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बवासीर या पाइल्स एक गंभीर बीमारी मानी जाती है। ये बीमारी खराब खान-पान और गलत लाइफस्टाइल की वजह से होती है। इसमें व्यक्ति के मलाशय के अंदर और बाहरी हिस्से में सूजन आने लगती है। इसकी वजह से मल त्याग करते समय ब्लीडिंग और दर्द की समस्या होने लगती है। इसमें उठने-बैठने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में आज हम बवासीर की गारंटी की दवा जानेंगे जिससे आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
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अंजीर में पेट से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से पाइल्स से हो रही जलन, दर्द और खुजली को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अंजीर खाने से पाचन तंत्र के साथ-साथ पेट में गैस बनना, समय पर शौंच न आना, खाना हजम न होने जैसी समस्याएं दूर हो सकती है। अंजीर को बवासीर की दवा माना जा सकता है।
बवासीर की समस्या में हरसिंगार भी बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। हरसिंगार के बीज का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। इससे आपको बवासीर की बीमारी में बहुत आराम मिल सकता है।
नीम की पत्तों में एनाल्जेसिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से सूजन और परेशानी को कम किया जा सकता है। नीम के पत्तों को पानी में उबालें और उसके घोल को पी लें। नीम के रस को खूनी बवासीर की गारंटी की दवा माना जाता है।
हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। हल्दी का सेवन करने से सूजन और दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप एक चम्मच घी में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगा लें। इससे बवासीर के कारण हो रहे दर्द और जलन में राहत मिल सकती है।
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एलोवेरा में भी कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। एलोवेरा की ताजी पत्तियों के जेल को प्रभावित हिस्से पर लगाएं। एलोवेरा के जूस का सेवन करने से बवासीर की समस्या में आराम मिल सकता है। एलोवेरा को बवासीर के मस्से सुखाने की दवा माना जाता है।
बेल के पत्ते भी बवासीर की दवा माने जाते हैं। बेल के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण मौजूद होते हैं। इनका सेवन करने से बवासीर के कारण आ रही सूजन की परेशानी को कम करने में मदद मिल सकती है। बेल के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से बहुत लाभ हो सकता है।
त्रिफला को भी बवासीर की दवा में से एक माना जाता है। त्रिफला को पिप्पली, हरीतकी, विभूतकी और आंवले जैसी जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाया जाता है। इसका सेवन करने से बवासीर के कारण गुदा में हो रहे दर्द और सूजन को खत्म किया जा सकता है। इससे इंफेक्शन की संभावना भी कम हो सकती है।
हरीतकी में औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसे सबसे गुणकारी औषधि माना जाता है। हरीतकी का सेवन करने से पाचन से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। बवासीर के साथ-साथ शरीर की कमजोरी दूर करने, डायरिया को ठीक करने, गैस और कब्ज से राहत में भी हरीतकी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
तुलसी के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इनका सेवन करने से पाचन और कब्ज में राहत मिलती है। तुलसी के पत्तों का सेवन करने से दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके पत्तों का रस निकालकर उनमें शहद मिलाकर उसका सेवन करने से बवासीर की समस्या में आराम मिल सकता है। तुलसी के पत्तों को आप खूनी बवासीर की गारंटी की दवा कह सकते हैं।
तो जैसा कि आपने जाना बवासीर की गारंटी की दवा क्या है। ऐसे में इस दवा का सेवन करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
अगर आपको भी बवासीर की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज आयु कर्मा में आकर करवा सकते हैं। आयु कर्मा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है। यहां न सिर्फ किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है, बल्कि कई अन्य बीमारी जैसे कि कैंसर, ल्यूकोडर्मा, सोरायसिस, क्रिएटिनिन, प्रोटीन्यूरिया आदि बीमारियों का इलाज भी किया जाता है।
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FEB 23,2022 - FEB 22,2025