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पेट में मरोड़ एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है, जो पाचन तंत्र में गड़बड़ी, गैस, कब्ज या संक्रमण जैसी कई वजहों से हो सकती है। इसका एक मुख्य कारण आधुनिक जीवनशैली और अधिक तनाव भी बनते जा रह हैं, बहुत से लोग इस समस्या से परेशान होकर जल्द ही दवाइयाँ लेना शुरू कर देते हैं, जिस वजह से बहुत से साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, लेकिन आयुर्वेदिक न केवल लक्षणों को दूर करता है, बल्कि शरीर के मूल दोषों को भी संतुलित कर समस्या की जड़ तक पहुंचता है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पेट में मरोड़ का आयुर्वेदिक इलाज की साथ ही इसके लक्षणों और कारणों पर भी विचार करेंगे।
पेट में ऐंठन- अचानक सिकुड़न जैसी पीड़ा जो पेट के किसी हिस्से में बार-बार महसूस होती है।
पेट में दर्द- हल्के से लेकर तेज़ तक का असहज अनुभव जो लगातार या रुक-रुक कर हो सकता है।
मतली और उल्टी- पेट खराब होने के कारण उल्टी जैसा महसूस होना या वास्तव में उल्टी हो जाना।
डायरिया- बार-बार पतला या पानी जैसा मल त्याग जो मरोड़ के साथ हो सकता है।
भूख न लगना- पेट की तकलीफ के कारण खाने की इच्छा में कमी आना।
गैस बनना या पेट फूलना- आंतों में गैस भरने के कारण पेट भारी और फूला हुआ लगना।
बुखार- अगर मरोड़ का कारण संक्रमण है, तो शरीर का तापमान बढ़ जाना।
गैस- पेट में गैस जमा होने से आंतों पर दबाव पड़ता है, जिससे मरोड़ होती है।
अपच: खाना सही से न पचने पर पेट भारी और ऐंठा हुआ महसूस होता है।
पानी की कमी- शरीर में तरल की कमी से पाचन धीमा हो जाता है, जिससे मरोड़ हो सकती है।
बासी खाना- खराब या पुराना खाना बैक्टीरिया बढ़ाता है, जो मरोड़ और दस्त का कारण बनता है।
कब्ज- मल जमा होने से आंतों में दबाव बढ़ता है, जिससे पेट में ऐंठन होती है।
तनाव या चिंता- मानसिक तनाव से आंतों की गति बिगड़ती है और मरोड़ शुरू हो सकती है।
पेट में संक्रमण- वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण से आंतों में सूजन और तेज मरोड़ होती है।
अजवाइन - अजवाइन पेट की मरोड़ के लिए बहुत ही प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय है, इसमें पाए जाने वाला मुख्य सक्रिय तत्व थायमॉल होता है, जो पेट में पाचन एंजाइमों के स्राव को बढ़ावा देता है। इससे भोजन जल्दी और सही तरह से पचता है, जिससे मरोड़ और गैस नहीं बनती। इसको गर्म पानी के साथ पीने से या अजवाइन का काढ़ा बनाकर लेने से यह पेट की ऐंठन को प्राकृतिक रूप से कम करता है। अजवाइन का यह प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों में भी देखा गया है, लेकिन मात्रा नियंत्रित रखना ज़रूरी है। मात्रा नियंत्रित रखने के बाद ये पेट में ऐंठन का देसी इलाज के रूप में सबसे अच्छा इलाज है।
सौंफ - सौंफ का सेवन लंबे समय से भारतीय घरों में भोजन के बाद किया जाता है, क्योंकि यह पाचन क्रिया को संतुलित करता है और गैस, सूजन व ऐंठन को कम करता है। यह गैस्ट्रिक एसिड को नियंत्रित करती है, जिससे पेट में जलन, गैस और फुलाव की समस्या नहीं होती। और ये इतनी जेन्टल होती है की इसे बच्चों के पेट में मरोड़ का इलाज भी हो सकता है, इसके अलावा जब पेट में गैस फंस जाती है तो अक्सर मरोड़ शुरू होती है ऐसे में सौंफ का गर्म पानी या काढ़ा पीना राहत देने वाला होता है इसलिए इसे पेट में मरोड़ और दर्द का घरेलू इलाज के तौर पर फायदेमंद माना जाता है।
त्रिफला - त्रिफला एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है, ये तीन फलों के मिश्रण से बनता है जैसे आंवला, हरड़ और बहेड़ा। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी प्राकृतिक रीति से आंतों की सफाई करने की क्षमता है। जब पेट में मल जमा हो जाता है या कब्ज हो जाती है, तो आंतों में दबाव के कारण मरोड़ शुरू हो सकती है। त्रिफला धीरे-धीरे और सुरक्षित तरीके से मल त्याग को नियमित करता है, जिससे मरोड़ की जड़ से राहत मिलती है।
सौंठ - सौंठ को सूखा अदरक भी कहा जाता है, यह पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और पेट में गैस, सूजन और ऐंठन जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। और अगर मरोड़ ठंड लगने, अपच या भारी भोजन की वजह से हो रही हो, तो सौंठ का सेवन तुरंत आराम देता है। इसे शहद या गुनगुने पानी के साथ लेने से इसका असर और भी तेज़ होता है। सौंठ शरीर में जमा विषाक्त तत्वों को भी बाहर निकालने में सहायक होती है, जिससे पेट की भीतरी सफाई होती है।
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया पेट में मरोड़ का आयुर्वेदिक इलाज तो अब अगर आपके मन में ये सवाल आए की पेट में मरोड़ होने पर क्या करें तो इसका आसान सा उत्तर है, हमारे द्वारा बताई गई इस पेट दर्द की आयुर्वेदिक दवा को जरूर अपनाएं, लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें अयुकर्मा के साथ।
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