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फेफड़ों में पानी कैसे निकाला जाता है

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फेफड़ों में पानी कैसे निकाला जाता है

जभी किसी व्यक्ति के फेफड़ों में पानी भरने लगता है, तो उसे बहुत सी स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। शुरू-शुरू में यह समस्या हल्की लग सकती है, लेकिन जैसे-जैसे फेफड़ों के आसपास तरल बढ़ता है, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दबाव, कमजोरी और जल्दी थकान जैसी परेशानियाँ बढ़ने लगती हैं। कई बार व्यक्ति को लेटते ही ज्यादा सांस फूलने लगती है, रात में खांसी बढ़ जाती है और ऑक्सीजन का स्तर भी गिरने लगता है। यह स्थिति शरीर को अंदर से कमजोर करती है और रोजमर्रा के काम करना भी मुश्किल बना देती है। आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे की फेफड़ों में पानी कैसे निकाला जाता है, पर सबसे पहले हम जानेंगे की फेफड़ों में पानी भरना होता क्या है? 

फेफड़ों में पानी भरना क्या होता है? 

फेफड़ों में पानी भरना एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें फेफड़ों के ठीक बाहर आसपास  मौजूद प्लूरल स्पेस में तरल पदार्थ जमा होने लगता है। सामान्य रूप से इस जगह पर बहुत ही कम मात्रा में नमी रहती है, ताकि फेफड़े आसानी से फैल और सिकुड़ सकें। लेकिन जब शरीर में किसी बीमारी, सूजन, संक्रमण या तरल संतुलन के गड़बड़ होने की वजह से यह नमी अधिक मात्रा में तरल के रूप में जमा होने लगती है, तो फेफड़ों पर दबाव बढ़ जाता है। मेडिकल भाषा में इसे Pleural Effusion कहा जाता है, और यह अक्सर किसी अन्य आंतरिक बीमारी का संकेत होता है, इसलिए इसका सही कारण जानकर इलाज करना बहुत जरूरी है। 

ये समस्या गंभीर कब होती है?

ये समस्या तब गंभीर हो जाती है जब, दबाव के कारण फेफड़े पूरी तरह फैल नहीं पाते, और व्यक्ति को सांस फूलना, सीने में भारीपन, खांसी और थकान जैसी परेशानियाँ शुरू हो जाती हैं। और अगर तरल अधिक मात्रा में जमा हो जाए तो ऑक्सीजन का लेवल भी कम होने लगता है। साथ ही गंभीरता तब भी बढ़ जाती है जब इसका कारण दिल की कमजोरी, किडनी की समस्या, लिवर रोग, गंभीर संक्रमण या कैंसर से जुड़ा होता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में Pleural Effusion कहा जाता है। इसलिए इसका कारण जानकर तुरंत उपचार करना जरूरी होता है।क्योंकि इलाज में देरी फेफड़ों और पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। 

फेफड़ों में पानी भरने के लक्षण

फेफड़ों में पानी भरने पर शरीर कुछ खास संकेत देने लगता है। क्योंकि जब फेफड़ों के आसपास तरल जमा हो जाता है, तो फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है जिससे सांस लेने की क्षमता कम होने लगती है। और इस वजह से व्यक्ति को सांस से जुड़ी और शरीर में ऑक्सीजन की कमी से जुड़ी समस्याएँ महसूस होने लगती हैं।

इसके अलावा कुछ मुख्य लक्षण है,

  • थकान और कमजोरी

  • सीने में बेचैनी और दर्द

  • सूखी या बलगम वाली खांसी

  • गहरी सांस लेने पर दर्द होना 

  • रात में अचानक सांस फूलना

  • पैरों में सूजन

  • गर्दन की नसों का उभरा दिखना

  • भूख कम लगना

  • बेचैनी महसूस होना

फेफड़ों में पानी भरने के कारण 

फेफड़ों में पानी भरने के कारण कई तरह की आंतरिक समस्याओं से जुड़े होते हैं। क्योंकि जब शरीर तरल संतुलन ठीक से नहीं संभाल पाता या किसी बीमारी की वजह से फेफड़ों के आसपास सूजन और दबाव बढ़ने लगता है, तब प्लूरल स्पेस में पानी जमा होने लगता है।

सबसे सामान्य कारण हैं, 

  • हृदय संबंधी समस्याएं

  • शरीर में प्रोटीन की कमी

  • फेफड़ों में चोट

  • फेफड़ों का संक्रमण जैसे निमोनिया या टीबी

  • लिवर सिरोसिस या लीवर से जुड़ी समस्याएँ

  • किडनी की बीमारी

  • गंभीर एलर्जी या सूजन की स्थिति

फेफड़ों में पानी कैसे निकाला जाता है

  1. कंटकारी

  2. पुनर्नवा
  3. अडूसा 
  4. गिलोय
  5. नियमित प्राणायाम

 

  1. कंटकारी - आयुर्वेद में कंटकारी को श्वसन तंत्र की प्रमुख औषधियों में से एक माना जाता है, और फेफड़ों में पानी भरने जैसी समस्या में इसका उपयोग विशेष रूप से सहायक माना जाता है। क्योंकि जब फेफड़ों के आसपास कफ और तरल पदार्थ जमा होने लगता है, तब कंटकारी उसे धीरे-धीरे गलाकर बाहर निकालने की प्रक्रिया को सहज बनाती है। इसके अलावा कंटकारी का एक बड़ा लाभ यह है कि यह फेफड़ों में जमी सूजन को कम करने में सहायता करती है। सूजन कम होने से फेफड़ों पर दबाव घटता है और सांस लेने में राहत महसूस होती है।

     
  2. पुनर्नवा - पुनर्नवा को आयुर्वेद में बहुत ही प्रभावी औषधियों में से एक माना जाता है। यह शरीर में जमा अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने वाली प्रमुख औषधि माना गया है, इसलिए फेफड़ों में पानी भरने की स्थिति में इसका विशेष महत्व बताया गया है। इसका सबसे बड़ा लाभ इसका मूत्रल प्रभाव है। यह शरीर के प्राकृतिक निष्कासन तंत्र को सक्रिय करती है, जिससे रुका हुआ अतिरिक्त जल मूत्र के माध्यम से बाहर निकलने लगता है। इसके साथ ही पुनर्नवा में सूजन को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं। फेफड़ों में पानी भरने पर वहां सूजन और दबाव बढ़ जाता है, जिससे सांस उखड़ने लगती है।
     
  3. अडूसा - अडूसा का मुख्य गुण कफ को पतला करके बाहर निकालना है। और जब फेफड़ों में पानी भरने लगता है, तो वहां सूजन, कफ का जमाव और सांस लेने में रुकावट पैदा हो जाती है। अडूसा इन तीनों पहलुओं पर एक साथ काम करके राहत देने में सहायक माना जाता है। साथ ही यह फेफड़ों को मजबूत करने और श्वसन मार्गों को साफ रखने में भी सहायक माना जाता है। यह बार-बार होने है।
     
  4. गिलोय - गिलोय को आयुर्वेद में एक शक्तिशाली रसयान औषधि माना गया है, और आयुर्वेद के अनुसार जब कफ दोष बढ़ जाता है और शरीर में सूजन व संक्रमण की स्थिति बनती है, तब फेफड़ों के आसपास तरल पदार्थ जमा होने लगता है। गिलोय इस असंतुलन को धीरे-धीरे सुधारने में मदद करती है। यही नहीं ये सूजन को शांत करके फेफड़ों पर पड़ने वाले दबाव को कम करती है और श्वसन तंत्र को राहत देती है। जिस वजह से सांस फूलने और घुटन जैसी समस्याओं में धीरे-धीरे सुधार महसूस हो सकता है।
     
  5. नियमित प्राणायाम - आयुर्वेद में नियमित प्राणायाम और योग दोनों को ही एक सहायक उपाय माना गया है। इससे फेफड़ों का फैलाव और सिकुड़ाव बेहतर होता है, जिससे उनमें जमी हुई निष्क्रिय हवा और कफ बाहर निकलने की प्रक्रिया को सहारा मिलता है और सांस फूलना, भारीपन और घुटन जैसी शिकायतों में धीरे-धीरे राहत महसूस हो सकती है। इसके अलावा नियमित प्राणायाम शरीर की सूजन को शांत करने और तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने में मदद करता है। तनाव और बेचैनी कम होने से सांस की गति सामान्य होने लगती है, जिससे फेफड़ों को आराम मिलता है।

आज इस आर्टिकल में हमने बताया फेफड़ों में पानी कैसे निकाला जाता है, और आपने जाना की कैसे कुछ आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप केवल इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, और ऐसे ही आर्टिकल और ब्लॉग्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।




FAQ
 

  • फेफड़ों में पानी सुखाने के लिए कौन सी दवा है?
    फेफड़ों में पानी सुखाने के लिए कोई एक खास दवा नहीं होती। सही दवा हमेशा डॉक्टर जांच के बाद ही तय करते हैं।

  • फेफड़ों में अगर पानी भर जाए तो क्या करना चाहिए?
    फेफड़ों में पानी भरने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जांच कराकर कारण पता करना चाहिए और खुद से इलाज नहीं करना चाहिए।

  • छाती से पानी क्यों निकलता है?
    छाती से पानी दिल, फेफड़े, किडनी या संक्रमण की बीमारी के कारण निकलता है, जब शरीर में तरल संतुलन बिगड़ जाता है।

  • मनुष्य के फेफड़ों में कितना पानी होता है?
    स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों में सामान्यतः पानी जमा नहीं होता, केवल बहुत कम मात्रा में नमी होती है जो श्वसन के लिए जरूरी होती है।

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