या हार्मोन थेरेपी के बाद महसूस होती है। जब कोई हल्का-फुल्का शारीरिक श्रम करती है, जैसे वॉकिंग, स्ट्रेचिंग, योगा या ब्रीदिंग एक्सरसाइज, तो इससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है और थकावट कम लगती है। इसलिए ब्रेस्ट कैंसर के दौरान और बाद में भी, व्यायाम केवल एक फिजिकल एक्टिविटी नहीं बल्कि एक मानसिक, भावनात्मक और जीवनीय सहारा बन जाता है।

 

  1. फ्लैक्स सीड्स - ब्रेस्ट कैंसर जैसी समस्या में फ्लैक्स सीड्स एक प्राकृतिक सहायक तत्व माने जाते हैं, इसमें मौजूद कुछ विशेष पोषक तत्व ऐसे हैं जो कैंसर की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर हार्मोन-संवेदनशील ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में। इसके अलावा, फ्लैक्स सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। कैंसर की वृद्धि और सूजन के बीच गहरा संबंध होता है। जब शरीर में लगातार हल्की सूजन बनी रहती है, तो वह कैंसर जैसी बीमारियों के लिए ज़मीन तैयार कर सकती है। ओमेगा-3 इन सूजन को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे यह संभावना बनती है कि कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा किया जा सके।

 

  1. हल्दी - हल्दी एक ऐसा घरेलू उपाय है, जो आयुर्वेद और आधुनिक रिसर्च दोनों में रुचि का विषय रहा है। ब्रेस्ट कैंसर की स्तिथि में भी ये बहुत असरदार है, क्योंकि हल्दी का करक्यूमिन सूजन को कम करने में सक्षम होता है। कैंसर कोशिकाओं के विकास और सूजन के बीच एक गहरा संबंध होता है। जब शरीर में लगातार हल्की सूजन बनी रहती है, तो वह एक ऐसी स्थिति बना सकती है जो कैंसर की वृद्धि को बढ़ावा देती है। करक्यूमिन इस सूजन को कम करने में मदद कर सकता है और इस तरह कैंसर के विकास के माहौल को थोड़ा नियंत्रित करने में भूमिका निभा सकता है।


 

  1. योग और ध्यान - ब्रेस्ट कैंसर के दौरान और उसके बाद योग और ध्यान एक ऐसी मानसिक और शारीरिक चिकित्सा की तरह काम करते हैं। क्योंकि जब कोई महिला ब्रेस्ट कैंसर से गुजरती है, तो उसके जीवन में अचानक बहुत कुछ बदल जाता है शरीर की ताक़त, आत्मविश्वास, भावनात्मक स्थिरता, और भविष्य को लेकर चिंता। ऐसे समय में योग और ध्यान उसे अपने भीतर स्थिरता और संतुलन खोजने का रास्ता देते हैं। यही नहीं धीरे-धीरे किए जाने वाले योगासन शरीर को दोबारा गति और स्थिरता देना शुरू करते हैं। इससे शरीर की नसों और मांसपेशियों में खिंचाव कम होता है, और थकावट की तीव्रता घटती है। खासकर ब्रेस्ट सर्जरी के बाद कंधे, गर्दन और छाती के क्षेत्र में जकड़न महसूस होती है, जिसे योग धीरे-धीरे खोलने में मदद करता है।


 

अगर आपके मन में भी ये सवाल है की ब्रेस्ट कैंसर की गांठ में दर्द होता है क्या? तो ये ब्लॉग आपके लिए है, लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें अयुकर्मा के साथ


 

FAQ

1. ब्रेस्ट कैंसर के 5 चेतावनी संकेत क्या हैं? 

ब्रेस्ट कैंसर के 5 चेतावनी संकेत ये हो सकते हैं:

स्तन में या बगल में गांठ, स्तन का आकार या रंग बदलना, निप्पल से असामान्य स्राव, निप्पल का अंदर की ओर मुड़ जाना, त्वचा पर गड्ढे या सूजन अगर ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाना चाहिए।

 

2. कैसे पता चलेगा कि गांठ कैंसर नहीं है? 

गांठ कैंसर वाली है या नहीं, यह केवल शारीरिक लक्षणों से पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। सही पता लगाने के लिए डॉक्टर मेमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, और ज़रूरत हो तो बायोप्सी करते हैं। इनमें पता चलता है कि गांठ सॉलिड है या सिस्ट (तरल से भरी), और उसमें कैंसर कोशिकाएं हैं या नहीं।

 

3. ब्रेस्ट कैंसर में दर्द कब होता है? 

ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत में आमतौर पर दर्द नहीं होता। दर्द तब हो सकता है जब:

गांठ बड़ी होने लगे, कैंसर आसपास के ऊतकों में फैल जाए, त्वचा में खिंचाव या सूजन हो, या इलाज जैसे सर्जरी, कीमो के कारण हो दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच कराना ज़रूरी है।

 

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