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बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

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बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

बवासीर एक सामान्य लेकिन बेहद कष्टदायक रोग है, जो आजकल की गलत खानपान,  अनियमित जीवनशैली और पाचन तंत्र की गड़बड़ी के कारण तेजी से फैल रहा है। ये समस्या मलद्वार के अंदर या बाहर रक्त की नलिकाओं में सूजन के रूप में उभरता है, जिससे खुजली, दर्द, जलन और कभी-कभी रक्तस्राव जैसी समस्याएं होती हैं। लोग बहुत बार इस समस्या से परेशान होकर आधुनिक दवाइयों का सहारा ले लेते हैं, जिसके साइड इफेक्ट भी बहुत बार देखने को मिलते हैं, आज इस आर्टिकल में हम बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताएंगे साथ ही इसके लक्षणों और कारणों पर भी ध्यान देंगे क्योंकि आयुर्वेदिक चिकित्सा न केवल लक्षणों से राहत देती है, बल्कि रोग की जड़ को खत्म कर शरीर के संतुलन को फिर से स्थापित करने में मदद करती है।

बवासीर का लक्षण 

  • मल त्याग के समय खून आना - बवासीर में मस्सों के फटने से ताजा खून निकलता है।

  • दर्द और जलन - मस्सों में सूजन के कारण गुदा क्षेत्र में तेज दर्द और जलन होती है।

  • मलत्याग के बाद अधूरा अनुभव - आँतों में सूजन के कारण पूरी तरह मल साफ नहीं होने का अहसास होता है।

  • बैठने में परेशानी - मस्सों की सूजन और दर्द के कारण लंबे समय तक बैठना मुश्किल हो जाता है।

  • गुदा क्षेत्र में खुजली और जलन -  त्वचा में रगड़ और संक्रमण से खुजली व जलन होती है।

  • गुदा के आसपास गांठें - बवासीर में रक्तवृद्धि या सूजन के कारण गुदा के पास मस्से या गांठें बन जाती हैं।

बवासीर का कारण 

  • गलत खानपान - तीखा, तला-भुना और असंतुलित भोजन बवासीर की संभावना बढ़ाता है

  • कब्ज की समस्या - बार-बार जोर लगाने से गुदा की नसों पर दबाव पड़ता है जिससे मस्से बनते हैं।

  • अत्यधिक वजन उठाना -  भारी वजन उठाने से पेट की नसों पर दबाव बढ़ता है जो बवासीर को जन्म दे सकता है।

  • अनुवांशिकता - परिवार में किसी को बवासीर होने पर इसकी आशंका बढ़ जाती है।

  • कम फाइबर वाला आहार -  फाइबर की कमी से मल सख्त होता है और कब्ज की समस्या होती है।

  • शारीरिक गतिविधियों की कमी - अधिक समय तक बैठे रहने से रक्त संचार धीमा होता है जिससे गुदा क्षेत्र में सूजन आ सकती है।

  • जंक फूड और कम पानी पीना -  यह पाचन को खराब करता है और आंतों में सूखापन लाकर बवासीर को बढ़ावा देता है।

  • गलत खानपान – तीखा, तला-भुना और असंतुलित भोजन बवासीर की संभावना बढ़ाता है।

  • कब्ज की समस्या – बार-बार जोर लगाने से गुदा की नसों पर दबाव पड़ता है।

 बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

  1. अर्जुन की छाल - अर्जुन की छाल एक प्रमुख औषधीय पेड़ की छाल है, जिसे सदियों से हृदय रोगों से लेकर पाचन संबंधित समस्याओं तक में किया जाता रहा है। इसमें टैनिन, फ्लावोनॉइड्स, सैपोनिन्स, ग्लाइकोसाइड्स और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो बवासीर के इलाज में मदद करते हैं। यह छाल रक्त को साफ करने, रक्तस्राव को नियंत्रित करने और क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं को मजबूत करने में प्रभावी है। खासकर रक्तस्रावी बवासीर में अर्जुन की छाल अत्यंत उपयोगी मानी जाती है क्योंकि यह रक्तस्त्राव को रोकती है और मलत्याग के समय दर्द व जलन को भी कम करती है।
     
  2. त्रिफला चूर्ण - त्रिफला चूर्ण एक अत्यंत प्रभावशाली औषधि है, ये तीन प्रमुख फलों के मिश्रण से बनता है जैसे - हरड़, बेहड़ा और आंवला। इसकी खास बात ये है की ये आँतों को बिना किसी जलन या निर्जलीकरण के साफ करता है, जिससे मलत्याग आसान और दर्दरहित होता है। बवासीर में सबसे ज़्यादा परेशानी तब होती है जब मल सख्त होता है और उसे बाहर निकालने में जोर लगाना पड़ता है—जिससे मस्से और अधिक फूल जाते हैं या रक्तस्राव शुरू हो जाता है। त्रिफला इस पूरी प्रक्रिया को आसान और प्राकृतिक बना देता है।
     
  3. नागकेसर - नागकेसर का प्रयोग विशेष रूप से रक्तस्राव संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी माना गया है। ये शरीर में रक्तसंचार को संतुलित करता है, सूजन कम करता है, और आँतों की दीवारों को मजबूत करता है जिससे मस्से और ज्यादा नहीं बढ़ते। इसमें प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो बवासीर के कारण होने वाली जलन, दर्द और खुजली में भी राहत पहुंचाते हैं। इसके सेवन से ना केवल खून रुकता है बल्कि मस्से धीरे-धीरे सिकुड़ने लगते हैं और मल मार्ग की सूजन भी कम होती है।
     
  4. आंवला - आंवला एक असरदार फल है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत असरदार होता है, इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट्स, और फाइबर होते हैं जो बवासीर की जड़ कब्ज को दूर करने में सीधा असर दिखाते हैं। और बवासीर में जब मल सख्त हो जाता है, तो उसे बाहर निकालते समय मस्सों पर दबाव पड़ता है जिससे दर्द, सूजन और कभी-कभी खून भी आता है। आंवला का नियमित सेवन मल को नरम बनाता है और आंतों की गति को सुधरता है, जिससे मलत्याग आसान और बिना दबाव के हो पाता है। साथ ही, आंवला पाचन अग्नि को नियंत्रित करता है, अपच और गैस की समस्या से राहत देता है और आँतों में जमी गंदगी को बाहर निकालता है। इसका यह शुद्धिकरण प्रभाव बवासीर के इलाज में बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए बवासीर का घरेलू इलाज माना जा सकता है।
     
  5. घृतकुमारी - घृतकुमारी को एलोवेरा के नाम से जाना जाता है, इसका उपयोग आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की बवासीर में लाभदायक होता है, क्योंकि यह शरीर को भीतर से शीतलता, पाचन में सुधार और टिशूज़ को हील करने की ताकत देता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और ठंडक देने वाले गुण होते हैं, जो बवासीर के मस्सों में जलन और खुजली को शांत करते हैं। यदि बवासीर बाहरी रूप में हो, तो घृतकुमारी के गूदे को सीधे मस्सों पर लगाने से तत्काल राहत मिलती है। यह न केवल ठंडक देता है, बल्कि त्वचा को हील भी करता है और फटी हुई जगहों को भरने में मदद करता है। इसलिए एलोवेरा को खूनी बवासीर का देसी इलाज माना जाता है।

आज इस आर्टिकल में हमने बवासीर के लिए रामबाण आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताया और अगर आप सोच रहे हैं की बवासीर का इलाज बिना ऑपरेशन के कैसे हो सकता है तो आप इस आर्टिकल से जानकारी ले सकते हैं, लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें अयुकर्मा के साथ


FAQ
 

  • बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए क्या उपाय है? 

 

        बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए कब्ज को ठीक करें, फाइबरयुक्त आहार लें, त्रिफला या आंवला चूर्ण नियमित लें, पानी भरपूर पिएं, मसालेदार भोजन से परहेज करें, और आयुर्वेदिक औषधियाँ          जैसे नागकेसर, अर्जुन की छाल या घृतकुमारी का सेवन करें। जरूरत पड़ने पर वैद्य की सलाह लें।

  • बवासीर से तुरंत आराम कैसे पाएं?

         बवासीर से तुरंत आराम पाने के लिए ठंडे पानी की Sitz bath लें, घृतकुमारी (एलोवेरा) जेल मस्सों पर लगाएं, त्रिफला चूर्ण रात को लें, और तैलीय-तीखा भोजन तुरंत बंद करें। दर्द व सूजन में राहत के           लिए बर्फ की सेक भी कारगर है।

  • बवासीर के लिए कौन सी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी सबसे अच्छी है? 

        बवासीर के लिए त्रिफला, नागकेसर, अर्जुन की छाल, घृतकुमारी और हरड़ सबसे प्रभावशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ मानी जाती हैं।

  • कौन सा पौधा बवासीर को ठीक कर सकता है?

        बवासीर को ठीक करने में एलोवेरा पौधा सबसे प्रभावी है, क्योंकि यह सूजन, दर्द और कब्ज तीनों में राहत देता है।

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