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बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

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बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

आजकल खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से बवासीर की बीमारी होना आम बात हो गई है। ऐसा उनके साथ ज्यादा होता है जो कब्ज से पीड़ित होते हैं। ऐसे लोगों में बवासीर या पाइल्स होना सबसे प्रमुख होता है। इस बीमारी में शौच के समय तेज दर्द और ब्लीडिंग होने लगती है, लेकिन बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा आती है, जिसकी मदद से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए, जानते हैं वह आयुर्वेदिक इलाज क्या है।

बवासीर के लक्षण

  • बैठने में दिक्कत होना
  • मल त्याग के बाद खून गाढ़ा आना
  • खुजली, लालपन और सूजन आना
  • अधूरा मल त्याग महसूस होना
  • किडनी एरिया के पास गांठ होना

बवासीर के कारण

  • पुरानी कब्ज
  • कम फाइबर वाला खाना
  • शौच करते समय जोर लगाना
  • किडनी या मलाशय में इंफेक्शन होना

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बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

1. हरीतकी

हरीतकी - बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

हरीतकी एक बेहतरीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसके सेवन से पाचन संबंधी बीमारियां तो ठीक होती हैं, लेकिन साथ ही इसके सेवन से कब्ज पर रोक लग सकती है। इसका सेवन करने से मलत्याग से होने वाले दर्द में आराम मिलता है। हरीतकी बवासीर के लिए दवा मानी जाती है।

2. अंजीर

अंजीर - बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

अंजीर में पेट से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाने वाले गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से पेट के दर्द और जलन से राहत पाई जा सकती है। अंजीर को खाने से पाचन से जुड़ी समस्याएं जैसे कि पेट में गैस बनना, खाना हजम न हो पाना, समय पर शौंच न जा पाने और बवासीर जैसी समस्याएं दूर की जा सकती हैं। आप इसे पानी में भिगोकर खा सकते हैं।

3. कुटज

कुटज - बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

आयुर्वेद में कुटज का भी खास महतव है। इसे बवासीर की दवा के रूप में जाना जाता है। कुटज की छाल से बने चूर्ण का सेवन करने से जीवाणरोधी और अमीबा को नष्ट किया जा सकता है। इसे लेने से तुरंत रक्तस्राव बंद हो सकता है। इस जड़ी-बूटी को लंबे समय तक लेना जरूरी है।

4. गुग्गुल

गुग्गुल - बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

बवासीर को दूर करने में त्रिफला गुग्गुल भी बहुत मदद कर सकती है। इसे पिप्पली, हरीतकी, गुग्गुल, विभूतकी और आंवला जैसी जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाया गया है। इसका सेवन करने से बवासीर से होने वाले दर्द और सूजन को खत्म किया जा सकता है।

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5. सूरन

सूरन - बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

सूरन के पौधा का कंद यानी कि उसकी जड़ का भाग इस्तेमाल करने से भूख बढ़ाने, सूजन को कम करने, ऊर्जा बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसे जिमीकंद भी कहा जाता है। सूरन को खूनी बवासीर की दवा के रूप में भी जाना जाता है।

6. त्रिफला

त्रिफला - बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

त्रिफला का चूर्ण पाचन में सुधार करके कब्ज जैसी बीमारी से राहत दिलाने में मदद करता है। इसकी वजह से बवासीर के लक्षण को कम किया जा सकता है। त्रिफला को आंवला, हरीतकी और बिभीतकी से मिलाकर बनाया जाता है। इसे बाबासीर का दवाई कहा जा सकता है।

7. नारियल का तेल

नारियल का तेल - बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

नारियल के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से स्किन पर आ रही सूजन को कम किया जा सकता है। इसमें मौजूद एनाल्जेसि गुण बवासीर के कारण होने वाली परेशानी में आराम दिला सकते हैं। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी मौजूद होते हैं, जो बवासीर के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। नारियल के तेल को बवासीर के लिए दवा माना जा सकता है।

8. मंजिष्ठा

मंजिष्ठा - बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा

मंजिष्ठा में ब्लड में मौजूद गंदगी को साफ करने के गुण होते हैं। इसका उपयोग करने से बवासीर के साथ-साथ कैंसर, किडनी स्टोन, दस्त की समस्या दूर हो सकती है। बवासीर के दौरान खून के थक्के गांठ के रूप में दिखने लगते हैं। ऐसे में मंजिष्ठा का सेवन करने से वे जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं। आप इसके लिए मंजिष्ठा का पाउडर, काढ़ा या पेस्ट ले सकते हैं। इसे खूनी बवासीर की दवा के रूप में जाना जाता है।

निष्कर्ष

तो जैसा कि आपने जाना कि बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा क्या है। ऐसे में इन उपायों को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।

अगर आपको भी बवासीर या उससे जुड़ी किसी भी तरह की दिक्कत महसूस हो रही है, तो आप अपना इलाज आयु कर्मा में आकर करवा सकते हैं। आयु कर्मा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।

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