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गठिया बाय का रामबाण इलाज In English

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गठिया बाय का रामबाण इलाज in English

गठिया बाय का रामबाण इलाज

गठिया बाय एक ऐसी गंभीर और पीड़ादायक बीमारी है, ये जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न पैदा करती है। ये समस्या धीरे-धीरे व्यक्ति की चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करता है, और व्यक्ति के दैनिक जीवन को कठिन बना सकता है। बहुत से लोग जल्द ही राहत पाने के लिए आधुनिक दवाइयों का सहारा लेते हैं, पर फिर भी बहुत बार आराम नहीं मिल पाता है, वहीं अगर हम बात करें आयुर्वेद और जीवनशैली में बदलाव के ज़रिए इस बीमारी को जड़ से ठीक करने की दिशा में कदम उठाया जा सकता है। आज इस आर्टिकल में हम गठिया बाय का रामबाण इलाज के बारे में जानेंगे और क्या गठिया का इलाज संभव है? इस प्रश्न का भी उत्तर देंगे साथ ही इसके लक्षणों और कारणों पर भी ध्यान देंगे।

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गठिया बाय का लक्षण 

  • जोड़ों की गति में कमी - जोड़ों को मोड़ने, फैलाने या सामान्य रूप से हिलाने में कठिनाई।

  • पैरों में दर्द और सूजन - सुबह उठने पर जोड़ों में अकड़न और चलने में कठिनाई महसूस होना। 

  • गर्मी और लालिमा - सूजे हुए जोड़ों पर हल्का गर्म और लाल रंग नजर आ सकता है।

  • भूख में कमी - शरीर में सूजन और दर्द के कारण भूख कम लगना आम है।

  • जोड़ों में सूजन - जोड़ों में सूजन विशेषकर उंगलियों, कलाई, घुटनों और टखनों में।

  • दोनों ओर के जोड़ों में समान लक्षण - गठिया बाय की खास पहचान है कि यह दोनों हाथों या पैरों में एक साथ समान जोड़ों को प्रभावित करता है।
     

गठिया बाय का कारण 

  • आनुवंशिकता - अगर परिवार में किसी को गठिया बाय है, तो इसकी संभावना अधिक हो जाती है।

  • वायरस या संक्रमण - कुछ बैक्टीरिया या वायरस शरीर में इम्यून सिस्टम को भटका सकते हैं, जिससे यह जोड़ों पर हमला करने लगती है।

  • महिलाओं में हार्मोनल बदलाव -  महिलाओं में हार्मोनल बदलाव जैसे प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज़ के दौरान यह रोग ज्यादा देखने को मिलता है।

  • तंबाकू और धूम्रपान सेवन -  तंबाकू और धूम्रपान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है और गठिया बाय का जोखिम बढ़ाता है।

  • मोटापा और खराब जीवनशैली - अधिक वजन जोड़ों पर दबाव डालता है और शरीर में सूजन को बढ़ावा देता है।

  • मानसिक और शारीरिक तनाव -  लंबे समय तक तनाव इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है।
     

गठिया रोग का रामबाण इलाज

  1. निर्गुंडी
  2. पुनर्नवा
  3. गुग्गुलु
  4. अश्वगंधा 
  5. हल्दी और दूध

 

  1. निर्गुंडी - निर्गुंडी गठिया बाय के इलाज में एक अत्यंत प्रभावशाली और प्राकृतिक औषधि मानी जाती है। निर्गुंडी की तासीर गर्म होती है, जो वात दोष को संतुलित करने में मदद करती है। इसमें प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी, एनाल्जेसिक और मांसपेशियों को शांत करने वाले गुण पाए जाते हैं। जो जोड़ों के आसपास जमा हुए टॉक्सिन को निकालने में भी मदद करती है, और बस यही नहीं गठिया बाय के रोगी अगर रोज सुबह-शाम निर्गुंडी तेल से प्रभावित जोड़ों पर हल्के हाथों से मालिश करें, और साथ ही निर्गुंडी का काढ़ा पीना शुरू करें, तो धीरे-धीरे चलने-फिरने की क्षमता बेहतर हो सकती है और दवाओं पर निर्भरता कम हो सकती है।

    पुनर्नवा

     
  2. पुनर्नवा - पुनर्नवा बहुत ही शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है, गठिया बाय जैसे वात-प्रमुख रोगों में पुनर्नवा का प्रयोग बेहद लाभकारी माना गया है। यह जड़ी-बूटी शरीर को भीतर से शुद्ध करने, सूजन कम करने और जोड़ों को हल्का और सक्रिय बनाए रखने में मदद करती है। साथ ही पुनर्नवा लिवर और किडनी को भी सक्रिय करता है, जिससे शरीर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया तेज होती है। गठिया बाय में अक्सर यह देखा गया है कि जब शरीर सही ढंग से टॉक्सिन्स को बाहर नहीं निकाल पाता, तब सूजन और दर्द बार-बार लौटते हैं। पुनर्नवा इस स्तिथि को सुधारता है और रोग को मूल कारण से ठीक करने में सहायक बनता है।
    गुग्गुलु


 

  1. गुग्गुलु - गुग्गुलु बहुत प्रभावशाली आयुर्वेदिक औषधि है, इसका मुख्य गुण है—वात दोष को संतुलित करना, शरीर में जमी विषाक्तता को नष्ट करना, और सूजन व दर्द को प्राकृतिक रूप से कम करना। इसमें प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के दर्द को शांत करते हैं और सूजन को नियंत्रित करते हैं और इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह लक्षणों से लड़ने के बजाय रोग की जड़ पर वार करता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार जब तक शरीर से टॉक्सिन्स पूरी तरह नहीं निकलता, तब तक वात रोग बार-बार लौटता है। गुग्गुलु इस आम को जड़ से खत्म करने में सक्षम है। इसलिए यह केवल दर्द को ठीक ही नहीं, बल्कि पूरी तरह से रोग को ठीक करता है।
    अश्वगंधा


 

  1. अश्वगंधा - अश्वगंधा के नाम से ही हम जान सकते हैं की  यह घोड़े के समान बल, ऊर्जा और सहनशक्ति प्रदान करती है। यह शरीर में कोर्टिसोल यानी तनाव हार्मोन के स्तर को कम करती है, जिससे मानसिक और शारीरिक तनाव दोनों में राहत मिलती है और चूंकि गठिया बाय एक ऑटोइम्यून बीमारी है, तनाव का नियंत्रण इसमें बहुत आवश्यक होता है। इसके साथ ही अश्वगंधा की एक खास विशेषता यह है कि यह इम्यून सिस्टम को बैलेंस करती है। गठिया बाय में जब इम्यून सिस्टम अत्यधिक सक्रिय होकर अपने ही शरीर पर हमला करने लगता है, तो अश्वगंधा उस अतिसक्रियता को शांत करती है। 
    हल्दी और दूध


 

  1. हल्दी और दूध - हल्दी और दूध का मिश्रण गठिया बाय जैसे पुराने और पीड़ादायक रोग में अत्यंत सरल, सुरक्षित और प्रभावी घरेलू उपाय माना जाता है। जब हल्दी को गर्म दूध के साथ लिया जाता है, तो यह शरीर में जल्दी अवशोषित होती है और सीधे प्रभावित जोड़ों तक पहुंचकर राहत पहुंचाती है। साथ ही गठिया बाय में जोड़ों के आसपास की मांसपेशियाँ और हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं, ऐसे में दूध और हल्दी का यह मेल शरीर को पोषण देने के साथ-साथ उसे भीतर से पुनर्जीवित करता है। और सबसे खास बात ये गठिया बाय का दर्द का इलाज भी है।  

आज के इस आर्टिकल में हमने गठिया बाय का रामबाण इलाज, के बारे में, बात करी और आपने जाना की कैसे कुछ घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें अयुकर्मा के साथ




FAQ

  • गठिया रोग को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें?

        गठिया रोग को जड़ से खत्म करने के लिए वात दोष को संतुलित करें, नियमित रूप से आयुर्वेदिक औषधियाँ जैसे गुग्गुलु, अश्वगंधा, पुनर्नवा लें, हल्दी-दूध जैसे घरेलू नुस्खे                अपनाएं, रोज योग व प्राणायाम करें, और तला-भुना व अम्लीय भोजन पूरी तरह से छोड़ दें। नियमितता और संयम से ही स्थायी राहत संभव है।

  • गठिया रोग किसकी कमी के कारण होता है?

       गठिया रोग मुख्य रूप से वात दोष की वृद्धि, कैल्शियम और विटामिन D की कमी, और शरीर में जमे विषैले तत्वों के कारण होता है, जो जोड़ों में सूजन और दर्द पैदा करते हैं।

  • गठिया रोग में कौन सा जूस पीना चाहिए?

         गठिया रोग में आंवला, अदरक, गाजर या अनानास का जूस फायदेमंद होता है। ये सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं।


 

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