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जटामांसी के फायदे और नुकसान

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जटामांसी के फायदे और नुकसान

जटामांसी क्या है?

जटामांसी यानी Nardostachys jatamansi को एक छोटी झाड़ी के रूप में पाया जाता है, इन्हें मुख्य रूप से नेपाल, भारत और तिब्बत की ऊंची पहाड़ियों पर पाया जाता है, ये एक सुगंधित औषधीय वनस्पति है, इसका प्रयोग केवल भारत ही नहीं बहुत से अन्य देशों में भी  किया जाता है, इसे विशेष रूप से मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए लाभकारी मानी जाती है। और आयुर्वेद में इसे प्रमुख और शक्तिशाली जड़ी-बूटियों में से एक माना गया है। इसका तिब्बती, यूनानी और चीनी चिकित्सा पद्धतियों में इसका उपयोग प्राचीन समय से होता आया है।

  • अगर हम बात करें इसके आकार की, तो ये एक छोटी, झाड़ी जैसी वनस्पति होती है जिसकी ऊंचाई लगभग 10 से 60 सेंटीमीटर तक होती है।
  • इसकी पत्तियाँ लंबी और संकरी होती हैं, जिनके किनारे थोड़े नुकीले या ज़िगज़ैग हो सकते हैं। पत्तों का रंग गहरा हरा होता है।
  • इनमें फूल भी लगते हैं जो नीले या हल्के बैंगनी रंग के होते हैं। ये आमतौर पर गर्मियों के मौसम में खिलते हैं।

    जटामांसी के फायदे और नुकसान

जटामांसी के प्रमुख फायदे

  1. नींद को बेहतर बनाना

  2. तनाव और चिंता में राहत

  3. एकाग्रता बढ़ाए

  4. हृदय की सेहत के लिए फायदेमंद

  5. बालों के लिए लाभकारी

  6. त्वचा रोगों में उपयोगी

    - नींद को बेहतर बनाना - जटामांसी नींद की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को सुधारने में मदद करती है। इसके सेवन से शरीर में कोर्टिसोल यानी स्ट्रेस हॉर्मोन का स्तर घट जाता है, इससे जब मन    शांत होता है, तो नींद अपने आप गहरी और सुकूनभरी होती है।ये नींद संबंधी हार्मोन के प्रभाव को बेहतर बनाकर नींद की लय को सामान्य करती है।

    - तनाव और चिंता में राहत - तनाव और चिंता आज कल ज्यादातर लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं, जिसे कम करने के लिए दवाइयां, थेरेपी और योग अपना रहे हैं पर हम आयुर्वेदिक        उपायों से भी तनाव को कम कर सकते हैं, जिसके लिए जटामांसी बहुत अच्छा उपाय है, इसका मुख्य प्रभाव नर्वस सिस्टम पर पड़ता है। इससे माइंड रिलैक्स होता है और मानसिक भार हल्का महसूस होता है।

    - एकाग्रता बढ़ाए - एकाग्रता हर कार्य और क्षेत्र में बहुत जरूरी है चाहे आप छात्र हों, ऑफिस में काम करते हों या कोई रचनात्मक कार्य करते हों। जटामांसी तंत्रिका तंत्र को शांत और संतुलित करती है, जिससे व्यक्ति कम भटकता है और ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है। साथ ही ये मन को शांत कर उसे एकाग्र करने में भी मदद करता है।

    - हृदय की सेहत के लिए फायदेमंद - हृदय की सेहत आज के समय में बहुत बड़ी चिंता का विषय बन चूका है, ऐसे में जटामांसी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो हृदय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह हृदयगति को स्थिर और सामान्य बनाए रखता है, खासकर टेंशन या घबराहट के समय, साथ ही जटामांसी में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो हृदय की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

    - बालों के लिए लाभकारी - बालों की समस्या आजकल बहुत आम हो गई है, ऐसे में जटामांसी एक बहुत ही असरदार आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जटामांसी की जड़ से बना तेल सिर की त्वचा तक गहराई से पहुंचकर बालों की जड़ों को पोषण देता है। साथ ही इसका नियमित तेल उपयोग बालों में सॉफ्टनेस और नैचुरल शाइन लाता है।

    - त्वचा रोगों में उपयोगी -
    जटामांसी में प्राकृतिक रोगाणुनाशक और बैक्टीरिया रोधी गुण होते हैं, जो त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया और फंगस को मारने में मदद करते हैं, साथ ही इसकी तासीर ठंडी होती है जिससे पिंपल्स, फोड़े-फुंसी, और फंगल इंफेक्शन में राहत मिलती है। 
     

जटामांसी के नुकसान

  1. अत्यधिक नींद और सुस्ती

  2. ब्लड प्रेशर पर असर

  3. पाचन संबंधी समस्याएं

  4. एलर्जी की संभावना

 

  1. अत्यधिक नींद और सुस्ती -  जटामांसी की आयुर्वेद में तासीर ठंडी होती है, जो नर्वस सिस्टम को शांत करती है जिससे तनाव और चिंता में राहत मिलती है। लेकिन जब इसे ज्यादा मात्रा में लिया जाता है, तो ये सिस्टम को बहुत धीमा कर देती है — जिससे बहुत ज्यादा नींद, सुस्ती और आलस्य महसूस होने लगता है।

  2. ब्लड प्रेशर पर असर - जटामांसी आमतौर पर यह हाई बीपी (High BP) वालों के लिए फायदेमंद मानी जाती है, क्योंकि यह रक्तचाप को शांत करती है और नियंत्रित करती है। पर जिनका BP पहले से ही कम होता है, उनके लिए जटामांसी का सेवन BP को और भी नीचे गिरा सकता है। इससे गिरने या सिर में चोट लगने जैसी दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।

  3. पाचन संबंधी समस्याएं - जटामांसी को अगर अत्यधिक मात्रा में लिया जाए तो ये पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव डाल सकती है, जटामांसी की अत्यधिक मात्रा या खाली पेट सेवन करने से कुछ लोगों को जी मिचलाने या उल्टी जैसा अहसास हो सकता है। यह उन लोगों में ज्यादा होता है जिनका पाचन तंत्र पहले से संवेदनशील हो।

  4. एलर्जी की संभावना -  वो लोग जो पहले से ही संवेदनशील त्वचा या शरीर रखते हैं। उन लोगों को  जटामांसी से एलर्जी की संभावना भी हो सकती है, जो लोग अस्थमा या एलर्जी रेस्पिरेटरी कंडीशन की समस्या से परेशान रहते हैं। जटामांसी का पाउडर या धूप का धुआं उनके लिए हानिकारक हो सकता है ।
    जटामांसी के फायदे और नुकसान

सावधानीपूर्वक उपयोग कैसे करें?

  • किसी भी रूप में उपयोग से पहले प्रमाणित आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।

  • शुरुआत में कम मात्रा में लें और शरीर की प्रतिक्रिया देखें।

  • उच्च रक्तचाप या लो ब्लड प्रेशर की समस्या है तो विशेष सतर्कता बरतें।

  • बच्चों को देने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ की राय ज़रूर लें।

निष्कर्ष

आज इस आर्टिकल में हमने जाना जटामांसी के फायदे और नुकसान, लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें. अगर आपको ब्राह्मी के सेवन से जुड़ी कोई भी जानकारी चाहिए तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें अयुकर्मा के साथ।

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