आपकी सभी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए विशेषज्ञ स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा अनुशंसित आयुर्वेदिक उपचार, उपचार और सलाह
जब मसूड़ों के टिशू में कोशिकाएँ बिना कंट्रोल के बढ़ने लगती हैं और घाव या ट्यूमर बना देती हैं तो इसे मसूड़ों का कैंसर यानी गम कैंसर कहा जाता है। इस बीमारी को ओरल कैंसर या ओरल कैविटी कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। यह कई बार मसूड़े की सूजन या मसूड़ों से जुड़ी दूसरी आम समस्याओं की तरह भी दिख सकता है। इसलिए, ये जानना बहुत ज़रूरी है कि मसूड़ों के कैंसर के लक्षण क्या हैं? ताकि बीमारी को समय रहते पकड़ लिया जाए और जल्द ही इलाज शुरू किया जा सके। आप चाहें तो मसूड़ों के कैंसर का आयुर्वेदिक उपचार आयुकर्मा अस्पताल से भी ले सकते हैं लेकिन, पहले नीचे दी गई जानकारी लेकर इस बीमारी को ठीक से समझ लें।

आम तौर पर नीचे दिए गए ईन कारणों से मसूड़ों का कैंसर होता है –
सिगार, बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू का ज़्यादा सेवन करना।
बहुत ज़्यादा और लगातार शराब पीना।
HIV या ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद इम्यूनिटी कमज़ोर होने से मसूड़ों का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
रेगुलर ब्रश न करना या फ्लॉस न करना जिससे बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं और मसूड़ों में सूजन या जलन हो सकती है, जो आगे चलकर कैंसर का कारण बन सकता है।
ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV); HPV-16 इन्फेक्शन जो एक यौन संचारित संक्रमण (STI) है।
नॉर्मली 60 या उससे ज़्यादा उम्र वाले लोगों में ऑरल कैंसर की संभावना ज़्यादा होती है।
खराब डाइट जिसमें फल या सब्जियां कम लेना।
1. लगातार सूजन - अगर बिना किसी वजह के मसूड़ों में कई दिनों तक सूजे रहे और नॉर्मल इलाज से ठीक न हो, तो यह एक बड़ा संकेत हो सकता है। यह मसूड़े के कैंसर के शुरुआती संकेतों में से एक है जिसे बिलकुल भी नज़रअंदाज़ न करें।
2. नॉन-हीलिंग अल्सर - अगर मसूड़ों में 2 हफ्ते से ज़्यादा वक़्त तक कोई घाव या छाला ठीक न हो तो यह मसूड़ों के कैंसर का एक गंभीर लक्षण हो सकता है।
3. लगातार ब्लीडिंग - ब्रश करते समय या बिना छुए भी मसूड़ों से बार-बार खून आना मसूड़ों के कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
4. सांस में बदबू - ओरल कैंसर में संक्रमित टिश्यू बनने से सांस लगातार बदबूदार हो सकती है। यह भी मसूड़े के कैंसर के शुरुआती संकेत में से एक है।
5. रेड़ या वाइट पैच - मसूड़ों या गाल के अंदर की सतह पर लाल धब्बे या सफेद परतें दिखना।
6. मसूड़ों में गाँठ या उभार - अगर मसूड़ों में कोई सख्त गाँठ हो, गाठ जैसा उभार दिखे या टिश्यू मोटे हो जाए तो ये भी मसूड़ों के कैंसर का लक्षण हो सकता है।
7. दांतों का ढीलापन - ओरल कैंसर हड्डी को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मजबूत दांत भी ढीले हो जाते हैं।
8. चबाते या बोलने वक़्त दर्द - अगर चबाने, बोलने या मुंह खोलने में दर्द बढ़ जाता है तो यह ओरल कैंसर का संकेत हो सकता है।
9. दांतों में गैप - ओरल कैंसर होने पर दांतों में अचानक गैप बन जाता है क्योंकि यह बीमारी मसूड़ों या हड्डी को नुकसान पहुंचाती है।
10. जबड़े या गाल में सूजन - कैंसर टिश्यू के फैलने से जबड़े या गाल में सूजन, भारीपन या प्रेशर महसूस होता है।
11. चेहरे पर सुन्नपन - नर्व पर असर पड़ने से चेहरे या जबड़े के हिस्से में सुन्नपन महसूस हो सकता है।
आयुर्वेद में ऑरल कैंसर को मुक्हा रोग, अवचूर्ण, अर्बुद या कर्कट अर्बुद आदि नामों से जाना जाता है जिसके पीछे आम तौर पर ये कारण होते हैं –
दोषों का बैलेन्स बिगड़ना: तीन दोष (वात–पित्त–कफ) में से ख़ासकर पित्त और कफ का असंतुलन मसूड़ों में सूजन, लालिमा, मांस का बढ़ना और घाव आदि लक्षण पैदा कर सकता है।
पित्त दोष बढ़ना: आम तौर पर ज़्यादा मसालेदार खाना, तंबाकू, शराब, ज़्यादा गर्म चाय-कॉफी, रात में देर तक जागना, गुस्सा और तनाव आदि से पित्त दोष बढ़ता है।
कफ दोष बढ़ना: इससे मसूड़ों में गांठ, फोड़े, सूजन, टिश्यू का बढ़ना आदि समस्याएं होती हैं क्योंकि कफ दोष भारी और चिपचिपा होता है।
टॉक्सिन्स का जमाव: शरीर में टॉक्सिन्स जमा होने के साथ खराब पित्त और रुका हुआ कफ कैंसर का कारण बन सकता है।
इस समस्या में नीचे दी गई ईन बातों का ज़रूर ध्यान रखें –
तंबाकू और शराब का परहेज़ करें।
बहुत सख्त, गरम या मसालेदार खाना न खाएँ।
इम्यून सिस्टम मजबूत रखें।
स्ट्रेस कम लें।
अगर मसूड़ों पर घाव, सूजन, गांठ, सफेद या लाल पैच 2 हफ्ते से ज़्यादा दिखें, तो तुरंत जांच कराएं।
दिन में 2 बार ब्रश करें, एंटीसेप्टिक माउथवॉश का इस्तेमाल करें।
डॉक्टर की सलाह पर बायोप्सी CT, MRI या PET स्कैन आदि टेस्ट करवाते रहें।
अगर अल्सर 2 हफ्ते में ठीक न हो, बार-बार लौटे या खून आए तो तुरंत जांच करवाएँ।
डेंचर की फिटिंग सही रखवाएँ, अगर कोई समस्या हो तो तुरंत इलाज करवाएँ।
शुगर और प्रोसेस्ड फूड लिमिट में लें।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि मसूड़ों के कैंसर के लक्षण क्या हैं? लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आप या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को मसूड़ों में कैंसर या ऑरल कैंसर की समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या आयुकर्मा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से मसूड़ों के कैंसर का असरदार आयुर्वेदिक इलाज लें। यहाँ आपको प्राकृतिक इलाज के साथ-साथ मसूड़ों के कैंसर के लिए हेल्दी डाइट चार्ट और ज़रूरी परामर्श भी दिया जाएगा। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयुकर्मा के साथ।
FAQs
क्या मसूड़ों का कैंसर दर्द करता है? – Kya masoodo ka cancer dard karta hai?
शुरुआत में दर्द कम होता है, लेकिन जैसे-जैसे कैंसर फैलता है, दर्द बढ़ने लगता है।
क्या मसूड़ों का रंग बदलना कैंसर का संकेत है? – Kya masoodo ka rang badalna cancer ka sanket hai?
मसूड़ों का गहरा लाल, सफेद या काला दिखना कैंसर की वॉर्निंग हो सकती है।
मसूड़ों का कैंसर कैसे पहचाना जाता है? – Masudo ka cancer kaise pahchaana jaata hai?
लक्षण देखकर और कुछ टेस्टस् जैसे डेंटल चेक-अप, बायोप्सी, एक्स-रे और सीटी स्कैन आदि करवाने से मसूड़ों का कैंसर पहचाना जा सकता है।
क्या मसूड़ों के कैंसर का लक्षण दांत गिरना भी हो सकता है? – Kya masoodo ke cancer ka lakshan daant girna bhi ho sakta hai?
हाँ, हड्डी कमज़ोर होने पर दांत अपने-आप गिर सकते हैं।
Sheela Jain
Hi, I'm Sheela. I struggled with painful skin rashes for years. After facing side effects from other medicines, I turned to Ayukarma. The facilities impressed me, and after 1.5 months of treatment, my skin completely healed. I'm so grateful for their care and effective treatment.
Kapil
I'm Kapil from Jhajjar. I had gallbladder stones and wanted an herbal solution. I chose Ayukarma and followed their treatment and diet plan. In a month, my symptoms eased, and scans showed major improvement. After two months, the stones were gone. Truly thankful for their help.
Tina Yadav
I'm Tina from Delhi. I suffered from severe sinus issues for years. After learning about Panchakarma therapy, I visited Ayukarma. The staff was great, and therapy was done as per Ayurvedic texts. After treatment, my symptoms improved significantly. I highly recommend them for sinus problems.
Dravya Mathur
Ayukarma helped me manage proteinuria naturally. The Ayurvedic herbs they prescribed reduced my symptoms without side effects. I’ve noticed improvements in my kidney function too. Their treatment has been safe, effective, and deeply healing. I highly recommend them.
Karan a
My friend’s dad had colon cancer with severe symptoms. After starting treatment at Ayukarma, he showed major improvement in a few months. His recovery is ongoing, and he now strongly recommends Ayukarma for anyone dealing with similar issues.
Sumit Mehra
My aunt, Rita Mehra, had early-stage breast cancer. She began treatment at Ayukarma, and the use of herbal medicines helped prevent the cancer from spreading. Best part, no side effects. Dr. Puneet and the team were excellent throughout. Huge thanks to them!
Kriya
I’m Kriya from Delhi. Diagnosed with early-stage tonsil cancer, I couldn’t tolerate allopathic treatment. Switching to Ayukarma was the best decision. Their herbal therapy eased my symptoms and improved my health significantly. I’m hopeful for a full recovery.
Recent Blogs
मसूड़ों के कैंसर के लक्षण क्या हैं
मसूड़ों का कैंसर कितना खतरनाक? लक्षण और कारण ...
Kidney Problem Treatment in Ayurveda for Long-Term Relief
Kidney Problem Treatment in Ayurveda for Long-Term Relief ...
Natural Ayurvedic Cure for Kidney Infection Problems
Natural Ayurvedic Cure for Kidney Infection Problems ...
Approved by
Certificate no- AH-2022-0145
FEB 23,2025 - FEB 22,2028