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लिवर सिरोसिस एक बहुत ही गंभीर चिकित्सीय स्थिति होती है, जिसमें लिवर के स्वस्थ ऊतकों यानी टिशू की जगह फाइब्रोसिस (scar tissue) बन जाती है, जिससे लिवर की कार्यक्षमता बहुत बार प्रभावित होती है। यह समस्या तब होती है जब लंबे समय तक लिवर की सूजन या संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है और ऐसे ही समय के साथ लिवर की क्षमता कम हो जाती है। बहुत बार लोग इस समस्या से बचने के लिए आधुनिक चिकित्सा की मदद लेते हैं। जिसके बहुत से साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। पर अगर हम इस स्थिति का इलाज आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखें तो लिवर सिरोसिस का इलाज जड़ी-बूटियों, डाइटरी बदलाव, और जीवनशैली सुधार के माध्यम से भी किया जाता है, जो लिवर को फिर से पुनर्जीवित करने और उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। आज इस आर्टिकल में हम लिवर सिरोसिस का आयुर्वेदिक और नेचुरल इलाज के बारे में जानेंगे साथ ही इसके लक्षणों और कारणों पर भी ध्यान देंगे। जहां आप लिवर सिरोसिस के आयुर्वेदिक और प्राकृतिक इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे।
वज़न घट जाना
कमजोरी और थकान
पेट में सूजन
जलोदर
पीलिया
खुजली
यौन इच्छा में कमी
त्वचा पर मकड़ी जैसे लाल निशान
एडिमा
हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण
शराब का अत्यधिक सेवन
आनुवंशिकता
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़
ऑटोइम्यून लिवर रोग
पित्त नली की बीमारियाँ
ऑटोइम्यून लिवर रोग
कालमेघ
पुनर्नवा
आहार
त्रिफला
कुटकी
कालमेघ - कालमेघ लिवर की बीमारियों के लिए एक अत्यंत प्रभावशाली औषधि मानी जाती है। भले ही इसका स्वाद बहुत कड़वा होता है, लेकिन इसकी कड़वाहट ही शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने और लिवर को शुद्ध करने में मदद करती है। साथ ही सिरोसिस में कालमेघ एक प्राकृतिक हेपाटोप्रोटेक्टिव हर्ब की तरह कार्य करता है, यानी यह लिवर कोशिकाओं की रक्षा करता है और उन्हें पुनर्जीवित करने में सहायता करता है। सिरोसिस में लिवर की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होकर अपने स्थान पर कठोर ऊतक बना लेती हैं, जिससे लिवर की कार्यक्षमता घट जाती है। यही नहीं आयुर्वेद के अनुसार भी, कालमेघ पित्त और कफ दोष को संतुलित करता है, जो लिवर विकारों के मूल कारणों में से एक माने जाते हैं।

पुनर्नवा - पुनर्नवा आयुर्वेद की एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि है, क्योंकि यह शरीर के कमज़ोर अंगों को पुनर्जीवित करने की क्षमता रखती है, विशेष रूप से लिवर और किडनी के लिए यह अत्यंत लाभकारी मानी जाती है, और लिवर सिरोसिस की स्थिति में में पुनर्नवा एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर और रिजनरेटिव हर्ब की तरह कार्य करती है, यह शरीर में जमा हुए अतिरिक्त द्रव को बाहर निकालकर लिवर पर दबाव को कम करती है। और यह न केवल लिवर को मज़बूत करती है, बल्कि उसकी पुनर्योजन क्षमता यानी regeneration ability को बढ़ाती है, जिससे रोग की प्रगति धीमी हो सकती है।

आहार - लिवर सिरोसिस जैसी समस्या में केवल दवा ही नहीं सही आहार सबसे बड़ा उपचार माना जाता है। क्योंकि सही भोजन न केवल लिवर पर अतिरिक्त दबाव कम करता है, बल्कि उसकी कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में भी मदद करता है। और मुख्य रूप से लिवर सिरोसिस में प्रोटीन का संतुलन बहुत मायने रखता है। अत्यधिक प्रोटीन लिवर पर दबाव डाल सकता है, जबकि उचित मात्रा में हल्का प्रोटीन यानी जैसे दालें, मूंग, और पनीर शरीर की मरम्मत प्रक्रिया में मदद करता है। नमक का सेवन सीमित रखना चाहिए क्योंकि ज्यादा सोडियम शरीर में पानी रोक लेता है, जिससे पेट और पैरों में सूजन बढ़ जाती है। इसके विपरीत, प्राकृतिक डिटॉक्स पेय जैसे नींबू पानी, नारियल पानी और आंवले का रस शरीर को हाइड्रेट रखते हैं और विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होते हैं। यही नहीं ऐसा आहार जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा अधिक हो, जैसे गाजर, चुकंदर, पालक, हल्दी और हरी पत्तेदार सब्जियाँ, लिवर की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाती हैं। इसलिए लिवर सिरोसिस के घरेलू नुस्खे में आप आहार को जोड़ सकते हो।

त्रिफला - त्रिफला आयुर्वेद की एक अत्यंत प्रसिद्ध और प्रभावशाली जड़ी-बूटी है, जो तीन फलों के मिश्रण से बनी है जैसे, हरड़, बहेड़ा और आंवला। और इस समस्या में लिवर धीरे-धीरे अपनी कोशिकाओं को खो देता है और उनके स्थान पर कठोर ऊतक बन जाता है। इससे लिवर की डिटॉक्सिफिकेशन क्षमता कम हो जाती है और शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं। त्रिफला इस स्थिति में लिवर के लिए एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर की तरह काम करता है। यह रक्त और पाचन तंत्र को शुद्ध करता है, जिससे टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और लिवर पर दबाव कम होता है। इसके अलावा यह एक संपूर्ण आयुर्वेदिक उपाय है जो पाचन, डिटॉक्स और लिवर के पुनर्निर्माण को एक साथ संतुलित करती है। इसलिए लिवर सिरोसिस का प्राकृतिक इलाज में त्रिफला

कुटकी - कुटकी लिवर के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से उपयोगी माना जाता है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, कटुकी में मौजूद सक्रिय तत्व लिवर कोशिकाओं के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करते हैं। यह सिरोसिस में लिवर के स्वस्थ ऊतकों के विकास में मदद करता है और जटिलताओं जैसे पेट में पानी और पीलिया को कम करने में सहायक होता है और आयुर्वेद के अनुसार, कटुकी वात और पित्त दोष को संतुलित करती है, जिससे शरीर की समग्र स्वच्छता और लिवर स्वास्थ्य सुधरता है। यह प्राकृतिक रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है, जिससे सिरोसिस की प्रगति धीमी हो सकती है। इसके अलावा कुटकी सिरोसिस के इलाज में केवल लक्षणों को कम करने तक सीमित नहीं है; यह लिवर को पुनर्जीवित करने, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और उसकी कार्यक्षमता को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करती है, जिससे रोगी की जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है।
आज इस आर्टिकल में हमने बताया लिवर सिरोसिस का आयुर्वेदिक और नेचुरल इलाज, और आपने जाना की कैसे कुछ आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप केवल इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, और ऐसे ही आर्टिकल और ब्लॉग्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।
FAQ
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Kapil
I'm Kapil from Jhajjar. I had gallbladder stones and wanted an herbal solution. I chose Ayukarma and followed their treatment and diet plan. In a month, my symptoms eased, and scans showed major improvement. After two months, the stones were gone. Truly thankful for their help.
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Dravya Mathur
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Karan a
My friend’s dad had colon cancer with severe symptoms. After starting treatment at Ayukarma, he showed major improvement in a few months. His recovery is ongoing, and he now strongly recommends Ayukarma for anyone dealing with similar issues.
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Kriya
I’m Kriya from Delhi. Diagnosed with early-stage tonsil cancer, I couldn’t tolerate allopathic treatment. Switching to Ayukarma was the best decision. Their herbal therapy eased my symptoms and improved my health significantly. I’m hopeful for a full recovery.
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