आपकी सभी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए विशेषज्ञ स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा अनुशंसित आयुर्वेदिक उपचार, उपचार और सलाह
बवासीर एक सामान्य बीमारी है लेकिन इससे उठने वाला दर्द रोगी को झुलसा कर रख देता है। वर्तमान में कई लोग गलत खान-पान ,अव्यवस्थित जीवन शैली को अपनाने और पाचन की समस्या के चलते बवासीर का शिकार हो जाते हैं। बवासीर की समस्या तब जन्म लेती है, जब मलद्वार के अंदर या बाहर की ब्लड वेसल्स सूज जाती हैं । इस वजह से रोगी को खुजली ,दर्द , जलन और खून आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रोगी बवासीर के दर्द से बचने के लिए आधुनिक दवाइयों का सहारा लेता है। लेकिन ये दवाएं कभी- कभी शरीर में अपना साइड इफेक्ट भी डालती हैं। ऐसे में बवासीर की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां लोगों के लिए एक अच्छा चुनाव होता है। घर बैठे ही हजारों लोग इससे ठीक हो जाते हैं। ऐसे में आप लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि ऐसी बवासीर की आयुर्वेदिक दवा कौन सी है ? जिससे बवासीर का निपटारा हो सके। तो चलिए आज ऐसी ही जड़ी बूटियों के बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे। लेकिन इससे पहले यह जानना जरूरी है कि बवासीर होने क्या कारण है ? और इसके लक्षण क्या हैं ?
कब्ज: बार -बार कब्ज की शिकायत होने पर मल सूख जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के मल त्यागने के समय जोर लगाने से ब्लड वेसल्स सूज जाती हैं।
शरीर में फाइबर की कमी : फाइबर वाले खाद्य पदार्थ को भोजन में न शामिल करने से पाचन खराब होता है और कब्ज की समस्या होती है।
जनेटिक : बवासीर जनेटिक समस्या भी हो सकती है। अगर परिवार में किसी को है तो दूसरे को भी हो सकता है।
शराब और मिर्च मसाले का सेवन : कोई व्यक्ति ज्यादा मिर्च मसाले वाला चटपटेदार खाना खाता है और शराब पीता है तो उसे भी बवासीर हो सकता है।
शौच की आदतों में गड़बड़ी : मल निकालने में देरी करना या शौच के समय बहुत देर तक बैठना भी बवासीर की एक वजह हो सकती है।
मोटापा : शरीर का मोटापा या अत्यधिक वजन बवासीर का कारण हो सकता है।
इन कारणों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आयुर्वेद क्यों कहता है कि स्वस्थ शरीर के लिए हेल्दी डाइट और हेल्दी लाइफ स्टाइल दोनों ही जरूरी है। हेल्दी डाइट और हेल्दी लाइफ स्टाइल दोनों ही बवासीर के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा हैं।
कारण के बाद लक्षण पर भी गौर करना जरूरी है। जब तक हम बवासीर के लक्षणों को जान नहीं पाएंगे पहचान नहीं पाएंगे तब इसका इलाज कैसे करेंगे ? और किस आधार पर करेंगे। कही ऐसा न हो की आप बवासीर के रोगी हो, लेकिन लक्षण की पहचान न होने की वजह से आपको पता ही न हो की आप बवासीर के शिकार हो चुके हैं। जानिए बवासीर के लक्षण।
1. मल त्याग के समय ब्लड आना : बवासीर की स्थिति में कभी तेज दर्द या हल्के दर्द के साथ मल निकालते हुए ब्लड का आना।
2. गुदा के पास सूजन या गांठ महसूस होना: यह गांठे ब्लड वेसल्स सूजने की वजह से बनती है।
3. गुदा में दर्द या जलन : बैठने और मल त्यागने के समय गुदा में दर्द और जलन हो सकती है।
4 थक्का बन जाना : गांठ का बन जाना जो काफी दर्दनाक और कठोर होती है
5. चलने बैठने में दिक्कत : बवासीर गंभीर होने पर रोगी को चलने- बैठने में दिक्क्त होती है।
इन गंभीर और दर्द वाले लक्षणों के बाद आप यह जानना चाहते होंगे कि बवासीर की जड़ से इलाज करने वाली जड़ी बूटी कौन सी है। तो चलिए आपको हम बवासीर की देसी जड़ी बूटी इलाज के बारे में बताते हैं ,जो शुद्ध प्राकृतिक हैं। ये जड़ी बूटियां बवासीर का खात्मा कर सकती हैं।
1. हरितकी (हरड़) : हरीतकी एक ऊंचा पेड़ होता है। हिंदी में इसे इसे 'हरड़' और 'हर्रे' भी कहते हैं। आयुर्वेद ने इसे अमृता, प्राणदा, कायस्था, विजया, मेध्या जैसे नाम दिए हैं। हरितकी बवासीर के रोग को खत्म करने में मददगार है। यह जड़ी बूटी मल को नरम करती है। सूजन और जलन में राहत देती है।
2 . नागकेशर: नागकेसर को नागचंपा भी कहा जाता है जो कि एक सीधा सदाबहार पेड़ है। यह देखने में काफी सुंदर होता है। इस पेड़ के सूखे फूल दवाइयां मसाले और रंग बनाने के काम में आते हैं। इसका सेवन करने से बवासीर में मल के दौरान खून नहीं निकलता। दर्द और सूजन को भी कम करता है। पुरानी से पुरानी बवासीर में भी यह असरदार साबित होता है।
3.सूरन (जिमीकंद) : सूरन यानि जिमीकंद को बवासीर का शत्रु माना जाता है। इसीलिए बवासीर की रामबाण आयुर्वेदिक जड़ी बूटी का एक नाम जिमीकंद भीहै। सूरन की सब्जी कम मसाले में बना कर खाने से बवासीर के रोग में लाभ मिलता है। जिमीकंद यानि सूरन पाचन सुधारता है ,बवासीर की गांठे सुखाता है ,वात -कफ को संतुलित करता है और ब्लड को आने से रोकता है।
4. अर्जुन की छाल : अर्जुन एक औषधीय वृक्ष है। अर्जुन को घवल, ककुभ और नदीसर्ज के नाम से भी जाना जाता है । हार्ट रिलेटेड रोग को खत्म करने ,ब्लड प्रेशर को कम करने ,पाचन तंत्र में सुधार करने के अलावा यह बवासीर के लिए भी लाभदायक होता है। मल त्याग के समय आने वाले ब्लड को अर्जुन की छाल कम करता है। इसके अलावा यह नसों को मजबूती देती है। आंतरिक बवासीर में अर्जुन की छाल खासतौर पर काम करती है।
5 नीम : नीम एक एंटीबैक्टीरियल और रक्तशोधक औषधी है। यह त्वचा और मधुमेह के रोग को दूर करने में ,शरीर को डेटॉक्स करने में मदद करती है। बवासीर की स्थिति में नीम खुजली, जलन से राहत देती है। सुबह सुबह इसकी दो तीन पत्तियां खाने से रोगी का खून साफ़ होता है और पाचन में सुधार होता है।
6.अलोवेरा (गृतकुमारी) : बवासीर के रोग में अलोवेरा आंतरिक सूजन को शांत करता है। गुदा मार्ग को ठंडक और आराम पहुंचाता है और कब्ज में राहत देता है।
आज के इस लेख में हमने बवासीर क्या है ? ये क्यों होता है ?और इसकी पहचान कैसे की जाए ? यह हमने जाना। इसके अलावा बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार कैसे किया जाए? एक रोगी कैसे आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों के सहारे बवासीर से राहत पा सकता है, इसके बारे में विस्तार से ऊपर चर्चा की गई है। ये सभी उपाय बवासीर के इलाज में आपको सकारात्मक परिणाम दे सकते हैं। लेकिन इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से पहले आप किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का परामर्श जरूर लें। ऐसे ही हेल्थ टिप्स के लिए बने रहिए कर्मा आयुर्वेद के साथ।
FAQS
अर्कमुंजा,नीम ,अर्जुन ,अलोवेरा , जिमीकंद ये पौधे बवासीर को ठीक कर सकते हैं।
नीम , हरितकी ,अर्जुन की छाल ,नागकेशर बवासीर के लिए सबसे अच्छी जड़ी बूटी मानी जाती है।
बवासीर को पूरी तरह जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ दवा लेना ही काफी नहीं होता, इसके लिए आहार, जीवनशैली, घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक चिकित्सा का समन्वय जरूरी है।
मल त्याग के समय खून आना, दर्द, जलन, खुजली, गांठ महसूस होना आदि इसके लक्षण हैं।
फाइबर युक्त भोजन जैसे फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज, त्रिफला, गुनगुना पानी आदि।
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