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कुटकी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है. इसका इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है. कुटकी के कई सारे फायदे हैं लेकिन साथ ही कुछ नुकसान भी हैं. इसलिए इसका सेवन करने से पहले कुटकी के फायदे और नुकसान जान लेना बहुत ज़रूरी है, लेकिन इससे पहले कुटकी दवा के बारे में कुछ ख़ास बातें जान लेनी चाहिए जैसे -
यह एक दुर्लभ जड़ी-बूटी है और ख़ास कर ये जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश की पहाड़ियों में पाई जाती है
कुटकी का स्वाद कड़वा और तीखा होता है. इसलिए इसे कटुम्भरा भी कहा जाता है
कुटकी का लैटिन नाम पिक्रोराइजा कुर्रोआ है और यह क्रोफूलेरिएसी कुल का है। देश-विदेश में कुटकी को दुसरे अनेक नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैं - हेलबोर, कतुकरोगनी रूट, काडू, कटुका, पिक्रोरिज़ा कुरोआ, येलो जेंटियन, पिक्रोलिव, कुर्री, कुरु, कटुको
कुटकी औषधि में कई तरह के जैविक सक्रिय यौगिक होते हैं जिनमें कुटकिन, पिकरोसाइड और अन्य फाइटोकेमिकल्स शामिल हैं. इन यौगिकों में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और लीवर को सुरक्षित रखने वाले गुण होते हैं, जो इसे हेल्थ के लिए बहुत उपयोगी बनाते हैं.
कुटकी एक दुर्लभ दवा है इसलिए इससे होने वाले फ़ायदे के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. लेकिन असल में कुटकी के बहुत सारे फ़ायदे होते हैं जो नीचे दिए गए हैं;
बुखार में आराम: कुटकी में एंटीपायरेटिक गुण मौजूद होते हैं, जो शरीर के तापमान को कम करके बुखार ठीक करते हैं। साथ ही, कुटकी में मौजूद औषधीय गुण मौसमी बीमारियों से बचाव करते हैं।
वजन कम करना: कुटकी में मौजूद तत्व गैस्ट्रिक फंक्शन को उत्तेजित करते हैं। इससे डायजेस्टिव फाइबर का उत्पादन बढ़ता है, जिससे एक्स्ट्रा फैट को कम करने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, कुटकी का सेवन करने से मेटाबॉलिज बूस्ट होता है।
सांस की दिक्कत दूर करना: प्रदूषण, धूल-मिट्टी या इन्फेक्शन के कारण सांस लेने में दिक्क्त हो सकती है। कुटकी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो हवा के रास्ते को खोलकर कंजेशन से आराम दिलाते हैं। यह शरीर में हिस्टामिन के रिलीज को सीमित करता है, जिससे अस्थमा के रोगियों को राहत मिल सकती है। कुटकी का सेवन करने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है और कई तरह के इन्फेक्शन से बचाव होता है।
लिवर को हेल्थी रखना: कुटकी का सेवन लिवर को हेल्थी रखने के लिए किया जा सकता है। कुटकी में कुटकिन और पिक्रोलिव जैसे एंजाइम पाए जाते हैं, जो लिवर की कार्य क्षमता को बेहतर बनाते हैं। इसके अलावा, कुटकी विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे कई बीमारियाँ ठीक होती हैं.
त्वचा से जुडी समस्या दूर करना: कुटकी में मौजूद तत्व घाव जल्दी भरने में मदद करते हैं। कुटकी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं। कुटकी का सेवन करने से त्वचा के घाव, खुजली और चकत्ते जल्दी ठीक होते हैं। शोध में पाया गया है कि सोरायसिस और विटिलिगो जैसे त्वचा संबंधित रोगों को दूर करने में भी कुटकी फायदेमंद है।
मुंह के रोग में आराम: कुटकी के काढ़े से गरारा करने से मुंह का स्वाद ठीक होता है और मुँह के छाले ठीक होते हैं। कुटकी आदि दवाइयों से बने काढ़े का 10-15 मि.ली. मात्रा में सेवन करें। इससे प्यास लगने, मुंह सूखने, शरीर की जलन और खाँसी आदि की परेशानी ठीक होती है।
जहाँ एक तरफ कुटकी के इतने फायदे हैं वही कुछ नुकसान भी हैं जो नीचे दिए गए हैं.
पेट खराब: कुटकी का ज़्यादा मात्रा में सेवन करने से पेट में गैस, दस्त या उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को तकलीफ:गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कुटकी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए वरना भारी नुकसान हो सकता है
अन्य दवाओं के साथ मिश्रण से समस्या: कुटकी का सेवन दूसरी दवाओं के साथ करते समय सावधानी बरतें, क्योंकि यह उनके प्रभाव को बढ़ा या घटा सकती है. कुटकी का सेवन सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए और अगर कुटकी के सेवन से कोई परेशानी होती है, तो तुरंत इसका सेवन बंद कर दें और डॉक्टर से सलाह लें.
जलन: कुटकी के प्रयोग से त्वचा में जलन हो सकती है।
पेचिश और पेट की समस्या: इसमें मौजूद कुकुरबिटेसिन के कारण पेचिश की समस्या और पेट में गैस की परेशानी हो सकती है। इसके साथ-साथ ठंड लगकर बुखार भी आ सकता है।
कुटकी के नुकसान को कम करने के लिए कुछ दूसरी बातें ध्यान रखना भी ज़रूरी हैं जो नीचे दी गयी हैं
कुटकी को अपने भोजन में शामिल करने से पहले किसी डॉक्टर से सलाह लेना सबसे अच्छा है। हालाँकि, एक औसत वयस्क के लिए भोजन के बाद दिन में दो बार गर्म पानी के साथ 500 मिलीग्राम - 1 ग्राम कुटकी लेने की सलाह आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा दी जाती है.
कुटकी खाने के ये तरीके हैं - गर्म पानी के साथ, दूध के साथ, चूर्ण के रूप में और काढ़ा बनाकर।
आज के इस ब्लॉग में हमने आपको कुटकी के फायदे और नुकसान के बारे में बताया. लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें. अगर आपको कुटकी के सेवन और उससे जुड़ी और भी जानकारियाँ चाहिए तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या आयु कर्मा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से जानकारी लें. हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ.
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