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किडनी के सिकुड़ने का इलाज

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किडनी हमारे शरीर का बहुत अहम अंग है, जो खून को फ़िल्टर कर टॉक्सिन को बाहर निकालता है, और शरीर में पानी तथा खनिज संतुलन बनाए रखता है। पर अगर किसी वजह से किडनी सिकुड़ने लगती है, तो इसका सीधा असर शरीर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है और इस समस्या का पता तुरंत नहीं चलता है क्योंकि ये स्थिति धीरे-धीरे बढ़ने वाली होती है और जब तक इसका पता चलता है तब तक लक्षण गंभीर हो जाते हैं। आज इस आर्टिकल में हम किडनी के सिकुड़ने का इलाज के बारे में बताएंगे साथ ही इसके लक्षणों और कारणों पर ध्यान देंगे। जिसे हम विस्तार से जानेंगे कि किडनी सिकुड़ने के क्या कारण हैं, इसके लक्षण कैसे पहचानें, और आयुर्वेदिक चिकित्सा व घरेलू उपायों से इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।

किडनी के सिकुड़ने के लक्षण 

  • थकान और कमजोरी
  • त्वचा में खुजली या रूखापन
  • सांस लेने में कठिनाई
  • नींद की समस्या
  • पेशाब में बदलाव
  • भूख न लगना
  • पेशाब में जलन
  • पेशाब का रंग गाढ़ा होना 
  • ध्यान न लगना

किडनी के सिकुड़ने के कारण 

  • उच्च रक्तचाप
  • मधुमेह
  • यूरिनरी ट्रैक्ट ब्लॉकेज
  • दवा या टॉक्सिन का प्रभाव
  • ब्लड फ्लो में कमी
  • कम रक्त की आपूर्ति
  • पॉलीसिस्टिक किडनी रोग

किडनी के सिकुड़ने का इलाज

  1. भृंगराज
  2. गुड़मार
  3. रक्तचाप और ब्लड शुगर नियंत्रण
  4. पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं
  5. गोखरू

 

  1. भृंगराज - भृंगराज का इस्तेमाल आयुर्वेद में काफी लंबे समय से किया जाता है, और किडनी के सिकुड़ने की स्थिति में भी भृंगराज काफी तरह से मदद कर सकता है। भृंगराज में मौजूद ऐक्टिव कम्पाउन्ड किडनी की सूजन को कम करने और टिशू के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, भृंगराज में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करके ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस घटाने में मदद करते हैं, और यह किडनी के क्षतिग्रस्त ऊतकों को सुधारने में सहायक हो सकता है।

 

  1. गुड़मार - गुड़मार को आयुर्वेद में  मधुनाशिनी भी कहा जाता है। जिसका मतलब है, चीनी को नष्ट करने वाली। जिसे ये मुख्य रूप से मधुमेह, मोटापा और मूत्र संबंधी विकारों में उपयोग किया जाता है, और किडनी सिकुड़ने की स्थिति में भी यह सीधा इलाज नहीं है, लेकिन यह कुछ हद तक किडनी की कार्यक्षमता को सहारा देने और डायबिटीज या टॉक्सिन से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि गुड़मार लिपिड मेटाबॉलिज़्म यानी वसा के चयापचय को संतुलित करने में मदद करती है, जिससे शरीर में वसा और कोलेस्ट्रॉल का जमाव घटता है। यह असर रक्त संचार को बेहतर बनाता है और किडनी के ऊतकों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति सुधारता है, जो सिकुड़न या डैमेज को धीमा करने में मदद कर सकता है। इसलिए गुड़मार को किडनी सिकुड़ने की आयुर्वेदिक दवा भी कहा जाता है। 

 

  1. रक्तचाप और ब्लड शुगर नियंत्रण - किडनी के सिकुड़ने के इलाज में ब्लड प्रेशरऔर ब्लड शुगर नियंत्रण सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि ये दोनों ही कारण किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं। क्योंकि जब ब्लड प्रेशर लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तो किडनी की छोटी-छोटी रक्त नलिकाओं पर ज़्यादा दबाव पड़ता है, जिससे वे कमजोर होने लगती हैं। लेकिन अगर ब्लड प्रेशर सामान्य रहे, तो इन नलिकाओं पर दबाव नहीं पड़ता और किडनी के टिश्यू और नेफ्रॉन सही तरह से काम करते रहते हैं। और अगर हम बात करें ब्लड शुगर की तो ब्लड शुगर का असंतुलन भी किडनी को गहराई से प्रभावित करता है। क्योंकि जब शुगर का स्तर लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तो ग्लूकोज़ रक्त के साथ किडनी की नलिकाओं से होकर गुजरता है और उनकी दीवारों को नुकसान पहुँचाता है। लेकिन जब ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है, तो ग्लूकोज़ किडनी की कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुँचा पाता और उनकी कार्यक्षमता लंबे समय तक बनी रहती है। इसलिए इन दोनों से बचना बहुत जरूरी है, और इसका ख्याल केवल दवाओं से नहीं बल्कि सही खान-पान, पर्याप्त जल सेवन, नियमित व्यायाम और तनाव नियंत्रण से भी संभव होता है।

 

  1. पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं - किडनी के सिकुड़ने की स्थिति में पानी पीना सबसे आसान और कारगर उपाय है, क्योंकि इस समय शरीर में पानी की सही मात्रा बनाए रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि अगर किडनी को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलेगा तो बहुत सी समस्याएं आ सकती है जैसे, खून गाढ़ा हो जाता है और किडनी को उसे छानने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे उसकी कोशिकाओं पर बोझ बढ़ जाता है। और जब शरीर में पर्याप्त पानी होता है, तो किडनी को अपशिष्ट पदार्थों और विषैले तत्वों को निकालने में आसानी होती है। इसलिए उचित मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी है पर यह ध्यान रखना जरूरी है कि अगर किडनी बहुत ज़्यादा कमजोर हो चुकी है या डॉक्टर ने तरल पदार्थ की मात्रा सीमित रखने की सलाह दी है, तो अपनी मर्ज़ी से पानी ज़्यादा नहीं पीना चाहिए। इसलिए इसे किडनी सिकुड़ने का घरेलू इलाज भी कहा जाता है। 

 

  1. गोखरू - गोखरू एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसे विशेष रूप से मूत्र और किडनी संबंधी समस्याओं में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्राकृतिक डाययूरेटिक गुण होते हैं, जो शरीर में जमा अतिरिक्त पानी और नमक को निकालने में मदद करते हैं। यह प्रक्रिया रक्तचाप को संतुलित रखने में भी सहायता करती है, क्योंकि जब शरीर में सोडियम और तरल पदार्थ की मात्रा नियंत्रित रहती है, तो किडनी पर दबाव घटता है। इसलिए गोखरू किडनी को शुद्ध करने, सूजन घटाने, मूत्र मार्ग को स्वस्थ रखने और किडनी के ऊतकों को पोषण देने में सहायक जड़ी-बूटी है, जो सिकुड़न की प्रक्रिया को धीमा करने और किडनी को राहत देने में मदद कर सकती है।

आज इस आर्टिकल में हमने बताया किडनी के सिकुड़ने का इलाज, और आपने जाना की कैसे कुछ आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप केवल इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, और ऐसे ही आर्टिकल और ब्लॉग्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।

FAQ

किडनी सिकुड़ने के क्या लक्षण हैं? 

किडनी सिकुड़ने पर पेशाब कम या झागदार हो सकता है, पैरों या चेहरे पर सूजन आ सकती है, कमर या पीठ में दर्द महसूस हो सकता है, थकान, कमजोरी, भूख न लगना, उल्टी या मिचली जैसे लक्षण दिख सकते हैं, और ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है। इसकी पुष्टि के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।

क्या सिकुड़ती किडनी को पुनर्जीवित किया जा सकता है?

सिकुड़ी हुई किडनी को पूरी तरह पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता, लेकिन शुरुआती अवस्था में इलाज और सही नियंत्रण से उसकी बचाव व कार्यक्षमता कुछ हद तक सुधारी जा सकती है।

कौन सी जड़ी बूटियां किडनी को फिर से जीवंत करती हैं? 

सिकुड़ी हुई किडनी को पूरी तरह पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता, लेकिन शुरुआती अवस्था में इलाज और सही नियंत्रण से उसकी बचाव व कार्यक्षमता कुछ हद तक सुधारी जा सकती है।

 

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