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जलोदर रोग की आयुर्वेदिक दवा

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जलोदर रोग की आयुर्वेदिक दवा

जलोदर रोग (एसाइटिस): लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक दवा

जलोदर (एसाइटिस) रोग क्या है? 

जलोदर, जिसे एसाइटिस (Ascites) भी कहा जाता है, एक चिकित्सा स्थिति है जिसमें पेट में अत्यधिक तरल पदार्थ जमा हो जाता है। यह अतिरिक्त तरल पेरिटोनियल गुहा (Peritoneum) में एकत्रित होकर सूजन और पेट के फैलाव का कारण बनता है। आमतौर पर, यह समस्या लिवर संबंधी विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों में देखी जाती है, लेकिन अन्य कई जोखिम कारक भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, कुछ प्रभावी उपचार विधियाँ जलोदर के प्रबंधन में मदद कर सकती हैं। इस ब्लॉग में, हम जलोदर रोग की आयुर्वेदिक दवा के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, साथ ही इसके प्रमुख लक्षणों और कारणों की जानकारी भी प्रदान करेंगे।

जलोदर रोग के लक्षण 
जलोदर रोग के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

  • पेट दर्द या असुविधा
  • शरीर में सूजन
  • कब्ज और अपच
  • मतली और उल्टी
  • भूख में कमी
  • पेट फूलना
  • वजन में बढ़ोतरी
  • कम पेशाब आना
  • अधिक पेशाब आना
  • सांस लेने में तकलीफ
  • कमजोरी और थकान

जलोदर रोग के कारण 
जलोदर रोग के कारणों में शामिल हैं:

जलोदर रोग के लिए उपाय 
जलोदर रोग की समस्या या लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए आप कई उपाय कर सकते हैं, जैसे:

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं
  •  संतुलित आहार का सेवन
  • मसालेदार भोजन से परहेज
  • स्वस्थ जीवनशैली का पालन
  • पर्याप्त नींद और आराम
  • नियमित जांच कराएं

जलोदर रोग की आयुर्वेदिक दवा 
निम्नलिखित आयुर्वेदिक दवा से जलोदर रोग के इलाज में मदद मिल सकती है: 

  • पिप्पली: पिप्पली एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो पाचन तंत्र में सुधार करती है और टॉक्सिंस को बाहर निकालती है। इससे शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा नियंत्रित रहती है और जलोदर रोग में राहत मिलती है।

तत्व:
विटामिन-C
फाइटोकेमिकल्स
एंटीऑक्सीडेंट्स

जलोदर रोग की आयुर्वेदिक दवा
  

  • पुनर्नवा: जलोदर की समस्या के निदान के लिए आप पुनर्नवा का सेवन कर सकते हैं। यह जड़ी-बूटी इम्यून सिस्टम और रक्त संचार को बढ़ावा देती है। साथ ही इसके उपयोग से सूजन और जलोदर के अन्य लक्षण कम हो सकते हैं।

तत्व:
आयरन
कैल्शियम
विटामिन-C
एंटीऑक्सीडेंट्स

  • शंखपुष्पी: शंखपुष्पी से आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करके शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा को संतुलित करती है। इससे सूजन को कम करने, कोशिकाओं को स्वस्थ बनाने और जलोदर के इलाज में मदद मिल सकती है।  

तत्व:
फ्लेवोनॉयड्स 
एंटीऑक्सीडेंट्स

  • वरुण: वरुण से आपकी किडनी और लिवर की कार्यप्रणाली में सुधार होता है। इसके ड्यूरेटिक गुण शरीर से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल को बाहर निकालते हैं। इससे शरीर में पानी का संतुलन नियंत्रित होता है और जलोदर की समस्या कम हो सकती है। 

तत्व:
आयरन
कैल्शियम
एंटीऑक्सीडेंट्स

  • सारिवा: सारिवा से जलोदर का प्रभावी इलाज किया जा सकता है। इसमें कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को डिटॉक्स और अंगों की कार्यप्रणाली को मजबूती प्रदान करते हैं। साथ ही इसके सेवन से सूजन नियंत्रित और पाचन तंत्र बेहतर होता है। 

तत्व: 
विटामिन-C
एंटीऑक्सीडेंट्स

  • मकोय: मकोय एक अन्य आयुर्वेदिक दवा है, जो जलोदर के लक्षणों को कम या नियंत्रित कर सकती है। इससे सूजन कम होती है और शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं। साथ ही मकोय के नियमित उपयोग से पाचन तंत्र को बढ़ावा मिलता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।

तत्व: 
विटामिन-A
विटामिन-C
फ्लेवोनॉयड्स

जलोदर रोग की आयुर्वेदिक दवा

  • शतावरी: जलोदर के प्राकृतिक इलाज के लिए आप शतावरी का उपयोग कर सकते हैं। यह आपके शरीर को डिटॉक्स करती है और अंगों को मजबूत बनाती है। इससे किडनी और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने जैसे फायदे प्राप्त हो सकते हैं।

तत्व: 
विटामिन-C
सैपोनिन्स
एंटीऑक्सीडेंट्स

  • त्रिफला: जलोदर के मरीजों के लिए त्रिफला का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है। आंवला, हरड़ और बहेड़ा के मिश्रण से बनी यह आयुर्वेदिक दवा शरीर में पानी की मात्रा और सूजन को नियंत्रित करती है। साथ ही त्रिफला से आपके पाचन तंत्र और मूत्र प्रणाली में भी सुधार हो सकता है। 

तत्व: 
विटामिन-C
एंटीऑक्सीडेंट्स

  • गिलोय: जलोदर की समस्या से राहत पाने के लिए आप गोलिय का सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद गुण शरीर से टॉक्सिंस को निकालते हैं और इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। साथ ही यह लिवर, किडनी और पाचन तंत्र में सुधार करती है, जिससे आप लंबे समय तक स्वस्थ बने रहते हैं।

तत्व: 
विटामिन-C
एंटीऑक्सीडेंट्स

जलोदर रोग की आयुर्वेदिक दवा
 
अगर आप भी जलोदर रोग की आयुर्वेदिक दवा जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार विकल्प चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।

 

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