आपकी सभी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए विशेषज्ञ स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा अनुशंसित आयुर्वेदिक उपचार, उपचार और सलाह
कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में मौजूद एक विशेष प्रकार की वसा है, जो शरीर में कई कार्यों के लिए जिम्मेदार है। आमतौर पर यह खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है और कई बार शरीर भी अपनी जरूरत के हिसाब से इसका निर्माण कर सकता है। इससे सेल मेम्ब्रेन के निर्माण, हार्मोन के उत्पादन और पाचन जैसे कई कार्य संचालित होते हैं। लेकिन, कुछ कारणों से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय जानकर आप इस स्थिति की रोकथाम कर सकते हैं। आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल के दो प्रकार होते हैं, जैसे:
कोलेस्ट्रॉल के दोनों प्रकार को गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जाना जाता है।
चिकित्सक सलाह के लिए फॉर्म भरें
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कोई खास लक्षण नहीं होते, लेकिन शरीर में कोलेस्ट्रॉल का ज्यादा स्तर कई दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। ऐसे ही कुछ लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
कई बार कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर कोरोनरी आर्टरी यानी दिल को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है और दिल को ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। इससे आपके दिल की काम करने की क्षमता प्रभावित होती है औप आपको सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है।
रक्तवाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से अर्थक्लेरोसिस यानी धमनियों के सिकुड़ने की समस्या हो सकती है। इसमें दिल की धमनियों में रक्त का प्रवाह बाधित हो सकता है, जो सीने में दर्द का कारण बनता है।
शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर दिल के काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसका असर शरीर में पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की आपूर्ति पर पड़ता है, जिससे आपको थकान और कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
कोलेस्ट्रॉल की वजह से रक्तवाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। इससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित होने और ब्रेन अटैक की संभावना बढ़ सकती है। स्ट्रोक के लक्षणों में चेहरे का लटकना, बोलने में कठिनाई और हाथ-पैर में कमजोरी होना शामिल हैं।
कोलेस्ट्रॉल की वजह से शरीर के अंदर रक्त प्रवाह में रुकावट पैदा हो जाती है। इससे शारीरिक अंगों में रक्त और ऑक्सीजन धीमी गति से प्रवाह करते हैं, जो हाथों और पैरों में सुन्नपन का कारण बनता है।
कई बार कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर हार्ट फेल या किडनी की बीमारी का कारण भी बन सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से दिल रक्त को ठीक से पंप नहीं करता। इससे तरल पदार्थ शरीर में जमा हो जाता है और पैरों में सूजन की समस्या का कारण बनता है।
अभी फॉर्म भरें और विशेषज्ञ से परामर्श करें
शरीर में कोलेस्ट्रॉल के अधिक स्तर से कई समस्याएं हो सकती हैं। इनमें दिल की बीमारी, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर आदि। हालांकि, जीवनशैली में कुछ जरूरी उपायों से कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे ही कुछ उपायों में नीचे दिए गए हैं:
फाइबर के सेवन से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। खासतौर से घुलनशील यानी सॉल्युबल फाइबर इसमें बहुत फायदेमंद है, क्योंकि यह पेट और आंतों में पानी को अवशोषित कर कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालते हैं। इसके लिए आप फल-सब्जियों, साबुत अनाज और दालों का सेवन कर सकते हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसी स्वस्थ वसा का सेवन कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण के लिए अच्छा माना जाता है। यह एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) का स्तर बढ़ाने और एलडीएल (बुरा कोलेस्ट्रॉल) को शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। इसके लिए आप नट्स, बीज, एवोकाडो और जैतून के तेल का सेवन कर सकते हैं।
ज्यादा कोलेस्ट्रॉल वाले आहार शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा सकते हैं। ऐसे में आपको कम कोलेस्ट्रॉल वाले आहार का सेवन करना करना चाहिए। इसके लिए आप कम फैट वाले डेयरी प्रॉडक्ट का सेवन कर सकते हैं
जॉगिंग, चलना, स्विमिंग, योग और साइकिल चलाने जैसी नियमित शारीरिक गतिविधि या व्यायाम शरीर में एचडीएल लेवल को बढ़ाते हैं। साथ ही इससे शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद मिलती है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए आप हर दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम कर सकते हैं।
कई बार ज्यादा वजन भी शरीर में बुरा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का प्रमुख कारण बन सकता है। ऐसे में वजन कम करना कोलेस्ट्रॉल को कम करने का सबसे अच्छा उपाय है। ऐसे में हर दिन कम से कम 500 से 1000 कैलोरी घटाकर आपको स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
धुम्रपान आपके एचडीएल स्तर को घटा और एलडीएल को बढ़ा सकता है। साथ ही इसका प्रभाव आपकी रक्त वाहिकाओं पर पड़ता है, जिससे दिल और रक्त परिसंचरण में रुकावट आ सकती है। हालांकि, धुम्रपान और शराब से परहेज करके आप कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रख सकते हैं। साथ ही इससे आपके दिल और फेफड़ों का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल यानी तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ सकताहै, जो आपके कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि का कारण बन सकता है। ऐसे में मेडिटेशन, सांस लेने के अभ्यास और घूमने या संगीत सुनने जैसे कुछ स्वस्थ बदलाव से कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित हो सकता है।
इस ब्लॉग में बताए गए कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकते हैं। लेकिन, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और किसी भी उपचार विकल्प को चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें। सेहत से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।
Hi, I'm Sheela. I struggled with painful skin rashes for years. After facing side effects from other medicines, I turned to Ayukarma. The facilities impressed me, and after 1.5 months of treatment, my skin completely healed. I'm so grateful for their care and effective treatment.
I'm Kapil from Jhajjar. I had gallbladder stones and wanted an herbal solution. I chose Ayukarma and followed their treatment and diet plan. In a month, my symptoms eased, and scans showed major improvement. After two months, the stones were gone. Truly thankful for their help.
I'm Tina from Delhi. I suffered from severe sinus issues for years. After learning about Panchakarma therapy, I visited Ayukarma. The staff was great, and therapy was done as per Ayurvedic texts. After treatment, my symptoms improved significantly. I highly recommend them for sinus problems.
Ayukarma helped me manage proteinuria naturally. The Ayurvedic herbs they prescribed reduced my symptoms without side effects. I’ve noticed improvements in my kidney function too. Their treatment has been safe, effective, and deeply healing. I highly recommend them.
My friend’s dad had colon cancer with severe symptoms. After starting treatment at Ayukarma, he showed major improvement in a few months. His recovery is ongoing, and he now strongly recommends Ayukarma for anyone dealing with similar issues.
My aunt, Rita Mehra, had early-stage breast cancer. She began treatment at Ayukarma, and the use of herbal medicines helped prevent the cancer from spreading. Best part, no side effects. Dr. Puneet and the team were excellent throughout. Huge thanks to them!
I’m Kriya from Delhi. Diagnosed with early-stage tonsil cancer, I couldn’t tolerate allopathic treatment. Switching to Ayukarma was the best decision. Their herbal therapy eased my symptoms and improved my health significantly. I’m hopeful for a full recovery.
कुटकी: फायदे, नुकसान और इस्तेमाल करने का सही तरीका ...
पसली में पानी भरने का इलाज – कारण, लक्षण और घरेलू उपाय ...
ब्राह्मी के फायदे और नुकसान – जानें पूरा सच ...
Approved by
Certificate no- AH-2022-0145
FEB 23,2022 - FEB 22,2025