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आज कल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, तनाव खानपान और अनियमित जीवनशैली के कारण महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन आम होता जा रहा है। इन्ही समस्याओं में से एक को पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर कहते हैं, जिस वजह से पीरियड्स अनियमित रूप से आते हैं, यही नहीं कई बार महीनों तक पीरियड नहीं आते या बहुत हल्के आते हैं, जिससे न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक परेशानी भी बढ़ती है। लेकिन इस समस्या को सही जानकारी, जीवनशैली में बदलाव और कुछ प्राकृतिक उपायों की मदद से पीसीओडी में पीरियड्स को नियमित किया जा सकता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे पीसीओडी में पीरियड कैसे लाए, वो भी प्रकृतिक तरीके से, साथ ही हम पीसीओडी के लक्षणों और कारणों पर भी ध्यान करेंगे।
शरीर और चेहरे पर अत्यधिक बाल
अनियमित पीरियड्स
मुंहासे
वजन बढ़ना
सिर के बाल पतले होना या झड़ना
गर्भवती होने में परेशानी
त्वचा में बदलाव
थकान और मूड स्विंग्स
हार्मोनल असंतुलन: शरीर में एस्ट्रोजन और एंड्रोजन जैसे हार्मोन का असंतुलन पीसीओडी की मुख्य वजह बनता है।
अनुवांशिकता: अगर परिवार में किसी महिला को पीसीओडी रहा हो तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस: शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे हार्मोनल गड़बड़ी होती है।
मोटापा: अत्यधिक वजन हार्मोनल असंतुलन को और बढ़ाता है, जिससे पीसीओडी की स्थिति गंभीर हो सकती है।
अनियमित जीवनशैली: गलत खानपान, नींद की कमी और असंतुलित दिनचर्या पीसीओडी को बढ़ावा देती है।
तनाव: लगातार मानसिक तनाव शरीर के हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ देता है।
शराब और सिगरेट का अत्यधिक सेवन: ये दोनों आदतें हार्मोन को प्रभावित कर पीसीओडी की समस्या को बढ़ा सकती हैं।
शारीरिक गतिविधियों की कमी: व्यायाम की कमी से मेटाबॉलिज्म धीमा होता है, जिससे वजन और हार्मोन दोनों बिगड़ते हैं।
मेथी - पीसीओडी जैसी समस्या में मेथी एक बहुत ही प्रभावशाली घरेलू उपाय माना जाता है, ये शरीर के हार्मोनल संतुलन को सुधारने में मदद कर सकता है। मेथी के बीजों में भरपूर मात्रा में फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर के मेटाबॉलिज्म और हार्मोन पर सकारात्मक असर डालते हैं। इसके अलावा, मेथी लिवर और किडनी की सफाई में मदद करती है जिससे शरीर से टॉक्सिन्स निकलते हैं और हॉर्मोनल सिस्टम को राहत मिलती है। मेथी के नियमित सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होती है, जिससे शरीर पोषक तत्वों को सही तरह से अवशोषित करता है और संपूर्ण स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए पीसीओडी में मासिक धर्म लाने के उपाय में मेथी को बहुत प्रभावी माना जाता है।
अदरक और शहद - अदरक और शहद का सेवन पीसीओडी की समस्या में एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय माना जाता है, अदरक शरीर में मौजूद सूजन को कम करता है, जो पीसीओडी से जुड़ी कई समस्याओं, जैसे कि पेल्विक दर्द, सूजन और थकान में राहत देता है। यह अंडाशय को उत्तेजित करता है, जिससे ओवुलेशन नियमित होने लगता है। इसके साथ ही शहद का सेवन करने से इसका असर और भी अधिक प्रभावी हो जाता है, क्योंकि शहद एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर और एंटीबैक्टीरियल एजेंट है। यह शरीर को साफ करता है, पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और ऊर्जा भी देता है, जिससे हार्मोनल गतिविधियाँ संतुलित होती हैं। इसलिए PCOD में पीरियड नियमित करने के तरीके में हम अदरक और शहद को भी जोड़ सकते हैं।
दालचीनी - दालचीनी एक प्राकृतिक उपाय है, जो पीरियड्स को नियमित करने में मदद कर सकती है। दालचीनी में ऐसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, दालचीनी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर की सूजन को कम करते हैं और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को घटाते हैं। यह गुण पीसीओडी के लक्षणों जैसे कि थकान, सूजन और वजन बढ़ने में भी राहत देते हैं। साथ ही, दालचीनी का स्वाद मीठा होता है लेकिन यह शुगर लेवल को नहीं बढ़ाता, जिससे यह मीठा खाने की क्रेविंग को भी कंट्रोल करता है, जो पीसीओडी में एक आम समस्या है।
तिल और गुड़ - पीसीओडी में तिल और गुड़ का मिश्रण एक प्रभावी घरेलू उपाय माना जाता है, अगर हम बात करें तिल की तो ये शरीर की आंतरिक गर्मी को बढ़ाता है, जिससे यूटेरस की गतिविधि सक्रिय होती है और पीरियड्स समय पर आने की संभावना बढ़ जाती है। यह गुण खासकर तब काम आता है जब पीरियड्स लंबे समय तक रुक जाते हैं या बहुत हल्के होते हैं। इसके साथ ही गुड़ एक प्राकृतिक ब्लड प्यूरीफायर और आयरन का अच्छा स्रोत है, जो शरीर में खून की कमी को पूरा करता है और पीरियड्स के दौरान होने वाली कमजोरी, चक्कर और थकावट से राहत देता है।
अशोक की छाल - महिलाओं के लिए अशोक की छाल को एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है, क्योंकि पीसीओडी में अक्सर अंडाशय ठीक से काम नहीं करते, जिससे ओवुलेशन नहीं होता और मासिक धर्म अनियमित हो जाता है। अशोक की छाल यूटेरस की मांसपेशियों को टोन करती है और उसकी कार्यक्षमता को सुधारती है। यह छाल यूटेरस की अंदरूनी परत को प्राकृतिक रूप से पुनः सक्रिय करने में मदद करती है, जिससे नियमित और स्वस्थ पीरियड्स आने लगते हैं। इसलिए अशोक की छाल को PCOD में अनियमित पीरियड का इलाज माना जाता है।
अगर आपके पास भी ये प्रश्न है की पीसीओडी में पीरियड कैसे लाए? तो ये आर्टिकल आपके लिए है, और आपने जाना की कैसे कुछ आयुर्वेदिक उपचार इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें अयुकर्मा के साथ।
FAQ
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