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अस्थमा की देसी दवाई

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अस्थमा की देसी दवाई

अस्थमा की देसी दवाई 

अस्थमा एक ऐसी समस्या है जो श्वसन तंत्र से जुड़ी होती है, ये समस्या अनेक कारणों की वजह से लाखों लोगों को प्रभावित करती है, यही नहीं इसके कई लक्षण सामान्य दिनचर्या को कठिन बना सकते हैं, आज हम आपको बताएंगे  कि आयुर्वेद, घरेलू नुस्खे और पारंपरिक देसी इलाज किस तरह से अस्थमा में राहत पहुँचा सकते हैं और साथ ही इस आर्टिकल में हम अस्थमा की देसी दवाई के बारे में बताएंगे और इसके कारणों और लक्षणों पर भी ध्यान देंगे।  

अस्थमा के लक्षण - Asthma Ke Lakshan 

अस्थमा के कारण - Asthma Ke Karan 

  • पर्यावरणीय कारक

  • एलर्जी

  • श्वसन संक्रमण

  • आनुवंशिकता 

  • धूम्रपान 

  • तम्बाकू सेवन

  • अधिक मेहनत

अस्थमा की देसी दवाई - Asthma Ki Desi Dawai 

  1. मुलेठी

  2. तुलसी और शहद

  3. अदरक

  4. भाप लेना

  5. हल्दी वाला दूध

  6. प्राणायाम और योग

 

  1. मुलेठी - मुलेठी आयुर्वेद में कई श्वसन रोगों के लिए एक प्रभावी औषधि है, ये जमा हुआ बलगम निकालने में मदद करती है, जिससे छाती की जकड़न कम होती है और इसका सेवन इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है, जिससे संक्रमणों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। यह अस्थमा ट्रिगर करने वाले संक्रमणों से बचाने में सहायक है पर ध्यान रखें उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर वालों को मुलेठी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। 
    अस्थमा की देसी दवाई

  2. तुलसी और शहद - तुलसी और शहद दोनों का ही मिश्रण अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं के लिए अत्यंत उपयोगी माने जाते हैं। तुलसी में यूजेनॉल और अन्य आवश्यक तेल होते हैं जो फेफड़ों में सूजन को कम करते हैं और साँस लेने में मदद करते हैं और इसमें प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो श्वसन तंत्र को संक्रमण से बचाते हैं। और अगर शहद की बात करें तो इसमें मौजूद एंज़ाइम गले और छाती में जमा कफ को ढीला करते हैं और धीरे-धीरे निकालने में मदद करते हैं और साथ ही शहद में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स श्वसन नलिकाओं को स्वस्थ बनाए रखते हैं और सूजन को कम करते हैं।

  3. अदरक - घरेलू चिकित्सा में अदरक बहुत ही प्रभावशाली औषधियों में से एक है, अस्थमा में श्वसन नलिकाओं में सूजन आ जाती है, जिससे साँस लेना मुश्किल हो जाता है। अदरक में मौजूद “जिंजरॉल” और “शोगोल” जैसे यौगिक सूजन को कम करके फेफड़ों को राहत देते हैं। और अदरक फेफड़ों की नलियों को फैलाने में मदद करता है, जिससे साँस लेने की प्रक्रिया आसान होती है, यह विशेष रूप से अस्थमा अटैक के दौरान उपयोगी हो सकता है। अदरक शरीर में एलर्जन के प्रति प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है, जिससे अस्थमा के एलर्जिक कारणों से बचा जा सकता है।

    अदरक

  4. भाप लेना - भाप लेना एक बहुत ही सरल और प्रभावी उपाय माना जाता है। ये विशेष रूप से तब फायदेमंद होता है जब अस्थमा के कारण बलगम जमा हो गया हो, नाक बंद हो या छाती में जकड़न हो क्योंकि भाप नमी पहुँचाकर बलगम को नरम करती है और उसे बाहर निकालने में मदद करती है और इसे नासिका मार्ग और ब्रोंकाई ट्यूब्स में जमा कफ साफ होता है, जिससे साँस लेना आसान हो जाता है और यही नहीं भाप लेने से मानसिक शांति मिलती है, जिससे तनाव कम होता है और तनाव भी एक आम अस्थमा ट्रिगर है।
     
  5. हल्दी वाला दूध - हल्दी वाला दूध आयुर्वेदिक परंपरा में एक शक्तिशाली प्राकृतिक औषधि है जो शरीर में सूजन कम करने, प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने, और श्वसन तंत्र को मज़बूत बनाने में मदद करती है। अस्थमा में फेफड़ों की वायु नलिकाओं में सूजन आ जाती है, जिससे साँस लेना कठिन होता है।
    हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटी-इन्फ्लेमेटरी कॉम्पोनेंट है, जो सूजन कम कर फेफड़ों को राहत देता है और गर्म दूध और हल्दी का संयोजन श्वसन तंत्र में गर्माहट लाता है, जिससे गले की खराश और जलन में आराम मिलता है।


    अस्थमा की देसी दवाई
     
  6. प्राणायाम और योग - प्राणायाम यानी नियंत्रित श्वसन के अभ्यास से फेफड़ों की ऑक्सीजन लेने और छोड़ने की क्षमता बढ़ती है। इससे साँस लेने में आसानी होती है और अस्थमा के लक्षणों में कमी आती है और गहरी साँस लेने से श्वसन नलिकाओं में जमा कफ धीरे-धीरे साफ होता है और वायुमार्ग खुलते हैं।
    यह अस्थमा के कारण होने वाली छाती की जकड़न को भी कम करता है। साथ ही प्राणायाम से साँस लेने का सही तरीका सिखने को मिलता है, जिससे ऑक्सीजन का बेहतर उपयोग होता है और साँस फूलने की समस्या में सुधार आता है।

आज इस आर्टिकल में हमने जाना अस्थमा की देसी दवाई, लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें. अगर आपको आज के आर्टिकल के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें अयुकर्मा के साथ।

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