आपकी सभी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए विशेषज्ञ स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा अनुशंसित आयुर्वेदिक उपचार, उपचार और सलाह
खराब लाइफस्टाइल की वजह से लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं में से एक शीघ्रस्खलन भी है। पहले बता दें कि इसका मतलब क्या होता है? तो बता दें कि इसका अर्थ है कि जब पुरुष सेक्स करते हैं और केवल शुरुआत के दो से तीन मिनट के अंदर ही उनका स्पर्म स्खलित हो जाता है। ऐसे में इसे शीघ्र स्खलन रोग कहा जाता है। वैसे तो ये पुरुषों में होने वाली आम समस्या है, लेकिन ऐसा केवल दुनिया में कुछ ही पुरुष अनुभव करते हैं। इसका मतलब है कि इस बीमारी से जूझ रहे पीड़ितों की सेक्स अवधि बहुत ही छोटी होती है, लेकिन शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक उपचार अपनाने से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
वैसे तो शीघ्र स्खलन के आयुर्वेदिक उपाय अपनाने से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है, लेकिन इसके कारणों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है। इसके मुख्य कारणों में शामिल है:
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शीघ्र स्खलन की समस्या को ठीक करने के लिए कई तरह की औषधियां लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में जिन औषधियों की तासीर ठंडी होती है, वे इस बीमारी के इलाज में बहुत उपयोग की जाती हैं। आइए, ऐसे में शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज आपकी बहुत मदद कर सकता है।
गोक्षुर एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो वात, पित्त और कफ जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसके इस्तेमाल से यौन शक्ति को बढ़ाने और शीघ्र स्खलन जैसी समस्या का इलाज करने में मदद मिल सकती है। यहां तक कि इसका सेवन करने से मसल्स में ताकत आती है और टेस्टोस्टेरोन का लेवल भी बढ़ने लगता है। गोक्षुर को शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज माना जाता है।
वहीं मुलेठी को भी शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज माना जा सकता है। मुलेठी में खांसी-जुकाम, गले की खुराश दूर करने में मदद मिलती है। वहीं मुलेठी का चूर्ण लेने से शीघ्र स्खलन की समस्या को रोका जा सकता है।
केसर का इस्तेमाल न सिर्फ खाने में, बल्कि हेल्थ को अच्छा रखने के लिए भी होता है। केसर में कामोत्तेज गुण मौजूद होते हैं। इसे दूध में मिलाकर पीने से शीघ्र स्खलन की बीमारी को ठीक किया जा सकता है। इसका सेवन करने से सेक्स पॉवर और कामेच्छा को बढ़ाया जा सकता है। केसर को शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज कहा जा सकता है।
वहीं अश्वगंधा में भी इम्यूनिटी को बढ़ाने वाले गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से शारीरिक कमजोरी, एजिंग के लक्षण, त्वचा रोग जैसी समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है। ये जड़ी-बूटी हार्मोंस को पुनर्जीवित करने में मदद करती है। आप अश्वगंधा के पाउडर को घी, हर्बल वाइन या काढ़े के साथ ले सकते हैं। अश्वगंधा शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज कहलाया जाता है।
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शतावरी भी एक तरह की जड़ी-बूटी है। इसका इस्तेमाल कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। शतावरी या उसके चूर्ण का सेवन करने से शीघ्र स्खलन की समस्या में बहुत ही जल्दी आराम मिल सकता है। शतावरी को शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज कहा जा सकता है।
आयुर्वेद में ब्राह्मी को एनर्जी देने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है। ये जड़ी-बूटी इम्यून सिस्टम में सुधार करती है। इसका सेवन करने से शीघ्र स्खलन की समस्या मे आराम मिल सकता है। ब्राह्मी को शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज कहा जा सकता है।
मकरध्वज भी एक तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसे शरीर की ताकत बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है। इस जड़ी-बूटी को लेने से स्पर्म को बढ़ाने और नपुंसकता को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका सेवन करने से शीघ्र स्खलन की समस्या में आराम मिल सकता है। मकरध्वज को भी शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज माना जा सकता है।
जायफल एक तरह की तीखी जड़ी-बूटी होती है। इसकी सुगंध बहुत ही तेज होती है। इसे भी शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज माना जाता है। इसमें शीघ्र स्खलन की समस्या के साथ-साथ वात-पित्त को साफ करने जैसे कई गुण मौजूद होते हैं। इसके लिए आप जायफल के पाउडर को दूध में डालकर पी सकते हैं।
तो जैसा कि आपने जाना कि शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज अपनाकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन फिर भी इन उपायों को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि डॉक्टर आपको बेहतर तरीके से बता पाएंगे कि आपके लिए ये उपाय ठीक हैं या नहीं।
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अगर आपको भी शीघ्र स्खलन उससे जुडी किसी भी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी और अन्य कई बीमारी के रोगियों का इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी की बीमारी से जूझ रहे रोगियों का इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेलियर का इलाज कर रहा है।
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