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पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

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पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

हमारा पाचन तंत्र यानी कि डाइजेस्टिव सिस्टम, प्रोटीन, फैट का अवशोषण कर लेता है और शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है। इससे शरीर के सारे अंग सही से काम करते हैं। पाचन संबंधी प्रक्रिया के दौरान खाने को चबाना, खाने को निगलना, खानो को मिलाना और फैलाने जैसी क्रियाएं होती हैं। इससे खट्टी डकारें, गैस बनने, पेट फूलने से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं, जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। ऐसे में आज हम आपको पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे आपका कमजोर पाचन तंत्र भी मजबूत हो जाएगा।

पाचन शक्ति कमजोर होने के कारण

  • ठंडे पदार्थ ज्यादा खाना
  • आंतों के अंदर घाव होना
  • पाचन क्रिया में रुकावट आना
  • शरीर में पित्त का बहाव रुकना

पाचन शक्ति खराब होने के लक्षण

  • कब्ज
  • गैस
  • दस्त होना
  • मूत्र व वीर्य से जुड़ा रोग
  • उल्टी
  • बेचैनी
  • अम्ल-पित्त
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पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

1. अदरक

अदरक - पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए अदरक के रस में चीनी मिलाकर पिएं। इसमें लौंग और इलायची का चूर्ण भी मिला लें। इसका सेवन पानी या गर्म दूध से करने से पाचन से जुड़ी समस्याएं ठीक हो सकती हैं। अदरक को पाचन शक्ति बढ़ाने की दवा के रूप में जाना जाता है।

2. जीरा पानी

जीरा पानी - पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

जीरा पानी पीना एक अच्छा आयुर्वेदिक उपचार है। इससे पाचन तंत्र में सुधार हो सकता है। जीरे के पानी में मौजूद गुण पाचन शक्ति को बढ़ावा देते हैं और अपच में राहत प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में थोड़ा-सा जीरा मिलाकर पिएं। इससे आपके पाचन में सुधार हो सकता है और आप अच्छा महसूस कर सकते हैं।

3. पुदीना

पुदीना - पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

पुदीने में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसमें न केवल खाने का स्वाद बढ़ाने के गुण होते हैं, बल्कि पाचन को सुधारने की शक्ति भी होती है। पुदीना में एंटी-ऑक्सिडेंट्स और विटामिन्स मौजूद होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करते हैं। इससे गैस और एसिडिटी की समस्या में भी आराम मिलता है। पुदीना को पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा माना जाता है।

4. आहार में करें सुधार

आहार में करें सुधार - पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

आप पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए सही आहार का सेवन करें। इसके लिए आप अपनी डाइट में मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तीक्ष्ण को शामिल कर सकते हैं। इन रस का सेवन करने से पाचन को सुधारने में मदद मिलती है।

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5. त्रिफला

त्रिफला - पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

त्रिफला को पाचन शक्ति बढ़ाने की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसे 3 तरह की जड़ी-बूटी यानी कि आंवला, वित्रतकी और हरितकी से मिलाकर बनाया जाता है। ऐसे में त्रिफला पेट से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और साथ ही गैस और एसिडिटी में भी फायदा पहुंचाकर पाचन तंत्र को सुधारने का काम करता है।

6. जलपान

जलपान - पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

जल पीने से पाचन को सुधारने में बहुत मदद मिल सकती है। साफ पानी पीने से शारीरिक प्रक्रियाओं को सही से काम करने में मदद मिल सकती है और पाचन बेहतर हो सकता है। अच्छा और स्वच्छ जल पीने से शरीर में मौजूद गंदगी बाहर निकालने में मदद मिलती है।

7. योग और प्राणायाम

योग और प्राणायाम - पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

आयुर्वेद के अंदर योग और एक्सरसाइज  को पाचन तंत्र सुधारने में बहुत अच्छा माना गया है। योग और एक्सरसाइज करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।

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8. अविपत्तिकर चूर्ण

अविपत्तिकर चूर्ण - पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा

यह चूण भी आयुर्वेदिक दवा के रूप में काम करता है। इसका सेवन करने से एसिडिटी, गैस, भूख न लगने, बवासीर और पैशाब से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं। ये दवा डाइजेस्टिव सिस्टम में मौजूद अंगों पर असर दिखाती है और प्रभावी मानी जाती है। इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।

निष्कर्ष

तो जैसा कि आपने जाना कि पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा क्या होती है और इससे किस तरह से इलाज किया जा सकता है, लेकिन कुछ लोग पाचन शक्ति बढ़ाने की अंग्रेजी दवा लेकर कुछ वक्त के लिए आराम पा लेते हैं, लेकिन बाद में उन्हें फिर से कमजोर पाचन तंत्र की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप भी पाचन तंत्र से जुड़ी किसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं, तो इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह कर लें।

अगर आपको भी पाचन तंत्र कमजोर होने या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज आयु कर्मा में आकर करवा सकते हैं। आयु कर्मा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।

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