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पीसीओडी का आयुर्वेदिक दवा 

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पीसीओडी का आयुर्वेदिक दवा 

पीसीओडी का आयुर्वेदिक दवा 

आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में, असंतुलित खान-पान और बढ़ता तनाव महिलाओं के स्वास्थ्य पर बहुत ही गंभीर प्रभाव डाल रहा है। पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिज़ीज़ उन्ही समस्याओं में से एक है जिसमें महिलाओं के हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और अंडाशय में छोटी-छोटी सिस्ट्स बनने लगती हैं। इस समस्या के बहुत से गंभीर लक्षण भी होते हैं, जिसके विषय में हम आगे बताएंगे। हालांकि आधुनिक चिकित्सा या कहे तो एलोपैथिक चिकित्सा में इसके लिए कई विकल्प मौजूद हैं, पर आयुर्वेद में इस समस्या को जड़ से समझकर प्राकृतिक और संतुलित समाधान प्रदान करता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम पीसीओडी का आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताएंगे साथ ही इसके लक्षणों और कारणों के विषय में हम ध्यान देंगे। जिससे बिना साइड इफेक्ट के आपको समाधान मिल सके।

पीसीओडी के लक्षण

  • मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं

  • थकावट और ऊर्जा की कमी

  • अनियमित मासिक धर्म

  • त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याएं

  • वजन से जुड़ी समस्याएं

  • मूड स्विंग्स और डिप्रेशन

  • गर्भधारण में कठिनाई

पीसीओडी के कारण

  1. हार्मोनल असंतुलन: पीसीओडी में हार्मोन का असंतुलित स्तर अंडाशय के सही कामकाज में बाधा डालता है।

  2. आनुवंशिकता: परिवार में पीसीओडी का इतिहास होने से इसके विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

  3. तनाव: अधिक तनाव हार्मोन के स्तर को बिगाड़कर पीसीओडी को बढ़ावा दे सकता है।

  4. अनियमित जीवनचर्या: नींद की कमी और गलत खानपान पीसीओडी के कारणों में से एक है।

  5. मेटाबोलिक समस्याएं: इंसुलिन रेजिस्टेंस और वजन बढ़ना पीसीओडी को बढ़ावा देते हैं।

पीसीओडी का आयुर्वेदिक दवा

  1. शतावरी - शतावरी को आयुर्वेद में महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है। इसका उपयोग विशेष रूप से प्रजनन प्रणाली को संतुलित करने, हार्मोनल असंतुलन को सुधारने और संपूर्ण महिला स्वास्थ्य को मज़बूत करने के लिए किया जाता है। और सबसे खास बात ये महिलाओं की ओवुलेशन क्षमता को सुधारने में भी सहायक मानी जाती है। पीसीओडी में अक्सर अंडाणु समय पर नहीं बनते या अंडोत्सर्जन रुक जाता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई होती है। शतावरी ओवेरियन फंक्शन को बेहतर बनाकर अंडाणु निर्माण को नियमित करती है, जिससे प्रजनन क्षमता में सुधार आता है। इसलिए शतावरी को मासिक धर्म नियमित करने की आयुर्वेदिक दवा और महिलाओं में PCOD के लिए आयुर्वेदिक herbs में बहुत फायदेमंद माना जाता है। 
    शतावरी

  2. मेथी - मेथी भारतीय रसोई का एक आम हिस्सा है, लेकिन इसके बहुत से औषधीय गुण खासतौर पर महिला स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। सबसे पहले, मेथी पीसीओडी के मूल कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस को सुधारने में सहायक होती है। दूसरा महत्वपूर्ण लाभ यह है कि मेथी मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में मदद करती है। इसके अलावा, मेथी का सेवन त्वचा की स्थिति को भी बेहतर करता है। पीसीओडी में महिलाओं को मुंहासे, त्वचा पर तैलीयपन और पिग्मेंटेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मेथी का प्रभाव शरीर के भीतर से शुद्धिकरण करने वाला होता है, जिससे त्वचा साफ और संतुलित रहती है। इसलिए मेथी को PCOD का घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज माना जाता है।
    मेथी

     
  3. लोध्र - लोध्र आयुर्वेद में महिला रोगों के उपचार में एक अत्यंत प्रभावशाली औषधि के रूप में जाना जाता है। लोध्र का सबसे महत्वपूर्ण गुण है यह मासिक धर्म को संतुलित करने में मदद करता है। यह जड़ी-बूटी गर्भाशय की मांसपेशियों को मज़बूती देती है और उसकी सूजन को कम करती है। लोध्र में शक्तिशाली स्त्री रोगनाशक गुण होते हैं। यह गर्भाशय के अंदर का वातावरण शुद्ध करता है और रजःधर्म (menstrual functions) को संतुलित करता है। यह गुण इसे उन महिलाओं के लिए अत्यंत उपयोगी बनाता है, जो पीसीओडी के कारण गर्भधारण में कठिनाई का सामना कर रही होती हैं।

    गिलोय
  4. गिलोय - गिलोय आयुर्वेद की सबसे प्रभावशाली औषधियों में से एक है।  इसका सबसे प्रमुख लाभ यह है कि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा इसका एक और महत्वपूर्ण कार्य है हार्मोनल संतुलन को बहाल करना। यह अग्नि को सुधारता है, जिससे पाचन तंत्र मज़बूत होता है और शरीर में टॉक्सिन्स जमा नहीं होते। जब पाचन अच्छा होता है और शरीर शुद्ध रहता है, तो हार्मोन भी अपने आप संतुलित ढंग से कार्य करने लगते हैं।
     
  5. दशमूल - दशमूल आयुर्वेद की एक अत्यंत प्रभावशाली औषधीय मिश्रण है, जिसका मतलब होता है, दस जड़ों का समूह। ये सबसे पहले शरीर में मौजूद सूजन को कम करने में मदद करता है। पीसीओडी में ओवरी के भीतर सूजन, रुकावट और गांठें (सिस्ट्स) आम होती हैं, जो अंडाणु के विकास और ओवुलेशन में रुकावट पैदा करती हैं। दशमूल की जड़ी-बूटियों में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो अंडाशय की सूजन को शांत करते हैं और सिस्ट्स को कम करने में सहायक होते हैं। 
     

आज इस आर्टिकल में हमने बताया पीसीओडी का आयुर्वेदिक दवा और आपने जाना की कैसे कुछ आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप केवल इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, और ऐसे ही आर्टिकल और ब्लॉग्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ। 




 

FAQ
 

  • पीसीओडी को जड़ से कैसे खत्म करें? 
    पीसीओडी खत्म करने के लिए स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम, तनाव कम करना और आयुर्वेदिक दवाओं का सही उपयोग जरूरी है। हार्मोन संतुलन से ही जड़ खत्म होती है।
     
  • पीसीओडी में पीरियड्स लाने के लिए क्या घरेलू उपाय हैं?
    पीसीओडी में पीरियड्स लाने के लिए गर्म पानी की थैली से पेट सेकना, दालचीनी और अदरक की चाय पीना, मेथी और अश्वगंधा का सेवन, हल्का व्यायाम और तनाव कम करना घरेलू आसान उपाय हैं।


 

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