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गठिया बाय रोग को अर्थराइटिस भी कहा जाता है। इसमें अलग तरह का शारीरिक दर्द होता है। गठिया के कारण जोड़ों में दर्द और अकड़न होने लगती है और उम्र के साथ ये तेजी से बढ़ भी सकता है। गठिया बाय की बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है, लेकिन बता दें कि गठिया बाय का रामबाण इलाज करके इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
गठिया बाय के लक्षण बहुत ही आम हैं, लेकिन इसके मुख्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:
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सेब में कई तरह के एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं। इसे खाने से शरीर में आ रही सूजन और इंफ्लेमेशन को रोकने में मदद मिल सकती है। इससे जोड़ों में हो रहे दर्द से भी राहत मिल सकती है। सेब को गठिया बाय का इलाज माना जा सकता है।
अनार में कई तरह के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो घुटनों के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इसके अंदर मौजूद टैनिन की मात्रा गठिया बाय का दर्द का इलाज बन सकती है।
मशरूम में फैटी एसिड, कैरोटेनोइड्स, विटामिन्स, फेनोलिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड्स होते हैं, जो अर्थराइटिस यानी कि गठिया बाय का देसी इलाज कर सकते हैं।
हल्दी और अदरक को एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों का भंडार माना जाता है। इसे भोजन में शामिल करने से जोड़ों के दर्द, सूजन से राहत मिल सकती है।
लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। लहसुन का सेवन करने से गठिया के दर्द में राहत मिलनी शुरू हो सकती है। लहसुन को सरसों के तेल में मिलाकर भी लगाया जा सकता है।
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स्ट्रॉबेरी, क्रैनबेरी, ब्लैकबेरी में विटामिन-C और एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं। इनमें गठिया से लड़ने वाले गुण होते हैं। इन्हें खाने से गठिया के दर्द में राहत मिल सकती है।
गठिया का इलाज मेथी के दानों से भी किया जा सकता है। इसके लिए मेथी के बीज को रात पर पानी में भिगोकर रखें और सुबह इन्हें खाली पेट चबा लें। इससे गठिया बाय की समस्या में आराम मिलेगा।
गठिया बाय का इलाज गाय के दूध से भी किया जा सकता है। गाय के दूध में लहसुन की कलियां डालकर उन्हें थोड़ी देर तक गर्म करें और फिर पी लें। ऐसा रोजाना करने से आपको काफी आराम मिलेगा।
मुलेठी में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से बच्चों को न सिर्फ सर्दी-जुकाम में राहत मिलती है, बल्कि इसमें मौजूद तत्व गठिया के दर्द में भई राहत दिला सकते हैं। मुलेठी को गठिया बाय का देसी इलाज माना जा सकता है।
दालचीनी में फ्लेवोनॉइड्स पाए जाते हैं, जो इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद कर सकते हैं। दालचीनी की छाल में मौजूद प्रोसानिडीन और कैटेचिन गठिया के कारण होने वाले दर्द और सूजन में राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं।
तो जैसा कि आपने जाना कि गठिया बाय का रामबाण इलाज किस तरह से किया जा सकता है, लेकिन इन उपायों को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
अगर आपको भी गठिया या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज आयु कर्मा में आकर करवा सकते हैं, जहां साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है। आयु कर्मा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।
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FEB 23,2022 - FEB 22,2025