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पार्किंसंस एक घातक चिकित्सा स्थिति है, जिसका प्रभाव मस्तिष्क के एक हिस्से पर देखने को मिलता है। इससे मस्तिष्क, शरीर की गति और मांसपेशियों को नियंत्रित नहीं कर पाता है। यह स्थिति डोपामाइन की कमी के कारण होती है, जो मस्तिष्क में पाया जाने वाला एक रसायन है और इससे आपको कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ होने वाली इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है। लेकिन, पार्किंसंस रोग का आयुर्वेदिक उपचार इसके लक्षणों को कम या नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
पार्किंस रोग के लक्षण शुरुआत में हल्के होते हैं, जो समय के साथ स्पष्ट होने लगते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षणों की पहचान से आपको इसके निदान और उपचार में मदद मिल सकती है, जैसे:
पार्किंसंस रोग के कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन, कुछ जोखिम कारकों को इसके विकास का प्रमुख कारण माना जाता है, जैसे:
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पार्किंसंस रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कुछ आयुर्वेदिक उपचार से आप इसके लक्षणों को कम या नियंत्रित करने में फायदेमंद जरूर हो हैं। ऐसे ही अन्य विकल्पों में निम्नलिखित शामिल हैं:
यह पार्किंसंस रोग का सबसे प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचार है, जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है। साथ ही यह आपकी याददाश्त को बेहतर और तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाती है। ब्राह्मी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लेवोनॉयड्स तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं।
यह एक प्राकृतिक एडाप्टोजेन है, जिससे मानसिक और शारीरिक तनाव कम हो सकता है। अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स भी पाए जाते हैं। यह आपके तंत्रिका तंतु को सुरक्षित करते हैं, जिससे पार्किंसस रोग के लक्षण कम या नियंत्रित हो सकते हैं।
गिलोय पार्किंसंस रोग के लिए सबसे अच्छा आयुर्वेदिक उपचार हो सकता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी, इम्यून बूस्टिंग गुणों और पॉलिफिनॉल्स, जिंक जैसे तत्वों से भरपूर होती है। इसके नियमित सेवन से आपके मस्तिष्क का स्वास्थ्य बेहतर होता है और पार्किंसंस के लक्षण कम होते हैं।
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इसमें आयरन, कैल्शियम और जिंक जैसे मिनरल्स होते हैं। इन्हें पार्किंसंस के उपचार में बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसका नियमित सेवन आपकी हड्डियों को मजबूत बनाता है और मांसपेशियों की ऐंठन को भी कम करता है।
तुलसी, पार्किंसंस के उपचार या लक्षणों से राहत पाने का प्रभावी तरीका है। यह विटामिन-C, एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स में उच्च होती है। इसके सेवन से न सिर्फ आपका मानसिक तनाव कम होता है। बल्कि, सूजन कम और पार्किंसंस के लक्षण नियंत्रित भी हो सकते हैं।
आंवला विटामिन-C, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स में उच्च होता है, जिससे मस्तिष्क और तंत्रिका तंतु के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। साथ ही आंवला के सेवन से आपके पार्किंसंस रोग के लक्षण भी कम हो सकते हैं।
इस ब्लॉग में हमने आपको पार्किंसंस रोग का आयुर्वेदिक उपचार बताया, जिससे आपको पार्किंसंस के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार विकल्प चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। सेहत से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।
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