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पीसीओडी टेस्ट कैसे होता है

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पीसीओडी टेस्ट कैसे होता है

आज कल के व्यस्त जीवन और तनावपूर्ण जीवनशैली में महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं सामने आ रही हैं, जिनमें से एक आम समस्या है पीसीओडी यानी Polycystic Ovarian Disease, यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर होता है, जो महिलाओं के प्रजनन तंत्र को प्रभावित करता है और समय रहते ही इसका पता चल जाना और सही जांच और डायग्नोसिस बहुत जरूरी है जिससे इसका इलाज संभव हो, आज इस आर्टिकल में हम बताएंगे पीसीओडी टेस्ट कैसे होता है साथ ही इसके लक्षणों और करणों पर भी ध्यान देंगे, ताकि महिलाएं समय पर कदम उठाकर अपने स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल कर सकें। 

पीसीओडी
 

पीसीओडी के लक्षण 

  • पीरियड्स का देर से आना 

  • अंडाशय में सिस्ट बनना

  • बालों का पतला होना या गंजापन

  • वजन बढ़ना

  • गर्भधारण में कठिनाई

  • मुंहासे और तैलीय त्वचा

  • डिप्रेशन या मूड स्विंग्स

  • अत्यधिक बाल वृद्धि

पीसीओडी के कारण 

  • हार्मोनल असंतुलन

  • आनुवंशिकता 

  • अस्वस्थ खान-पान

  • शारीरिक गतिविधि की कमी

  • मोटापा

  • अनियमित नींद 

  • तनाव

  • सिगरेट और शराब का सेवन 

पीसीओडी टेस्ट कैसे होता है

अगर आप ये सोच रहे हैं की PCOD जांच कैसे होती है और पीसीओडी का पता कैसे चले तो आप नीचे बताए गए इन तीन मुख्य टेस्ट से आप पीसीओडी का पता चला सकते हैं 

  1. ब्लड टेस्ट - पीसीओडी (PCOD) के ब्लड टेस्ट बहुत जरूरी होते हैं क्योंकि ये हार्मोनल असंतुलन, इंसुलिन रेजिस्टेंस, थायरॉइड फ़ंक्शन आदि का पता लगाने में मदद करते हैं। ये टेस्ट डॉक्टर को यह समझने में मदद करते हैं कि आपके लक्षणों का कारण क्या है और इलाज कैसे किया जाए। 

  2. अल्ट्रासाउंड - पीसीओडी (PCOD) की जांच में अल्ट्रासाउंड एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे अंडाशय की संरचना, सिस्ट की उपस्थिति और गर्भाशय की स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है।

  3. शारीरिक और मेडिकल हिस्ट्री जांच - पीसीओडी (PCOD) की सही पहचान के लिए शारीरिक जांच और मेडिकल हिस्ट्री की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह डॉक्टर को संकेत देता है कि किन टेस्ट्स की ज़रूरत है और समस्या कितनी गंभीर है।
     

पीसीओडी के घरेलू उपाय 
 

  1. संतुलित और स्वस्थ आहार - पीसीओडी की समस्या अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना, मुंहासे, बाल झड़ना और प्रजनन से जुड़ी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। इस स्थिति में केवल दवाइयाँ ही नहीं संतुलित और स्वस्थ आहार का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। सही आहार वजन को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, और पीसीओडी में वजन कम करना कई लक्षणों को काफी हद तक सुधार सकता है। संतुलित भोजन से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, जिससे शरीर की ऊर्जा बनी रहती है और थकान कम महसूस होती है। साथ ही, यह ओवुलेशन को नियमित करने में भी सहायक हो सकता है, जिससे प्रजनन क्षमता बेहतर होती है।
    मेथी

  2. मेथी दाना - मेथी दाना पीसीओडी के प्रबंधन में एक प्राकृतिक और प्रभावशाली उपाय माना जाता है। सबसे पहले, मेथी दाना इंसुलिन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता को बढ़ाता है। पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं में अक्सर इंसुलिन रेजिस्टेंस देखने को मिलता है, जिससे शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है और यह एंड्रोजन्स (मेल हार्मोन) को अधिक मात्रा में उत्पन्न करने के लिए ट्रिगर करता है। दूसरा, यह मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करता है, जिससे वजन कम करने में सहूलियत होती है। पीसीओडी से ग्रस्त महिलाएं अक्सर वजन बढ़ने की समस्या से जूझती हैं, और वजन घटाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा मेथी दाना ओवरीज़ के कामकाज को संतुलित करने में भी मदद करता है। कुछ रिसर्च यह संकेत देती हैं कि मेथी के बीज ओवरी के सिस्ट्स को कम करने और मासिक धर्म को नियमित करने में सहायक हो सकते हैं।
    अलसी के बीज

  3. अलसी के बीज -  पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर के लक्षणों को प्रबंधित करने में अलसी के बीज बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। अलसी में लिगनन नामक एक यौगिक पाया जाता है, जो शरीर में अतिरिक्त एंड्रोजन्स के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। यह लिगनन शरीर के हार्मोन रिसेप्टर्स के साथ प्रतिस्पर्धा करता है, जिससे टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर में सूजन को कम करने में सहायक होती है। पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं में अक्सर शरीर में सूजन या इंफ्लेमेशन की स्थिति बनी रहती है, जो स्थिति को और बिगाड़ सकती है। अलसी के बीज इस सूजन को कम करके शरीर के हार्मोनल संतुलन को बेहतर बनाने का काम करते हैं।
    तनाव कम

  4. तनाव कम करें -  तनाव कम करना पीसीओडी के इलाज के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि जब शरीर बार-बार या लंबे समय तक तनाव में रहता है, तो वह कॉर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का उत्पादन करता है। यह हार्मोन शरीर के अन्य हार्मोन को प्रभावित करता है, खासकर इंसुलिन और प्रजनन से जुड़े हार्मोन को। यही असंतुलन आगे चलकर पीसीओडी को और जटिल बना सकता है। इसलिए तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन, योग, गहरी साँसों के अभ्यास, प्रकृति के संपर्क में रहना, मनपसंद गतिविधियाँ करना, और जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग लेना बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह सब सिर्फ मानसिक राहत ही नहीं देते, बल्कि शरीर के भीतर चल रही हार्मोनल गतिविधियों को भी संतुलित करने में मदद करते हैं।

आज इस आर्टिकल में हमने बताया पीसीओडी टेस्ट कैसे होता है और आपने जाना की कैसे कुछ आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप केवल इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, और ऐसे ही आर्टिकल और ब्लॉग्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।

 

FAQ


पीसीओडी चेक करने के लिए कौन सा टेस्ट होता है?

पीसीओडी चेक करने के लिए मुख्यतः अल्ट्रासाउंड (Pelvic Ultrasound) और हार्मोन ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। ब्लड टेस्ट में AMH, LH, FSH, टेस्टोस्टेरोन, थाइरॉइड और इंसुलिन लेवल चेक किया जाता है।

PCOS दर्द कहाँ स्थित है?
PCOS का दर्द अक्सर पेट के निचले हिस्से यानी पेल्विक क्षेत्र में होता है।

 

पीसीओडी कौन सी बीमारी है?
पीसीओडी एक हार्मोनल विकार है जिसमें महिलाओं के अंडाशय में कई छोटे सिस्ट बन जाते हैं और हार्मोन असंतुलन होता है।

 

पीसीओएस के 5 लक्षण क्या हैं?
अनियमित माहवारी, वजन बढ़ना, चेहरे और शरीर पर अधिक बाल आना, मुंहासे और बालों का झड़ना, पीसीओएस के 5 मुख्य लक्षण हैं।

 

 

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