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हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज

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हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज

हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज 

हाइपरहाइड्रोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें अत्यधिक पसीना आने की समस्या होती है क्योंकि शरीर सामान्य से बहुत अधिक पसीना उत्पन्न करता है, जो अक्सर व्यक्ति को परेशान कर देता है, ये स्थिति शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी कठिनाइयाँ पैदा कर सकती है। आज इस आर्टिकल में हम हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज इस विषय में बात करेंगे क्योंकि आयुर्वेद इस समस्या की जड़ तक पहुंच कर इस स्थिति को बेहतर बना सकता है और इसी के साथ इसके लक्षणों और कारणों पर भी ध्यान देंगे

हाइपरहाइड्रोसिस के लक्षण 

  • हाथों, पैरों, बगलों, या चेहरे पर पसीना आना

  • रात में भी पसीना आना

  • पसीने की वजह से त्वचा का संक्रमण होना

  • शरीर के दोनों तरफ़ पसीना आना

  •  बिना किसी वजह के पसीना आना

  • आराम करते समय भी पसीना आना 

  • त्वचा की समस्या

हाइपरहाइड्रोसिस के कारण 
हाइपरहाइड्रोसिस को दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा गया है, 

  1. प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस
    इस समस्या का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता आमतौर पर इसके होने वाले कारण निम्नलिखित है, 
  • आनुवंशिक कारक
  • तनाव और चिंता
  • तंत्रिका तंत्र की समस्या
  • शरीर के तापमान में वृद्धि

      2. सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस
        ये समस्या अन्य चिकित्सा स्थिति, या दवा के कारण हो सकती है, 

हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज

त्रिफला - त्रिफला एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें तीन प्रमुख जड़ी बूटियों को मिलाया जाता है, जैसे हरितकी, आंवला और बहेड़ा। त्रिफला पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, अच्छे पाचन से शरीर में अतिरिक्त गर्मी या अपचित भोजन का निर्माण नहीं होता, जिससे हाइपरहाइड्रोसिस में कमी आ सकती है। साथ ही त्रिफला त्वचा को साफ और शांत करता है सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी त्रिफला बहुत मदद करता है क्योंकि त्रिफला मानसिक शांति प्रदान करने और तनाव कम करने में सहायक है। 

हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज

 

नीम - नीम को अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि के रूप में जाना जाता है। इस पेड़ के केवल पत्ते ही नहीं छाल, फूल, और बीज सभी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, इसके पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो शरीर के अंदर पसीने की अत्यधिक मात्रा को कंट्रोल कर सकते हैं। नीम का एक मुख्य कार्य बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण को रोकना भी होता है, और बहुत बार मानसिक तनाव भी पसीने की अधिकता का प्रमुख कारण बन सकते हैं। ऐसे में नीम की ताजगी और शांति देने वाले गुण मानसिक स्थिति को स्थिर कर सकते हैं। 

आंवला - आंवला को एक मूल्यवान औषधि के रूप में माना जाता है, ये विटामिन C का एक प्रमुख स्रोत है, यह त्वचा पर होने वाले संक्रमणों को भी रोकता है, जो अत्यधिक पसीने की वजह से होता है, आंवला में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, यह त्वचा पर होने वाले जलन और खुजली को भी कम करता है, जो पसीने के कारण हो सकती है। और आयुर्वेद के अनुसार  हाइपरहाइड्रोसिस पित्त दोष के असंतुलन हो सकता है इसलिए आंवला का सेवन बहुत जरूरी है क्योंकि ये  पित्त दोष को शांत करता है, जिस वजह से शरीर की गर्मी कम होती है और पसीने की अधिकता में राहत मिलती है।

हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज

अश्वगंधा - अश्वगंधा को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है। ये एंडोक्राइन सिस्टम को संतुलित करने में मदद करता है जिससे हॉर्मोनल असंतुलित नहीं होता और हॉर्मोनल असंतुलन की वजह से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को सुधारने में सहायक हो सकता है। साथ ही अश्वगंधा एक एडाप्टोजन (adaptogen) है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर को मानसिक और शारीरिक तनाव से निपटने में मदद करता है। यह तनाव हार्मोन, जैसे कि कोर्टिसोल को कम करता है, जिससे पसीने की अधिकता को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज

अत्यधिक पसीने का घरेलू इलाज

1. गुलाब जल - गुलाब जल शांति और ताजगी प्रदान करने के लिए जाना जाता है, गुलाब जल में ठंडक देने के गुण होते हैं जिससे हाइपरहाइड्रोसिस के कारण त्वचा पर होने वाली जलन, खुजली और लालपन को गुलाब जल से आसानी से शांत किया जा सकता है। और ये त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है  जिससे पसीने की अधिकता के कारण होने वाली सूखापन या खुजली में कमी आती है। साथ ही  गुलाब जल का उपयोग पसीने से होने वाली बदबू को कम करने में मदद करता है।

2. एलोवेरा - एलोवेरा को त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, इसके जल, जेल और अन्य उत्पाद त्वचा और शरीर के लिए कई फायदे प्रदान करते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पसीने की वजह से होने वाले संक्रमण और त्वचा पर जलन को रोकने में मदद करते हैं। और एलोवेरा की सबसे खास बात ये है की इसमें प्राकृतिक ठंडक देने वाले गुण होते हैं। त्वचा को ठंडा करता है और पसीने के कारण होने वाली जलन और अन्य समस्याओं को कम करता है।

हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज

3. आहार में बदलाव - हाइपरहाइड्रोसिस की स्थिति में कुछ खाद्य पदार्थ शरीर को ठंडा करने में मदद करते हैं, जैसे तरबूज, खीरा, दही, और नारियल पानी। इनके सेवन से पसीने की अधिकता को कम कर सकते हैं। और कुछ खाद्य पदार्थ जैसे कैफीन और मसालेदार भोजन शरीर के तापमान को बढ़ा सकते हैं, और पसीने की ग्रंथियों को उत्तेजित कर सकते हैं। ऐसे में फाइबर से भरपूर आहार पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाते हैं जिससे ये शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है।

आज इस आर्टिकल में हमने हाइपरहाइड्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज जाना, अगर आपको हाइपरहाइड्रोसिस के लिए देसी इलाज कर विषय में जानना है, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार विकल्प चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें आयु कर्मा के साथ।

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