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साइनस का आयुर्वेदिक इलाज

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साइनस का आयुर्वेदिक इलाज

साइनस का आयुर्वेदिक इलाज 

बढ़ते प्रदूषण, बदलते मौसम और अनियमित जीवनशैली के कारण साइनस की समस्या एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जिसमें नाक बंद, सिरदर्द और छींकें जैसी समस्याएं नजर आती है, बहुत से लोग इस समस्या से जल्दी इलाज पाने के लिए एलोपैथिक दवाइयों का सहारा लेते हैं जो अक्सर अस्थायी रूप से राहत देती हैं, वहीं अगर हम बात करें आयुर्वेदिक चिकित्सा की तो इसमें समस्या की जड़ तक जाकर इलाज करने का दावा किया जाता है। आज इस आर्टिकल में हम साइनस का आयुर्वेदिक इलाज / sinusitis treatment in ayurveda के बारे में बताएंगे साथ इसके लक्षणों और कारणों पर भी ध्यान देंगे, जिससे आपको बिना किसी साइड इफेक्ट के अच्छा इलाज मिल सके। 

    साइनस के लक्षण

  • नाक बंद होना 

  • नाक से स्राव 

  • चेहरे में दर्द या दबाव 

  • सिरदर्द 

  • गंध और स्वाद में कमी 

  • खांसी या बलगम 

  • गले में खराश या जलन 

  • बुखार  

    साइनस के कारण

  • वायरल संक्रमण

  • बैक्टीरियल संक्रमण

  • एलर्जी 

  • धुआं और प्रदूषण

  • नाक की रुकावट

  • बार-बार सर्दी लगना

साइनस का आयुर्वेदिक इलाज 

  1. तुलसी - तुलसी को अत्यंत प्रभावशाली और पवित्र औषधि मानी जाती है। क्योंकि यह शरीर के कफ दोष को संतुलित करती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और नाक तथा साइनस की सूजन को कम करती है। इसलिए जब साइनस के कारण नाक में बलगम जम जाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और सिर भारी लगता है। तुलसी में कफ निकालने के प्राकृतिक गुण होते हैं। इसका सेवन करने से जमे हुए बलगम को ढीला करने में मदद मिलती है, जिससे वह आसानी से बाहर निकल जाता है।
    तुलसी

     
  2. अदरक - अदरक लगभग हर घर की आम सब्जी है पर इसे शक्तिशाली औषधीय जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह न केवल बलगम को कम करता है बल्कि संक्रमण, सूजन और दर्द को भी दूर करने की क्षमता रखता है। इसमें ‘जिंजरॉल’ नाम का एक सक्रिय यौगिक होता है, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। यह तत्व एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है, जो साइनस संक्रमण के मूल कारण वायरस या बैक्टीरिया को जड़ से खत्म करने में सहायक होता है। यही कारण है कि अदरक का नियमित सेवन साइनस के बार-बार होने वाली समस्याओं को भी रोक सकता है।

    अदरक

     
  3. त्रिफला - त्रिफला आयुर्वेद की एक अद्भुत जड़ी-बूटी है, जिसे 3 फलों के मिश्रण से बनाया जाता है जैसे हरड़, बहेड़ा और आंवला। साइनस में अक्सर शरीर में कफ दोष की अधिकता होती है, जो बलगम के जमाव का कारण बनती है और यही बलगम का जमाव साइनस कैविटीज़ में सूजन और दबाव पैदा करता है, जिससे नाक बंद होना, सिरदर्द और चेहरे में दर्द जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। ऐसी स्तिथि में त्रिफला का सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है। जब पाचन ठीक रहता है, तो शरीर में कफ दोष कम होता है, जिससे बलगम का उत्पादन नियंत्रित होता है और नाक के मार्ग साफ़ होते हैं।
    त्रिफला

     
  4. कपूर और अजवाइन - कपूर और अजवाइन दोनों का ही आयुर्वेद में बहुत विशेष स्थान है, क्योंकि साइनस में मुख्य समस्या बलगम के जमाव और नाक की रुकावट की होती है, जो सिरदर्द, चेहरे में भारीपन और सांस लेने में कठिनाई का कारण बनती है। ऐसे में कपूर और अजवाइन एक प्राकृतिक डी-कंजेस्टेंट की तरह काम करते हैं। इन दोनों का मिश्रण साइनस में तुरंत आराम देने वाला एक सरल और प्रभावशाली घरेलू उपाय बन जाता है। कपूर और अजवाइन को एक साफ सूती कपड़े में बांधकर जब आप इसे सूंघते हैं, तो इसकी तीव्र सुगंध श्वसन तंत्र को खोलती है, बलगम को ढीला करती है और नाक के भीतर की सूजन को घटाती है। इसी तरह, यदि इन्हें गर्म पानी में डालकर भाप ली जाए, तो वह गर्मी साइनस कैविटीज़ तक पहुंचती है और अंदर की गहराई से सफाई करती है।

    हल्दी

     
  5. हल्दी - हल्दी हर घर में पाई जाती है, पर सबका ये जानना बहुत जरूरी है की आयुर्वेद में ये प्रभावी औषधियों में से एक है। हल्दी की प्रकृति गर्म होती है, जो कि आयुर्वेद में कफ दोष को संतुलित करने के लिए आदर्श मानी जाती है। साइनस में जमा हुआ बलगम ठंडा और भारी होता है, जो सिरदर्द, नाक बंद होने और भारीपन का कारण बनता है। हल्दी शरीर में गर्मी उत्पन्न करती है और उस बलगम को पिघलाकर उसे बाहर निकालने में सहायता करती है। साथ ही, यह फेफड़ों और श्वसन तंत्र को भी शुद्ध करती है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में आसानी होती है।

आज इस आर्टिकल में हमने बताया साइनस का आयुर्वेदिक इलाज / sinusitis treatment in ayurveda और आपने जाना की कैसे कुछ आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप केवल इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, और ऐसे ही आर्टिकल और ब्लॉग्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।
 

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