आपकी सभी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए विशेषज्ञ स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा अनुशंसित आयुर्वेदिक उपचार, उपचार और सलाह
ब्रेस्ट की गांठ किसी भी प्रकार की हो लेकिन यह लोगों को परेशानी में डाल ही देती है। खास कर तब जब यह गांठ कैंसर वाली हो। ब्रेस्ट की गांठे कई प्रकार की होती हैं,जो सिर्फ महिलाओं में नहीं ,पुरुषों में भी हो सकती हैं। इन गांठों की सही समय पर पहचान करना और इनका उपचार करना जरूरी है। आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे की ब्रेस्ट में गांठ कितने प्रकार की होती है ? कौन सी गांठ जान लेवा हो सकती है और कौन सी नहीं। ब्रेस्ट में गांठ को लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं। जिनमें से एक सवाल यह भी होता है कि हर ब्रेस्ट की गांठ में दर्द होता है क्या ? ब्रेस्ट में होने वाली हर गांठ क्या कैंसर वाली गांठ होती है ? तो हम आपको बताते दें की ऐसा नहीं है। ब्रेस्ट में होने वाली हर गांठ दर्दनाक और कैंसर युक्त जानलेवा नहीं होती। गांठों के उपचार से पहले चलिए आपको बताते हैं कि यह गांठे कितने प्रकार की होती हैं।
1) गाइनिकोमैस्टिया : गाइनिकोमैस्टिया पर्टिकुलर कोई गांठ नहीं है, बल्कि यह पुरुषों में बढ़ते हुए टिशू है। जिससे उनके स्तनों के आकार बढ़ जाते हैं। नीचे निपल की ओर उन्हें गांठ सा महसूस होता है। ये एक या दोनों ब्रेस्ट में सो हो सकते हैं। आमतौर पर यह हार्मोन इंबैलेंस की वजह से होता है। इसे मैन बूब्स के नाम से भी जाना जाता है। इसमें व्यक्ति को दर्द हो भी सकता है और नहीं भी।
2) फैटी गांठ (Lipoma) : 'Lipoma" यह पुरुषों और महिलाओं में होने वाली एक ऐसी गांठ है जो स्किन के नीचे चर्बी जमा होने से बनती है। इसीलिए इसे फैटी गांठ भी कहा जाता है। यह गांठ धीरे-धीरे बढ़ती है और नरम होती है। यह गांठ छूने पर हिलने-डुलने वाली होती है। ज्यादातर मामलों में यह गांठ कैंसर वाली नहीं होती। इसे सौम्य (benign) गांठ भी कहा जाता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती हैं। कभी- कभी यह ब्रेस्ट में टिशू के नीचे भी होती है। इस गांठ में दर्द नहीं होता।
3) ब्रेस्ट सिस्ट : ब्रेस्ट सिस्ट, जिसे स्तन पुटी भी कहा जाता है। यह ब्रेस्ट में fluids से भरी एक थैली होती है। ये गांठ के रूप में महसूस हो सकती है। आमतौर पर यह गांठे दर्द वाली नहीं होती लेकिन कुछ मामलों में दर्द हो सकता है । ज्यादातर यह गांठे कैंसर रहित होती हैं। ज्यादातर 30 से 50 साल के लोगों में इस तरह की गांठे होती हैं, खासकर महिलाओं में ।
4) इंफेक्शन या एब्सेस से होने वाली ब्रेस्ट में गांठ: जब ब्रेस्ट टिशू में बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाता है,तब वहां पर सूजन आ जाती है और मवाद जमा हो जाता है। जिससे गांठ जैसी सख्ती महसूस होने लगती है। इसे ब्रेस्ट एब्सेस कहा जाता है। इसे छूने पर गर्माहट और दर्द महसूस होता है। रोगी को बुखार और कमजोरी भी हो सकती है। कभी-कभी मवाद भी बाहर निकलने लगता है।
5) मैलिग्नेंट गांठ : इस तरह की होने वाली गाठों में शुरुआती स्टेज में अक्सर बिल्कुल दर्द नहीं होता, लेकिन समय के साथ स्किन या नसों पर असर पड़े तो दर्द हो सकता है।
यह गांठ कैंसर सेल्स से बनी होती है ,जो तेजी से बढ़ती हैं और आसपास के टिशू को खत्म कर सकती हैं। यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकती है- जैसे लिवर, फेफड़े, हड्डियां आदि। मैलिग्नेंट गांठ सख्त होती है। इसका आकार छोटा या बड़ा हो सकता है। यह स्किन से चिपकी हुई होती है। कुछ मामलों में निपल से खून भी निकल सकता है।
ब्रेस्ट में होने वाली इन गाठों को आयुर्वेद में ग्रंथि कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार ब्रेस्ट या शरीर में इस तरह की गाठें "त्रिदोष" यानि वात पित कफ का बैलेंस बिगड़ने से होती है। खासकर कफ दोष और मेद धातु की वृद्धि से। अगर कोई गांठ लाल है, उसमें सूजन और गर्माहट है तो इसके पीछे पित दोष एक कारण माना जाता है। गांठे किसी भी प्रकार की हो लेकिन इनका सही समय पर उपचार करना जरूरी है। अब चलिए हम आपको बताते हैं कि किन आयुर्वेदिक औषधियों और तरीकों के माध्यम से आप इन गांठों से छुटकारा पा सकते हैं।
1) पथ्य-आहार: सही और संतुलित भोजन ब्रेस्ट में होने वाली गांठों को सीधे तौर पर तो खत्म नहीं करता, लेकिन गांठों की वजहों और कारणों को जरूर कम करता है और गांठों को बढ़ने से रोकता है। पथ्य-आहार के अंदर आप हल्का, सुपाच्य भोजन लें जिसमें आप दलिया, मूंग दाल, हरी सब्जियां खाएं। हल्दी, गिलोय, नीम, तुलसी का सेवन करें और तेल, ज्यादा नमक ,मीठे वाली चीजों से बचें।
2) आयुर्वेदिक औषधियां : आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की देख रेख में आप कंचनार गुग्गुल,,त्रिफला चूर्ण,गिलोय, घनवटी,हल्दी दूध जैसी आयुर्वेदिक औषधियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। कंचनार गुग्गुल और त्रिफला चूर्ण कफ और मेद धातु को कम करता है, हार्मोनल सूजन घटाता है। पुरुषों में मोटापे और हार्मोनल बदलाव की वजह से होने वाली गाइनिकोमैस्टिया गांठ में यह काफी फायदेमंद है। कंचनार गुग्गुल और त्रिफला आयुर्वेदिक औषधि पुरुष छाती में गांठ का इलाज बढ़िया तरीके से करती है।
3) बाहरी आयुर्वेदिक उपचार : ब्रेस्ट में गांठ पड़ने पर आप नीम के पत्तों का लेप लगा सकते हैं। यह एंटीबैक्टीरियल है और सूजन को कम करता है। इसके अलावा हल्दी सरसों के तेल का लेप भी आप लगा सकते हैं यह सूजन और दर्द में लाभकारी है। गुनगुने पानी की सिकाई करने पर आप दर्द और सूजन में आराम पा सकते हैं।
4) जीवनशैली : ब्रेस्ट में होने वाली गांठे आपके खराब लाइफस्टाइल की वजह से भी हो सकती हैं। जिसे सुधारने की जरूरत है। रोजाना हल्का व्यायाम या योग करें। सही से पूरी नींद लें और स्ट्रेस न लेने की कोशिश करें। जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं वे दूध को सही ढंग से बच्चे को पिलाते हुए निकालें।
आज के इस ब्लॉग में हमने स्तन गांठ की पहचान और प्रकार के बारे में जाना ,ये भी जाना कि ब्रेस्ट में गांठ कितने प्रकार की होती है ? कौन सी गाठें दर्द वाली होती हैं और कौन सी नहीं। ये गांठे ब्रेस्ट में आखिर किन कारणों से होती हैं और इन पर कैसे कंट्रोल पाया जा सकता हैं ,इस बारे में ब्लॉग के लेख में हमने अच्छे से चर्चा की। अंत में हमने ऐसे आयुर्वेदिक तरीकों और औषधियों के बारे में भी जानकारी दी, जिनसे आप ब्रेस्ट में होने वाली गांठों और उनके दर्द से राहत पा सकते हैं। इन तरीकों और औषधियों को अपनाकर आप गांठों से होने वाली गंभीर बीमारियों को भी टाल सकते हैं।
ध्यान रहे गांठे छोटी -बड़ी दर्द वाली या बिना दर्द वाली कैसी भी हों समय पर उनकी पहचान कर उनका उपचार करना आपके लिए जरूरी है। जिससे अनैच्छिक खतरे से बचा जा सके। इसीलिए जरूरी है कि आप इन आयुर्वेदिक तरीकों और औषधियों को किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की देख रेख में ही अपनाएं। इस तरह की गांठों से अपने आपको सुरक्षित रखें और अपना ध्यान रखें। मिलते हैं अगले ब्लॉग में कुछ और हेल्थ टिप्स के साथ।
FAQ
नहीं ऐसा नहीं है कि हर गांठ कैंसर वाली हो ,लेकिन पुष्टि के लिए जांच जरूरी है।
यह इम्युनिटी बढाती है और सूजन कम करती है
नहीं, अगर गांठ का कारण कैंसर या इन्फेक्शन है तो मालिश हानिकारक हो सकती है।
हां , लेकिन एक्सपर्ट की देखरेख में, ताकि दवाओं का असर एक-दूसरे पर न पड़े।
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