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क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक औषधि

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क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक औषधि

क्या आपके ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ी हुई है? पर आप क्या आप क्रिएटिनिन के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो जानिए, क्रिएटिनिन हमारे शरीर में मांसपेशियों की कार्यप्रणाली से बनने वाला एक उप-उत्पाद है, जिसे किडनी रक्त के माध्यम से फ़िल्टर करके मूत्र में बाहर निकालती हैं। पर जब किडनी की कार्यक्षमता कम होने लगती है या शरीर में पानी की कमी होती है, तो खून में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने लगता है। और ये स्थिति लंबे समय तक किडनी रोग का कारण बन सकती है। बहुत से लोग इस स्थिति के लिए सीधा आधुनिक दवाइयों की तरफ जाते हैं जिसमें बहुत बार साइड इफेक्ट का खतरा बना रहता है पर आयुर्वेद में किडनी को स्वस्थ रखने, रक्त को शुद्ध करने और शरीर के दोषों को संतुलित करने के लिए कई प्रभावी जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ बताई गई हैं, जो बिना दुष्प्रभाव के क्रिएटिनिन स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम बताएंगे क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक औषधि साथ ही हम इसके लक्षणों और कारणों पर भी ध्यान देंगे। जिससे हम जानेंगे कि कौन-कौन सी आयुर्वेदिक औषधियाँ, आहार नियम और जीवनशैली परिवर्तन क्रिएटिनिन को कम करने में उपयोगी हो सकते हैं।

क्रिएटिनिन बढ़ने के लक्षण 

क्रिएटिनिन बढ़ने के कारण

  • मधुमेह

  • ब्लड प्रेशर 

  • शरीर में पानी की कमी

  • कुछ विशेष दवाइयों का असर

  • प्रोस्टेट की सूजन या बढ़ना

  • अधिक प्रोटीन या नॉन-वेज का सेवन

  • बहुत ज़्यादा या तीव्र व्यायाम

क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक औषधि  

  1. कुटकी

  2. वरुण

  3. पुनर्नवा

  4. गोक्षुर

  5. गिलोय

 

  1. कुटकी - कुटकी को किडनी की कार्यक्षमता को संतुलित करने और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में एक अत्यंत प्रभावशाली जड़ी-बूटी मानी जाती है। ये किडनी की दो तरह से मदद करती है। पहला, यह लिवर को सक्रिय करके टॉक्सिन को तोड़ने और बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करती है, और दूसरा, यह शरीर के मल-मूत्र मार्ग को सुचारु बनाकर अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। साथ ही कुटकी पाचन तंत्र को सुधारकर शरीर में होने वाली अम्लता, भारीपन और भूख की कमी को भी ठीक करती है। जब पाचन मजबूत होता है, तो शरीर में अपाच्य तत्वों का जमाव नहीं होता, जिससे किडनी पर बोझ कम हो जाता है। इसलिए कुटकी को क्रिएटिनिन कंट्रोल करने की हर्बल मेडिसिन भी कहा जाता है। 
    कुटकी

 

  1. वरुण - आयुर्वेद में वरुण किडनी और मूत्र तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है। और इसकी विशेषता यह है कि यह मूत्र मार्ग में जमा कठोरता को धीरे-धीरे घोलने की क्षमता रखता है। इसलिए इसे किडनी और मूत्राशय में पथरी बनने को रोकने वाली औषधि भी कहा गया है। और जब पेशाब आसानी से आता है, तो किडनी पर दबाव कम पड़ता है और यह शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बेहतर तरीके से निकाल पाती है। और सबसे खास बात ये है की आयुर्वेद में वरुण को किडनी की कार्यक्षमता को लंबे समय तक स्थिर, मजबूत और संतुलित रखने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका प्रभाव धीरे-धीरे दिखाई देता है, लेकिन यह सुरक्षित माना जाता है, खासकर तब जब इसे काढ़े या अर्क के रूप में किसी अनुभवी वैद्य के मार्गदर्शन में लिया जाए।

    वरुण

  2. पुनर्नवा - पुनर्नवा को किडनी के लिए सबसे प्रभावशाली जड़ी-बूटियों में से एक मानी जाती है। क्योंकि ये शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करने में मदद करती है। साथ ही इसके सेवन से शरीर में जमा अतिरिक्त पानी और नमक बाहर निकलते हैं, जिससे पैरों, टखनों और चेहरे की सूजन कम होती है। यह किडनी की नलिकाओं को साफ रखने में सहायक होती है, जिससे किडनी अधिक प्रभावी ढंग से रक्त को फ़िल्टर कर पाती है और क्रिएटिनिन का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसलिए आयुर्वेद में इसे सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है, पर इसे हमेशा किसी अनुभवी वैद्य के मार्गदर्शन में उचित मात्रा में लिया जाए। पुनर्नवा के सेवन से किडनी का कार्य सुचारु रहता है और शरीर का विषाक्त संतुलन बनाए रहता है।

    पुनर्नवा

  3. गोक्षुर - जब शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ जाता है, तो इसका कारण अक्सर किडनी की कार्यक्षमता में कमी और अपशिष्ट पदार्थों का शरीर में जमा होना होता है। ऐसे में गोक्षुर इस स्थिति में प्राकृतिक रूप से किडनी की मदद करता है। साथ ही इसमें प्राकृतिक डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं, जो किडनी में जमा हुए विषैले तत्वों को धीरे-धीरे बाहर निकालते हैं। यह किडनी की सूजन को भी कम करता है और उसकी कार्यक्षमता को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा गोक्षुर का नियमित सेवन किडनी को मजबूत बनाकर क्रिएटिनिन को नियंत्रित करने में सहायता करता है और शरीर के विषाक्त संतुलन को बनाए रखता है। इसलिए इसे क्रिएटिनिन घटाने का आयुर्वेदिक इलाज भी माना जा सकता है । 
    गिलोय


     

 

  1. गिलोय - गिलोय किडनी के स्वास्थ्य और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद प्रभावी जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसका सेवन शरीर में जमा अनावश्यक पानी और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है, जिससे पैरों, टखनों और चेहरे की सूजन कम होती है। यह रक्त को शुद्ध करने का काम करता है और किडनी की नलिकाओं को साफ रखता है, जिससे किडनी अधिक प्रभावी ढंग से क्रिएटिनिन और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर कर पाती है। इसका नियमित सेवन किडनी की कार्यक्षमता सुधारकर क्रिएटिनिन के स्तर को संतुलित रखने और शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त रखने में मदद करता है।

 

आज इस आर्टिकल में हमने बताया क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक औषधि, और अगर आपके मन में ये प्रश्न है की किडनी से क्रिएटिनिन कैसे घटाएं तो ये आर्टिकल आपके लिए है, और आप जान पाएंगे की कैसे कुछ आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या में आपके काम आ सकते हैं, लेकिन आप केवल इन सुझावों पर निर्भर ना रहें समस्या अगर ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, और ऐसे ही आर्टिकल और ब्लॉग्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।








FAQ


 

  • किडनी स्टोन के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है? 
    किडनी स्टोन के लिए सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी वरुण और गोक्षुर मानी जाती हैं। ये मूत्र मार्ग को साफ करती हैं और पथरी को घोलकर बाहर निकालने में मदद करती हैं।
     
  • पथरी गलाने के लिए कौन सी देसी दवा है?
    पथरी गलाने के लिए आयुर्वेद में गोक्षुर और वरुण सबसे प्रभावी मानी जाती हैं।
     
  • कौन सी दाल खाने से पथरी गल जाती है?
    पथरी गलाने में मूंग दाल सबसे लाभकारी मानी जाती है।

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