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अस्थमा का परमानेंट इलाज

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अस्थमा का परमानेंट इलाज

अस्थमा का परमानेंट इलाज

अस्थमा एक एक दीर्घकालिक और गंभीर श्वसन रोग है, इस समस्या में रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में श्वसन नलिकाएं संकुचित हो जाती हैं और फेफड़ों तक हवा का प्रवाह बाधित होता है। इससे व्यक्ति को बहुत सी दिक्कतें होती है जिसके विषय में हम आगे इस आर्टिकल में बताएंगे, आज के इस आर्टिकल में हम अस्थमा का परमानेंट इलाज के बारे में बताएंगे साथ ही इसके लक्षणों और कारणों पर भी बात करेंगे और हम जानेंगे अस्थमा के कुछ प्रभावी और परमानेंट घरेलू इलाज, जो न सिर्फ राहत देते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाते हैं। 

अस्थमा के लक्षण 

अस्थमा के कारण 

  • वातावरणीय प्रदूषण

  • एलर्जी

  • अनुवांशिक कारण

  • हार्मोनल परिवर्तन

  • श्वसन संक्रमण

  • भावनात्मक उत्तेजना

  • शारीरिक मेहनत

  • दवाइयां 

अस्थमा का घरेलू उपचार 

  1. अदरक

  2. तुलसी और शहद

  3. काली मिर्च और शहद 

  4. मुलेठी

  5. प्राणायाम और योग

 

  1. अदरक - सबसे पहले हम बात करेंगे अदरक की जो की हर भारतीय रसोई में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला एक प्रभावी औषधीय तत्व है, इसे ना केवल कहाने में बल्कि बहुत से घरेलू उपायों में भी इस्तेमाल किया जाता है, अस्थमा जैसी समस्या में श्वसन नलिकाओं में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। अदरक में मौजूद जिंजरोल नाम का यौगिक सूजन को कम करता है और वायुमार्ग को चौड़ा करने में मदद करता है। ये बलगम को भी पतला करता है और उसे फेफड़ों से बाहर निकालने में सहायता करता है, जिससे सीने में जकड़न कम होती है।

    अस्थमा का परमानेंट इलाज

 

  1. तुलसी और शहद - तुलसी और शहद दोनों ही बहुत आसानी से हमें मई जाते हैं, और दोनों में ही ऐसे प्रभावी गुण होते हैं जो केवल अस्थमा ही नहीं अन्य समस्याओं में भी काम आते हैं, तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, ये श्वसन तंत्र को संक्रमण से बचाते हैं और अस्थमा में फेफड़ों में जब सूजन या जाती है, तब तुलसी में मौजूद तत्व जैसे यूजेनॉल फेफड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। और शहद में एंजाइम्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को एलर्जी और संक्रमण से बचाते ये अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक है।
    तुलसी और शहद

 

  1. काली मिर्च और शहद - अस्थमा के उपचार में काली मिर्च और शहद का सेवन करना प्राकृतिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बेहद प्रभावी माना जाता है। इन दोनों में अपने विशेष गुण होते हैं जो मिलकर फेफड़ों को साफ करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं, काली मिर्च में मौजूद पाइपरीन नामक तत्व शरीर में फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है, जिससे फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान नहीं होता और इसमें सूजन को कम करने वाले तत्व भी होते हैं, जो अस्थमा में फेफड़ों की सूजन को शांत कर सकते हैं। और वहीं शहद एलर्जी और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और इस प्रकार दोनों मिलकर अस्थमा की स्थिति को पहले से बेहतर बनाते हैं। 
    अस्थमा का परमानेंट इलाज

 

  1. मुलेठी - मुलेठी को अस्थमा जैसी स्थिति में बहुत उपयोगी माना जाता है। इसमें ऐसे गुण होते हैं जो अस्थमा के कारण होने वाली फेफड़ों की सूजन, खांसी, बलगम, सांस की तकलीफ और गले की जलन में राहत देते हैं। यही नहीं इसमें ग्लाइसीरिज़िन नाम का तत्व होता है जो सूजन को कम करने में मदद करता है और सांस की नलियों को राहत देता है। इसमें एंटीहिस्टामीन प्रभाव होता है, जिससे यह शरीर की एलर्जिक प्रतिक्रिया को कम कर सकती है साथ ही मुलेठी में एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनाते हैं।
    अस्थमा का परमानेंट इलाज

 

  1. प्राणायाम और योग - हर समस्या के लिए एक आसान और प्रभावी इलाज के रूप में हम प्राणायाम और योग को देख सकते हैं। अगर हम बात करें अस्थमा की, तो इस समस्या में सांस लेने में कठिनाई होती है और नियमित प्राणायाम से फेफड़ों की ऑक्सीजन लेने और छोड़ने की क्षमता बढ़ती है। और अक्सर अस्थमा अटैक के दौरान लोग घबरा जाते हैं। प्राणायाम से आप अपनी सांसों को शांत और नियंत्रित रखना सीखते हैं और यदि हम बात करें योगासन की तो कुछ योगासन छाती को फैलाते हैं और फेफड़ों को अधिक जगह देते हैं जिससे सांस लेने में आसानी होती है। इस प्रकार ये प्राणायाम और योग अस्थमा जैसी समस्या में मददगार होते हैं।  
    अस्थमा का परमानेंट इलाज


 

आज के इस आर्टिकल में हमने अस्थमा का परमानेंट इलाज, और उसके घरेलू उपाय के बारे में, बात करी और आपने जाना की कैसे कुछ घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें अयुकर्मा के साथ।

 

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